जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में नए कुलपति की नियुक्ति को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। सर्च कमेटी की दो बैठकों के बाद कुलपति पद पर जिन नामों के सामने आने के कयास लगाए जा रहे हैं वे किसी न किसी रूप में विश्वविद्यालय से जुड़े रहे हैं। हालांकि छात्र और शिक्षक ऐसे कुलपति की नियुक्ति चाहते हैं जो कैंपस के चरित्र को भलीभांति समझ सके। यहां सामाजिक न्याय के फार्मूले को अमली जामा पहना सके।
विश्वविद्यालय में पिछले जून माह में ही कुलपति प्रो बीबी भट्टाचार्य का कार्यकाल खत्म हो गया है। नए कुलपति के आने तक वे पद पर बने हुए हैं। कुलपति के चयन के लिए इसरो के पूर्व चेयरमैन के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में सर्च कमेटी गठित कर दी गई थी। कमेटी में दो अन्य सदस्यों में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री नितिन देसाई और आईआईएससी बंगलोर के निदेशक पी बलराम हैं। कमेटी की दो बैठक हो गई हैं। बताया जाता है कि इसमें जिन नामों पर विचार चल रहा हैं उनमें प्रमुख हैं हैदराबाद यूनिवर्सिटी के कुलपति सैयद ई. हसनैन, राजेन्द्र प्रसाद, जोया हसन, रूपामंजरी घोष और संजय पुरी। इनमें सबसे प्रबल दावेदार प्रो हसनैन को बताया जा रहा है । वे प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के सदस्य भी हैं। देश विदेश की कई समितियों में भी कार्य किया है ।
जैववैज्ञानिक प्रो हसनैन का जेएनयू कैंपस से पुराना नाता रहा है । उन्होंने यहां से अपनी पीएचडी पूरी की है। इसके बाद कुछ समय दिल्ली विश्वविद्यालय में भी कार्य किया है। इनके अलावा कुलपति बनने की दौड़ में शामिल अन्य संभावित नाम भी जेएनयू से ही हैं। इनमें सेंटर फोर इकोनोमिक्स स्टडीज एंड प्लानिंग की प्रो जयती घोष, राजनीति विभाग की जोया हसन, स्कूल ऑफ लाइफ साइंस के राजेन्द्र प्रसाद, स्कूल ऑफ फिजिकल साइंसेज की रूपामंजरी घोष और संजय पुरी हैं। कुलपति की नियुक्ति के सिलसिले में एक सप्ताह पहले कमेटी के सदस्य जेएनयू कैंपस शिक्षकों और छात्रों से बातचीत करने गए थे। सदस्यों ने शिक्षकों और छात्र की राय ली कि वे कैसा कुलपति चाहते हैं। विश्वविद्यालय की छात्र सुचेता ने बताया कि यहां ऐसे कुलपति की जरूरत है जो कैंपस के चरित्र को समझे। यहां की समस्याएं और छात्रों की मांग पर लोकतांत्रिक ढंग से विचार करे। इसके अलावा सबसे बड़ी जरूरत आज यहां सामाजिक न्याय के फार्मूले को अमलीजामा पहनाने की है। २४ को विद्वत परिषद की बैठक हो रही है। इस दिन छात्र ओबीसी कोटा को सही तरीके से लागू करने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन भी करेंगे(अनुपम कुमार,नई दुनिया,दिल्ली,19.11.2010)।
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