देश के नामचीन बिजनेस स्कूलों में प्रवेश के लिए कैट परीक्षा के दरवाजे अब बंद हो चुके हैं। अगर आप इस परीक्षा में अपने प्रदर्शन से खुश नहीं हैं और एमबीए की डिग्री हासिल करने के अपने सपने पर ग्रहण लगता महसूस कर रहे हैं तो परेशान न हों। देश के कई बिजनेस स्कूल में एमबीए करने के लिए एक और रास्ता उपलब्ध है। यह रास्ता है मैट का।
मैनेजमेंट एप्टीट्यूड टेस्ट यानी मैट हर साल बिजनेस स्कूल में प्रवेश पाने के सैकड़ों छात्रों के सपने को साकार करता है। छात्रों में मैट की बढ़ती लोकप्रियता का ही नतीजा है कि हाल के वर्षों में इस परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या में दस प्रतिशत का इजाफा हुआ है। मैट की दिसंबर में होने वाली परीक्षा के लिए आवेदन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब जरूरत है मैट में सफल होने के लिए आखिरी तैयारी की, ताकि मैनेजमेंट स्कूल में दाखिले का आपका सपना इस साल पूरा हो जाए। मैट की परीक्षा ऑनलाइन भी होती है और पारंपरिक तरीके से भी। मैट का ऑनलाइन टेस्ट 11 दिसंबर को है, वहीं इसकी पारंपरिक परीक्षा 5 दिसंबर को है।
मैट बोले तो..
देश में 396 संस्थान ऐसे हैं, जो अपने यहां एमबीए कोर्स में दाखिला मैट के स्कोर के आधार पर देते हैं। इस टेस्ट का आयोजन ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन करती है। यह टेस्ट साल में चार बार होता है। अगर किसी को कैट में सफल न होने पर एक साल बर्बाद होने की चिंता सता रही है तो ऐसे छात्र मैट की परीक्षा दे सकते हैं। मैट की परीक्षा का आयोजन साल में चार बार फरवरी, दिसंबर, मई और सितंबर माह में पहले रविवार को होता है। एमबीए के छात्र अमर चौधरी कहते हैं, आमतौर पर दिसंबर और फरवरी माह में ज्यादा परीक्षार्थी मैट की परीक्षा में शामिल होते हैं। आइमा की महानिदेशक रेखा सेठी के मुताबिक ‘मैट के माध्यम से ऐसे छात्रों के करियर का एक साल बर्बाद होने से बचाता है, जो कैट में सफल होने से चूक गए हैं। मैट छात्रों के लिए ज्यादा सहूलियत भरा है। इसके प्रश्न पत्र का स्तर कैट की तुलना में आसान होता है और खास बात यह है कि मैट में एक साल के भीतर अपनी किस्मत आजमाने के लिए छात्रों को चार मौके मिलते हैं।’
कैसे करें तैयारी
मैट का पैटर्न बहुत कुछ कैट सरीखा ही है। कैट की तैयारी का मेहनत यहां भी काम आ सकता है। इसमें छात्रों से अंग्रेजी भाषा, बौद्धिक और क्रिटिकल रीजनिंग, डाटा इंटरपट्रेशन, गणित और सामान्य ज्ञान की परख की जाती है। सामान्य ज्ञान के अंक पूरे स्कोर में नहीं जोड़े जाते। मैट के सवाल ज्यादा कठिन नहीं होते, लेकिन सवाल हल करने के दौरान स्पीड और एक्यूरेसी पर ज्यादा ध्यान देना होता है। इसमें अगर एक्यूरेसी दर 80 प्रतिशत है तो दाखिला मिलना लगभग तय है। छात्र अगर अपना बेसिक यानी दसवीं तक पढ़ाए जाने वाले विषयों पर अच्छी कमांड रखते हैं। उन विषयों की अवधारणाओं और व्यावहारिक पक्ष से पूरी तरह वाकिफ हैं तो उन्हें मैट में सफलता
पाने में दिक्कत नहीं आएगी।
वर्बल एबिलिटी में अच्छे अंक पाने के लिए रीडिंग कॉम्प्रीहेंशन की ओर ध्यान जरूरी है। इसे ध्यान से पढ़ने के बाद ही सवालों के जवाब समझ में आते हैं। इसके अलावा अंग्रेजी ग्रामर और उसकी शब्दावली, वाक्य विन्यास का भी ज्ञान होना चाहिए। इसके लिए किसी स्तरीय ग्रामर की किताब का सहारा लें। पिछले सालों के सैंपल पेपर से लगातार प्रैक्टिस करने से भी मदद मिलती है। रीजनिंग और डाटा इंटरपट्रेशन के लिए भी अभ्यास खासे मायने रखता है। रेखा सेठी के मुताबिक अवधारणा यानी कॉन्सेप्ट के साथ उसके सही इस्तेमाल पर भी छात्रों को ध्यान देना चाहिए। तय समय में सैम्पल पेपर को हल करने की क्षमता पैदा करें, इसके लिए मॉक टेस्ट लें। मॉक टेस्ट की मदद से आप दबाव में बेहतर प्रदर्शन करना सीख पाएंगे। साथ ही अपनी कमजोरी और मजबूत पक्ष को भी जानें। जिस प्वाइंट पर कमजोर हैं, उस पर खासा ध्यान दें। सभी विषयों पर बराबर ध्यान दें और समसामयिक घटनाओं को जानने के लिए अखबार और एक-दो पत्र-पत्रिकाएं नियमित पढ़ें।
कौन से बी स्कूल शामिल हैं
देश में मैट के जरिए आइमा सेंटर फॉर मैनेजमेंट एजुकेशन (नई दिल्ली), एपीजे स्कूल ऑफ मैनेजमेंट (दिल्ली), एमिटी यूनिवर्सिटी (नोएडा व नई दिल्ली), भारतीय विद्या भवन का ऊषा और लक्ष्मी मित्तल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, आईआईएलएम ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, गेट्रर नोएडा, शोभित यूनिवर्सिटी, मेरठ, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, फगवाड़ा और जगन इंस्टीटॅयूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, नई दिल्ली जैसे कई संस्थानों में दाखिला मिलता है(आनंद कुमार,हिंदुस्तान,दिल्ली,16.11.2010)।
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