आंगनवाड़ी में एक अदद हेल्पर का पद हासिल करने के लिए आवेदनकर्ताओं ने अपनी काबिलियत का नहीं, बल्कि झूठी शैक्षणिक योग्यता का सहारा लिया है, लेकिन आवेदनकर्ता अपने झूठ में फंस गए और हेल्पर पद ही नहीं भविष्य की किसी भी सरकारी नौकरी से भी हाथ धो बैठे।
उनकी शैक्षणिक योग्यता फर्जी पाई गई है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित भर्ती प्रक्रिया में अभी तक 18 केस से अधिक फर्जी शैक्षणिक योग्यता के केस सामने आ चुके हैं, जिसमें कई की तो पुष्टिï भी हो गई है।
जहां की डिग्री वहां विद्यार्थी तक नहीं
हेल्परों की भर्ती प्रक्रिया के दौरान ही संबंधित अधिकारियों को इस बात का शक हो गया था कि जो शैक्षणिक योग्यता के कागज उनके सामने रखे गए हैं, उनमें हकीकत से कहीं अधिक फर्जीवाड़ा है। इसी के बाद मामले की जांच के लिए डिग्री के लिए विभिन्न प्रदेशों के स्कूलों एवं हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड में उनकी अंक तालिका भेजी गई। विभाग की ओर से इस प्रकार के 59 आवेदनों की जांच भेजी गई है। जांच के दौरान पता लगा कि जिस विद्यार्थी ने अंक तालिका के आधार पर दसवीं की परीक्षा में पास होने का दावा किया है, वह वहां का विद्यार्थी ही नहीं निकला। इस मामले में करीब 12 लोगों के फर्जी प्रमाण पत्र पकड़े गए हैं।
"रोजगार हासिल करने के लिए फर्जी प्रमाण पत्र का सहारा लेना गलत प्रथा है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सभी प्रमाण पत्र की जांच कराई जा रही है। जो भी दोषी मिलेगा, उसे सख्त सजा भी मिलेगी"-डा. एसएस दलाल, एडीसी सोनीपत(दैनिक जागरण,सोनीपत,17.11.20101)।
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