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05 नवंबर 2010

निजी मेडिकल कॉलेजों के डाक्टर 70 में रिटायर होंगे

भंग मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया को चलाने वाले सरकारी बोर्ड आफ गवर्नर्स ने एक नया आदेश जारी कर निजी मेडिकल कालेजों के डाक्टरों के अवकाश ग्रहण की अधिकतम आयु सत्तर वर्ष कर दी है। सरकारी और निजी मेडिकल कालेजों के बीच गुणवत्ता के स्तर में समानता लाने के लिए बोर्ड आफ गवर्नर्स द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद वरिष्ठ डाक्टरों का आभाव झेल रहे निजी मेडिकल कॉलेजों को राहत तो मिलेगी ही अवकाश ग्रहण के बाद निजी मेडिकल कालेज में सरकारी डाक्टरों की पांच साल की नौकरी भी पक्की हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि नियमों के मुताबिक सरकारी मेडिकल कालेजों के डाक्टरों के अवकाश ग्रहण की आयु अभी तक पैसठ वर्ष ही है। मजेदार बात है कि बोर्ड आफ गर्वनर्स में भी एक सदस्य पिछले दिनों सफदरजंग मेडिकल कालेज से रिटायर होने के बाद मनिपाल के किसी निजी संस्थान में काम कर रहे हैं और बोर्ड आफ गर्वनर्स के वर्तमान अध्यक्ष भी सरकारी मेडिकल कालेज में कार्यरत है। गौरतलब है कि इस आदेश से निजी मेडिकल कालेजों में वरिष्ठ डाक्टरों का आभाव समाप्त हो जाएगा, क्योंकि अब बड़े मेडिकल कालेजों के विभागाध्यक्ष, संकाय अध्यक्ष, निदेशक, प्राचार्य व प्रोफेसर जैसे पदों से रिटायर होने वाले डाक्टरों को निजी मेडिकल कालेजों के प्रबंध तंत्र मुंह मांगे वेतन पर नौकरी देंगे और उनके नाम का फायदा कालेज में दाखिलों में उठाया जाएगा। निजी मेडिकल कालेजों में इस समय फैकल्टी की गुणवत्ता का संकट रहता है। जिसके चलते निजी मेडिकल कालेज आज भी सरकारी मेडिकल कालेजों की तुलना में अपने आप को खड़ा नहीं कर पाए है। इसकी वजह से निजी मेडिकल कालेजों में मोटे डोनेशन के बाद भी छात्रों की पढ़ाई का स्तर निम्न रहता है और उनकी बैक भी लगती है। इतना ही नहीं, निजी मेडिकल कालेजों से निकलने वाले स्नातक डाक्टरों की रेजिडेंटशिप के भी लाले पड़ते है। उन्हें या तो निजी अस्पतालों में जगह मिलती है या फिर काफी जुगाड़ से सरकारी अस्पतालों में उन्हें काम सीखने का मौका मिल पाता है। सरकारी और निजी मेडिकल कालेजों के इस फासले को दूर करने के लिए ही एमसीआई ने बहुत सोच समझ कर इस तरह का आदेश दिया है जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी नहीं टूटे। आदेश के बाद उन तमाम डाक्टरों को निजी मेडिकल कालेजों में काम करने का रास्ता खुल गया है जो रिटायरमेंट के बाद या तो घर में प्रैक्टिस कर रहे है या निजी अस्पतालों में काम कर रहे है। उदाहरण के तौर पर एम्स के पूर्व निदेशक डा.पीके.दवे रिटायरमेंट के बाद निजी अस्पताल में काम कर रहे हैं। मगर फैसले के बाद अब उन्हें निजी मेडिकल कालेजों में मुंह मांगे वेतन पर नौकरी की पेशकश मिल जाएगी और एम्स के पूर्व निदेशक के नाम पर गया बीता निजी मेडिकल कालेज भी दौड़ने लगेगा। इस आदेश की समीक्षा करने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी विचार करना शुरू कर दिया है। क्योंकि यह आदेश सीधे सीधे निजी मेडिकल कालेजों को लाभ पहुंचाता है। सूत्रों के मुताबिक आईएमए स्वास्थ्य मंत्रालय से यह मांग भी से कर सकता है कि जिस तरह से निजी मेडिकल कालेजों के डाक्टरों की अवकाश ग्रहण की आयु पैसठ से सत्तर वर्ष की गई है ठीक उसी तरह सरकारी मेडिकल कालेजों के डाक्टरों की आयु भी सत्तर वर्ष की जाए(ज्ञानेंद्र सिंह,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,5.11.2010)।

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