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18 नवंबर 2010

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय:जाली आय प्रमाण पत्र से छात्रवृत्ति में फर्जीवाड़े का भंडाफोड़

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में भी फर्जी आय प्रमाण पत्र के जरिए छात्रवृत्ति हड़पने के मामले का खुलासा हुआ है। फिलवक्त इस जद में एक दर्जन छात्र आएं हैं। जांच जारी है और भी मामले आने की आशंका व्यक्त की जा रही है। समाज कल्याण विभाग द्वारा हुई जांच पड़ताल में इसकी पुष्टि होने के बाद विश्व विद्यालय प्रशासन इन छात्रों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने की तैयारी में जुट गया है। ऐसा ही मामला पिछले दिनों महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में भी सामने आया था।

बताया जाता है कि संस्कृत विवि में सत्र 2009-10 में छात्रवृत्ति हासिल करने के लिए एक दर्जन छात्रों ने अपने परिवार की आय एक लाख रुपये वार्षिक से कम का 'आय प्रमाणपत्र' दिया था। समाज कल्याण विभाग की ओर से जब इन प्रमाणपत्रों की तहसील से जांच-पड़ताल करायी गई तो ये फर्जी निकले। विभाग ने इसकी सूचना विश्वविद्यालय प्रशासन को देते हुए उक्त छात्रों का आवेदन पत्र वापस कर दिया। साथ ही विश्व विद्यालय प्रशासन को ऐसे छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया है। इन छात्रों के बैंक खातों की जांच कर अब तक प्राप्त की हुई छात्रवृत्ति की राशि वसूलने के लिए भी कहा गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि फर्जीगिरी करने वाले छात्रों पर कार्रवाई तय है। तैयारी चल रही है।

विश्वविद्यालय प्रशासन अब स्वयं कराएगा सत्यापन
संस्कृत विवि प्रशासन छात्रवृत्ति के लिए आने आवेदनों में संलग्न आय प्रमाण पत्रों की जांच अब अपने स्तर से कराने के बाद ही फाइल आगे बढ़ाएगा। मालूम हो कि राजस्व विभाग आय प्रमाण बनाने के बाद कोडिंग व अभ्यर्थी का नाम पता समेत राजस्व विभाग की वेबसाइट पर डाल देता है। हालांकि यहां भी प्रक्रिया धीमी है। आय प्रमाण जारी होने के दो-दो माह तक फीडिंग का कार्य पूरा नहीं किया जाता है। बहरहाल, एक बार इंटरनेट पर जारी होने के बाद इसे फर्जी नहीं घोषित किया जा सकता। इस घटना से सबक लेते हुए संस्कृत विवि प्रशासन ने सत्र 2010-11 में छात्रों द्वारा जमा किए गए आय प्रमाण पत्रों की जांच राजस्व विभाग की वेबसाइट से करवाना शुरू कर दिया है। जिनकी आय प्रमाणपत्र का उल्लेख मिलेगा उन्हीं छात्रों के फार्म अब संबंधित विभाग को भेजे जा रहे हैं(दैनिक जागरण,वाराणसी,18.11.2010)।

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