हिमाचल में मानसिक व शारीरिक तौर पर अक्षम व्यक्तियों के अधिकारों के संरक्षण तथा उनके कल्याणार्थ जल्द ही विकलांगता नीति तैयार की जाएगी। यह बात अतिरिक्त मुख्य सचिव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग सरोजनी गंजू ठाकुर ने शुक्रवार को न्यू शिमला में स्वयं सेवी संस्था उड़ान द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय जागरूकता अभियान बढ़ते कदम के शुभारम्भ के मौके पर कही। गंजू ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के दिशा-निर्देशों के अनुरूप विकलांगता नीति में स्वंय सेवी संस्थानों से जुड़े सक्रिय प्रतिनिधियों के सुझावों को सम्मिलित कर विकलांगों के हितों की रक्षा के लिए विभिन्न प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश लोग विकलांगता की पहचान और इसमें अंतर को नहीं जान पाते, इसलिये विकलांगजनों बारे समाज में जागरूकता उत्पन्न करना जरूरी है, इसी के दृष्टिगत नीति में जागरूकता अभियान को विशेष बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि समाज में मानसिक अथवा शारीरिक तौर पर अविकसित व अक्षम व्यक्तियों का एक ऐसा हिस्सा मौजूद है जिसे मुख्यधारा में शामिल करने के लिये विशेष प्रयासों की आवश्यकता है। प्रदेश सरकार ने इस वर्ग के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए विभिन्न कल्याणकारी कार्यक्रम चलाये हैं। इसके तहत इन्हें सरकारी नौकरियों में तीन प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया है। इसके अलावा विकलांगता पहचान पत्र, विकलांगता पुनर्वास केन्द्र चलाना, इनकी शिक्षा के लिये छात्रवृति योजना व स्वरोजगार सहायता जैसे कार्यरम कार्यन्वित किये गये हैं। गंजू ने बताया कि अक्षम व्यक्तियों को रोजगार देने के लिये उनकी योग्यता अनुसार उद्योग विभाग को सम्भावित क्षेत्रों का पता करने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा 328 पद विशेष शिक्षकों के भरे जा रहे हैं(दैनिक जागरण,शिमला,20.11.2010)।
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