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06 नवंबर 2010

नए खाद्य तेलों के प्लांट में हैं बेहतरीन अवसर

देश में परंपरागत खाद्य तेलों के साथ अन्य तेलों की मांग भी बढ़ रही है। इससे उद्यमियों के लिए खाद्य तेल प्लांट लगाना मुनाफाकारी होता जा रहा है। उल्लेखनीय है कि देश में करीब पांच लाख टन खाद्य तेल का उत्पादन होता है लेकिन पूरे देश में इसकी खपत 20 लाख टन से ज्यादा है। इस कारण खपत की 40 फीसदी आपूर्ति आयात से हो रही है। देश में खाद्य तेल की बढ़ती खपत को देखते हुए खाद्य तेल उद्योग में निवेश की काफी संभावना है।

देश में अभी सोया, पाम, मूगफली, अरंडी, चावल की भूसी, कॉटनसीड, रतनजोत आदि के बीजों से अनेक प्रकार के खाद्य तेल का उत्पादन किया जा रहा है। खाद्य तेल खाने के अलावा वनस्पति उद्योगों में बतौर कच्चे माल काम आता है। देश में अभी २५ से ज्यादा तरह के खाद्य तेल ऑयल का उत्पादन हो रहा है। देश में मात्र 10 लाख टन सोया तेल का उत्पादन किया जा रहा है। पाम ऑयल उत्पादन 70 हजार टन ही है। उद्यमियों का कहना है कि खाद्य तेल के लिए कच्चा माल मतलब सोयाबीन मध्यप्रदेश से, कॉटन सीड्स राजस्थान व गुजरात से, चावल भूसी यूपी से, पाम दक्षिण भारत व सीमस व अन्य कच्चा माल उत्तर भारत से मिल जाता है।

उन्होंने बताया कि खाद्य तेल का उत्पादन तीन तरीके से होता है। पहले बीज का मैकेनिकल एक्सटे्रशन होता है इसमें स्क्रूव प्रेशर से क्रूड ऑयल निकलता है। इस प्रक्रिया में 9 से 18 फीसदी तेल खल या केक में ही रह जाता हैै, जो बीज की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। इस तेल में आयरन, कॅापर, कैल्शियम व मैग्रेशियम जैसे हानिकारक तत्व होते हैं, जिनको खाद्य तेल से हटाना आवश्यक होता है। खल में रह गये 18 फीसदी तेल को निकालने के लिए अलग पेट्रोलियम सॉल्वेंट मिश्रित प्रोसेस द्वारा शेष तेल निकाला जाता है। राजस्थान सहित देश में हजारों की संख्या में इस प्रकार के प्लांट लगे हैं, जो केवल खल में से ही तेल निकालने का काम करते है। इनको सोल्वेंट प्लांट कहते हैं।

दूसरा प्रोसेस तेल से अनावश्यक तत्वों को बाहर निकालने का होता है। तीसरा प्रोसेस है तेल को रिफाइंड करने का जिसमें तेल को ब्लीच व शुद्ध करने में वैज्ञानिक प्रोसेस व तकनीक का प्रयोग किया जाता है जिसके द्वारा तेल गंध,रंग व स्वाद रहित हो जाता है। खाद्य तेल के लिए लगाए जाने वाले प्लांट की लागत ६० लाख रुपये तक आती है। प्लांट में सुपर क्लीनिंग ईकाई, ब्लीचिंग ईकाई, डी-एसिडीफिकेशन, वाटर कूलिंग सिस्टम व स्टीम बोयलर आदि मशीनों की आवश्यकता रहती है। इस प्लांट को लगाने के लिए आठ सौ वर्ग मीटर का प्लॉट पर्याप्त है(विशाल तिवाड़ी जोधप,दैनिक भास्कर,4.11.2010)।

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