वैश्विक मंदी के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थमी रफ्तार अब तक गति नहीं पकड़ पाई। मंदी के समय आईटी के क्षेत्र में सर्वाधिक गिरावट के बाद इस कोर्स में विद्यार्थियों की रूचि सर्वाधिक घटी थी, जिसके चलते गत सत्र में इंजीनियरिंग कॉलेजों में सबसे ज्यादा सीटें आईटी की खाली रह गई थी।
इस साल भी यह स्थिति नहीं सुधर सकी है। आरपीईटी परीक्षा के बाद खाली सीटों की स्थिति में सबसे ज्यादा कम्प्यूटर व आईटी शाखाओं की ही सीटें खाली हैं। आईटी की स्थिति में मामूली सुधार आया, तो कम्प्यूटर की सीटों का ग्राफ गिर गया।
सरकारी में आईटी
राज्य में 11 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में 3882 में से 316 सीटें खाली रह गई। इसमें भी सबसे ज्यादा सीटें आईटी व कम्प्यूटर की ही है। यहां 81 सीटें आईटी की तथा 36 सीटें कम्प्यूटर की खाली रह गई।
यह है स्थिति
आरपीईटी के बाद तकनीकी शिक्षा बोर्ड की ओर से जारी की गई खाली सीटों की स्थिति में सर्वाधिक खाली सीटें कम्प्यूटर ब्रांच में 5478 रही हैं। इसके अलावा आईटी में 3542 सीटें विद्यार्थियों का इंतजार कर रही हैं।
इलेक्ट्रोनिक्स एण्ड कम्यूनिकेशन ब्रांच में भी विद्यार्थियों ने खास रूचि नहीं दिखाई और आईटी के बराबर ही यहां भी सीटें खाली रह गई। इस ब्रांच की 3526 सीटें खाली रह गई। सीटें खाली रहने में चौथा नम्बर मैकेनिकल ब्रांच का है, जिसकी 1744 सीटें खाली रह गई।
सैकेण्ड शिफ्ट का लाभ
इंजीनियरिंग शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए राज्य के दो दर्जन कॉलेजों में शुरू की गई द्वितीय श्रेणी की कक्षाओं में भी कम्प्यूटर की अधिकांश सीटें खाली रह गई। यहां कम्प्यूटर की 573, इलेक्ट्रोनिक्स एण्ड कम्यूनिकेशन की 351 व मैकेनिकल की 70 सीटें खाली रही। द्वितीय पारी में कुल 2250 सीटें स्वीकृत हैं, जिसमें से एआईईईई के लिए 198 एवं एमबीए के लिए 432 सीटें निर्धारित हैं।
समय लगेगा
मंदी के बाद बड़ी संख्या में इंजीनियर्स की संख्या तो बढ़ गई, लेकिन आईटी और कम्यूनिकेशन में मांग इस गति से नहीं बढ़ी, डिमाण्ड बढ़ने में अभी समय लगेगा। भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर अभी बहुत तैयार हो रहा है, इसलिए सिविल व इससे जुड़ी ब्रांचों की डिमाण्ड ज्यादा है।
- प्रो.जी.एस.रघुवंशी, पूर्व प्रतिकुलपति, राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय(राजस्थान पत्रिका,कोटा,5.11.2010)
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