राजस्थान तकनीकी शिक्षा मंडल की कार्यप्रणाली से हजारों स्टूडेंट्स पसोपेश में हैं। मंडल का राजस्थान तकनीकी यूनिविर्सिटी, कोटा से तालेमल नहीं होने का खमियाजा साढ़े चार हजार छात्रों को भुगतना पड़ेगा। 10 दिसंबर से इनकी परीक्षा है जबकि इनके एडमिशन ही 22 नवंबर तक हुए हैं।
जागरूक पाठक से डीबी स्टार टीम को सूचना मिली कि डिप्लोमा करके बी.टेक में प्रवेश लेने वाले स्टूडेंट्स परेशान हैं। हजारों स्टूडेंट्स फुटबॉल बने हुए हैं। छात्रों ने कड़ी मेहनत के बाद बी.टेक और फार्मेसी में प्रवेश लिया लेकिन अब वे क्या करें? टीम ने पड़ताल की तो स्टूडेंट्स की दुविधा और जिम्मेदारों की लापरवाही साफ दिखाई दी।
दरअसल, डिप्लोमाधारियों को बी.टेक में प्रवेश देने के लिए राजस्थान प्राविधिक शिक्षा मण्डल की ओर से ‘लेटरल एंट्रेस इन इंजीनियरिंग एंड फार्मेसी’ (लीप-2010) का आयोजन किया गया था।
इसमें हजारों स्टूडेंट्स ने आवेदन दिए थे। इनमें से करीब साढ़े चार हजार स्टूडेंट्स को मेरिट के आधार पर चयनित कर विभिन्न इंजीनियरिंग व फार्मेसी कॉलेजों में प्रवेश दिया गया। इनका प्रवेश सीधे ही बीई सैकंड ईयर के थर्ड सेमेस्टर एवं बी. फार्मा के भी थर्ड सेमेस्टर में हुआ है। इन्हें 22 नवंबर तक कॉलेज में रिपोर्ट करनी थी।
इससे पहले ही नियमित स्टूडेंट्स की परीक्षाएं 10 दिसंबर से तय हो चुकी हैं। ऐसे में डिप्लोमा करके प्रवेश लेने वाले हजारों छात्रों को छह माह का कोर्स पढ़ने के लिए केवल अठारह दिन का समय ही मिला। वहीं परीक्षा तिथि बढ़ाने के लिए स्टूडेंट्स गुहार पर गुहार लगाए जा रहे हैं।
थ्योरी कक्षाएं तो पहले से ही बंद
हैरानी की बात तो यह कि ‘लीप’ से प्रवेश लेने वाले छात्रों को संबंधित कॉलेजों में 22 नवंबर तक रिपोर्ट करनी थी। दोनों ही कोर्स में थर्ड सेमेस्टर 15 दिसंबर से शुरू होने हंै इसलिए एक महीने पहले 15 नवंबर से ही थ्योरी कक्षाएं प्रेक्टिकल्स के कारण बंद हो चुकी हैं।
12 नवंबर से एडमिशन प्रक्रिया शुरू हुई थी। इस तरह से पहले ही दिन प्रवेश लेने वाले छात्रों को भी थ्योरी कक्षाओं के लिए तो महज तीन दिन ही मिल पाए हैं। इन तीन दिनों में वे कैसे पढ़ पाए होंगे।
22 नवंबर तक प्रवेश लिया तब तक तो कक्षाएं ही बंद हो गईं थीं ऐसे में कई छात्रों को तो अभी तक सेलेबस का भी पता नहीं चल पाया है। ‘नेट’ अथवा सीनियर्स से सेलेबस का पता भी करें तो इतने कम समय में कितना पढ़ा जा सकेगा?
नब्बे कक्षाएं तो होनी ही चाहिए
पड़ताल में यह भी पता चला कि नियमानुसार सेमेस्टर के लिए कम से कम 90 कक्षाएं और 75 प्रतिशत उपस्थिति आवश्यक है। ऐसे में ये दोनों शर्ते लीप 2010 परीक्षा पार कर आए डिप्लोमाधारियों के लिए परेशानी का सबब बन गई हैं। अगर परीक्षा तिथि में बदलाव नहीं होता है तो इन स्टूडेंट्स के असफल होने की आशंका है।
जिम्मेदार है निदेशालय
डिप्लोमा स्टूडेंट्स ने मई, 2010 में आवेदन किए थे। जून में इनका प्रोजेक्ट पूरा हो गया लेकिन डिप्लोमा परीक्षा का परिणाम देर से आया। इसकी जिम्मेदारी राजस्थान तकनीकी शिक्षा मंडल की है।
पॉलोटेक्निक से सीधे इंजीनियरिंग एवं फार्मेसी में प्रवेश देने के लिए लीप 2010 परीक्षा का आयोजन भी मंडल ने ही किया था और इसका परिणाम भी देर से आया। कॉलेज में रिपोर्ट करने का समय परीक्षा से मात्र 18 दिन पहले का ही दिया गया।
इस परीक्षा के मार्फत बीई व फार्मेसी में प्रवेश लेने वाले कुल 4533 स्टूडेंट्स हैं। इनमें से कइयों ने महज तीन दिन की कक्षाएं अटेंड की हैं। ऐसे में एक सेमेस्टर की परीक्षा कैसे देंगे? ये कहते हैं कि ऐसे में तो हम फेल हो जाएंगे। हमारा सीधे द्वितीय वर्ष का तीसरा सेमेस्टर देना व्यर्थ हो जाएगा(दैनिक भास्कर,जोधपुर,29.11.2010)।
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