दिल्ली हाईकोर्ट ने डीयू के टीचर्स से कहा है कि उन्हें नए सेमेस्टर सिस्टम से पढ़ाना होगा। हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जो टीचर सेमेस्टर सिस्टम से नहीं पढ़ाएंगे उनकी अटेंडेंस नहीं लगेगी और वे गैरहाजिर माने जाएंगे। साथ ही इसे किसी छुट्टी में एडजस्ट नहीं किया जा सकता। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस मनमोहन ने कहा कि है कि अगर कोई टीचर नहीं पढ़ाता है तो यूनिवर्सिटी वैकल्पिक व्यवस्था कर सकती है। अदालत ने साफ किया कि स्टूडेंट के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता।
अदालत ने कहा कि सभी टीचरों को सेमेस्टर के हिसाब से पढ़ाना होगा। इसमें किसी भी तरह का कोई बदलाव मंजूर नहीं होगा। अगर टीचर मंगलवार से नहीं पढ़ाते तो उन्हें गैरहाजिर माना जाए और कॉलेज प्रशासन नियम के हिसाब से कार्रवाई करें। कॉलेज को किसी भी तरह की परेशानी होती है तो 48 घंटे के अंदर डीयू को सूचित करें। सुनवाई के दौरान डीयू की ओर से कहा गया कि 23 नवंबर से प्रैक्टिकल और 6 दिसंबर से सेमेस्टर एग्जाम होने वाले थे लेकिन मौजूदा विवाद के कारण स्टूडेंट की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हुई है , ऐसे में सेमेस्टर एग्जाम की तारीखें बढ़ाई जा सकती हैं। इस पर हाई कोर्ट ने डीयू से कहा कि वह इस बारे में कॉलेज और यूजीसी से संपर्क कर फैसला ले सकती है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि डीयू एक कमिटी बनाए जिसमें यूजीसी के भी मेंबर हों और मीटिंग में सेमेस्टर विवाद को सुलझाया जाए। इसी बीच हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि जो टीचर मंगलवार से नए सेमेस्टर के हिसाब से पढ़ाना शुरू देंगे तो गतिरोध के कारण अगर उनकी पिछले दो महीने में कोई सैलरी रोकी गई है तो डीयू प्रशासन उसे भुगतान कर दे।
कोर्ट ने कहा कि शिक्षा को इन टीचरों के कारण प्रशांत महासागर में नहीं फेंका जा सकता। टीचर्स को कानून अपने हाथ में लेने का कोई अधिकार नहीं है। यह लोकतांत्रिक देश है और यहां कानून का राज है। टीचर यूनिवर्सिटी प्रशासन का ऑर्डर मानने के लिए बाध्य हैं। जिन 31 कॉलेजों में सेमेस्टर सिस्टम लागू है उनसे हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर उन्हें नया सेमेस्टर सिस्टम लागू करने में कोई परेशानी हो तो वह डीयू को इसके बारे में बता सकते हैं ताकि वैकल्पिक व्यवस्था की जा सके।
इस मामले में याचिकाकर्ता प्रफेसर ( रिटायर्ड ) एम . आर . गुप्ता ने अर्जी दाखिल कर कहा था कि साइंस के 13 कोर्स में सेमेस्टर सिस्टम लागू किए गया है। इसके लिए तमाम ऐकडेमिक एक्सपर्ट से लेकर यूजीसी की अनुशंसा ली गई थी , इसके बाद सेमेस्टर सिस्टम को लागू किया गया है। इसे चुनौती नहीं दी जा सकती। डीयू के टीचर्स इस सेमेस्टर सिस्टम का अनादर कर रहे हैं और सेमेस्टर के हिसाब से नहीं पढ़ा रहे। डूटा इस सेमेस्टर सिस्टम का विरोध कर रही है और वह डीयू के किसी निर्देश को नहीं मान रही लेकिन बावजूद इसके डीयू डूटा के खिलाफ एक्शन नहीं ले रहा।
इससे सीधे तौर पर स्टूडेंट का करियर प्रभावित हो रहा है। देखा जाए तो इस पूरे मामले में पीडि़त स्टूडेंट है। याचिका में कहा गया कि कई कॉलेजों में सेमेस्टर सिस्टम लागू किया गया है लेकिन टीचर सहयोग नहीं कर रहे , सेमेस्टर सिस्टम से नहीं पढ़ा रहे और अड़े हैं कि वह एनुअल सिस्टम से ही पढ़ाएंगे। याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने डूटा व अन्य को नोटिस जारी किया था। पिछली सुनवाई के दौरान डूटा ने हड़ताल वापस ले ली थी लेकिन फिर भी कई कॉलेजों में टीचर नए सेमेस्टर सिस्टम से नहीं पढ़ा रहे थे(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,16.11.2010)।
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