बिना किसी वैकेंसी के रेल प्रबंधक कार्यालय ( डीआरएम) की डाक शाखा से पिछले 20 दिनों के भीतर हजारों आवेदन पत्र बेच दिए गए। यही नहीं उन फॉर्मो को इस तरह से जमा करवाया गया, जैसे वाकई कोई भर्ती होनी है। इस फर्जीवाड़े में जहां डाक शाखा के कुछ बाबुओं ने प्रति फॉर्म 15 रुपए में बेचे, वहीं कार्यालय के बाहर स्थित जिरॉक्स के दुकान वाले ने भी जिरॉक्स फॉर्म 25 रुपए प्रति फॉर्म की दर से बेचकर बहती गंगा में जमकर हाथ धोए। चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब कुछ उत्तर-पश्चिम रेल के आला अफसरानों की नाक के नीचे हुआ। डीबी स्टार की पड़ताल में यह साफ हुआ कि यह सुनियोजित जालसाजी रेलवे के ही कुछ लोगों ने की, जिसमें प्यादे तो रेलवे के बाबू थे, मगर बादशाह पर्दे के पीछे से जालसाजी को अंजाम दे रहा था। बेरोजगारों को ठगने की यह घटना केवल जयपुर ही नहीं, अजमेर और जोधपुर के रेल कार्यालयों में भी होने की बात सामने आई है। हकीकत विस्तृत जांच के बाद ही सामने आएगी।
डीबी स्टार को डीआरएम ऑफिस की डाक शाखा से फॉर्म बिकने की सूचना रविवार को ही विभाग में बैठे किसी शुभचिंतक ने दी थी। टीम सोमवार दोपहर एक बजे मौके पर पहुंची तो डीआरएम कार्यालय में युवाओं की कतार लगी नजर आई। सभी के हाथ में नौकरी के लिए आवेदन फॉर्म था। लोगों ने बताया कि यह फॉर्म उन्होंने डाक शाखा के बाबू से खरीदे थे। टीम ने पूछताछ शुरू ही की थी कि अचानक रेलवे के बाबुओं ने आवेदन फॉर्म जमा करने और नए फॉर्म जमा करने से इनकार कर दिया। संभवत:
उन्हें टीम की मौजूदगी की खबर लग चुकी थी। फॉर्म जमा होना बंद हुआ तो युवक हो-हल्ला करने लगे। इस पर डीबी स्टार ने अधिकारियों से सवाल उठाया कि यहां क्या चल रहा है तो जवाब मिला कि हमें पता नहीं। यह बताने पर कि यहां 20 दिनों से नौकरी के लिए आवेदन पत्र बेचे और जमा किए जा रहे हैं तो उन्होंने भी आश्चर्य से आंखें फाड़ते हुए कहा कि नहीं तो ऐसी कोई वैकेंसी ही नहीं है। इसके उल्टे पूछताछ में पता चला कि २५ अक्टूबर से डीआरएम ऑफिस के डाक शाखा से १५ रुपए में फॉर्म बेचे जा रहे थे। वैकेंसी का नाम चतुर्थ श्रेणी की एवजी भर्ती बताया गया।
फॉर्म कौन बेच रहा था, इस सवाल पर कुछ युवकों ने टीम का सामना डाक शाखा के हैड क्लर्क कन्हैयालाल से करवाया। यह सब क्या चल रहा है, इस सवाल के जवाब में कन्हैयालाल ने बताया कि फॉर्म तो २५ अक्टूबर से बेचे और जमा किए जा रहे हैं, लेकिन आज अधिकारियों ने जमा करने से रोक दिया। किसने रोका, इसके जवाब में कन्हैयालाल ने अपने वरिष्ठ हैड क्लर्क मुनीर खां का नाम बताया। मुनीर खां से मुलाकात नहीं हो सकी। पता चला है कि इस आवेदन बिक्री में जालसाजों ने रेलवे बोर्ड के उस पत्र को आधार बनाया है, जिसमें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती करने का अधिकार महाप्रबंधक को दिया गया है। ऑफिस के नजदीक स्थित जिरॉक्स की दुकानों पर पूछताछ में पता चला कि उन्हें फॉर्म डाक शाखा से मिले थे, जिसे वे जिरॉक्स करके बेच रहे हैं। डीआरएम जी.सी. बुदला कोटी जयपुर से बाहर थे। फोन पर बात हुई तो उन्होंने इस बाबत सीनियर डीसीएम से संपर्क करने को कहा।
मुझे कुछ पता नहीं
श्रीकांत महारिया, सीनियर डीसीएम से सवाल
आपके यहां चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती चल रही है?
नहीं तो ऐसी कोई जानकारी मुझे नहीं है।
डीआरएम ऑफिस से तो ऐसे फॉर्म बेचे और जमा किए जा रहे थे?
नियुक्ति का मामला कार्मिक विभाग देखता है, मैं उनसे जानकारी करके ही बता सकता हूं।
मामला आज का नहीं पिछले २क् दिनों से चल रहा था, आज तो बंद हुआ है?
मैंने बताया है कि मेरे से संबंधित मामला नहीं है, इसलिए संज्ञान में नहीं है।
जब आपसे संबंधित मामला नहीं है तो आप को डीआरएम ने क्यों अधिकृत किया है?
ऐसा तय है कि प्रेस से दो ही लोग मुखातिब होंगे। खुद डीआरएम या सीनियर डीसीएम।
क्या माने इस गोरखधंधे का संचालन आपके दफ्तर से ही हो रहा है?
फिलहाल मैं जयपुर में ही नहीं हूं। कल दिन में आपको जानकारी कर बता दूंगा।
इस तरह की कोई भर्ती प्रक्रिया नहीं चल रही है। आप लोग किसी बहकावे में नहीं आएं, जब होगी तो अखबारों में इसके लिए प्रकाशन करवा दिया जाएगा-आर.सी. माथुर, डीपीओ
(डीबी स्टार की पहल पर पता चलने पर कि सब फर्जीवाड़ा है। पीड़ितों ने डीपीओ से संपर्क किया तो उन्होंने यह कमेंट किया।
चार-पांच दिन पहले मेरे चाचा का लड़का फॉर्म जमा करवाकर आया था, उससे ही फॉर्म मंगवाया था। सुबह १२ बजे तक बाबू जमा कर रहे थे, अचानक फॉर्म लेने से मना कर दिया-राधेश्याम बजाक, बांदीकुई(दिनेश गौतम,दैनिक भास्कर,जयपुर,16.11.2010)
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