राज्यपाल बीएल जोशी ने मंगलवार को लखनऊ में राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को आईना दिखाया। कुलाधिपति ने कुलपतियों को बताया कि उनके विश्वविद्यालयों में सिर्फ परीक्षाओं में ही नहीं, शोध कार्यों में भी नकल का बोलबाला है। शोध के नाम पर विश्वविद्यालयों में सिर्फ नकल हो रही है। संसाधनों का शाश्वत रोना रोने वाले विश्वविद्यालयों में से कोई भी ऐसा नहीं है, जिसके किसी शोध को अंतर्राष्ट्रीय तो क्या, राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली हो। यह स्थिति तब है, जब एक राज्य विश्वविद्यालय में 4800 शोधार्थी पंजीकृत हैं। उन्होंने कुलपतियों से विश्वविद्यालयों में शोधार्थियों के पंजीकरण की समीक्षा करने को कहा।
राज्यपाल योजना भवन में उच्च शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, कृषि शिक्षा, व पशु चिकित्सा शिक्षा से संबंधित राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नियमानुसार पीएचडी की डिग्री के लिए एक प्रवक्ता के अधीन अधिकतम छह, रीडर के अधीन आठ और प्रोफेसर के अधीन 10 प्रतिभागी नामांकित हो सकते हैं। इसके विपरीत शिक्षकों के अधीन इससे कई गुना अधिक छात्र पंजीकृत हो रहे हैं। शोध में नकल की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए उन्होंने कुलपतियों से कहा कि वे अपने विश्वविद्यालयों के शोध कार्यों का विवरण वेबसाइट पर डालें।
उन्होंने कहा कि एक विश्वविद्यालय को पांडुलिपियों के प्रकाशन के लिए शासन से दस करोड़ रुपये दिये गए थे, लेकिन उसने बिना कुछ किये धरे सब पैसा बराबर कर दिया। बैठक में यह मुद्दा भी उठा कि विश्वविद्यालयों के स्तर पर अभी छह लाख विद्यार्थियों को डिग्रियां बांटना बाकी है। इस पर राज्यपाल ने कुलपतियों से कहा कि वे समय-सारिणी तय कर यथाशीघ्र अवितरित डिग्रियों को बांटें और हर साल दीक्षांत समारोह आयोजित करायें(दैनिक जागरण,लखनऊ,10.11.2010)।
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