केन्द्रीय निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम को लागू करने के लिए परिवर्तन के प्रस्तावों पर विचार मंथन किया जाएगा। इस संबंध में 10 नवंबर को जयपुर में बैठक रखी गई है।
राजस्थान प्रारंभिक शिक्षा परिषद की ओर से आयोजित इस बैठक में प्रारंभिक शिक्षा निदेशक श्याम सुंदर बिस्सा सहित कई अधिकारी भाग लेंगे। परिषद ने पिछले दिनों कानून को लागू करने के लिए परिवर्तन के प्रस्ताव वेबसाइट पर मांगे थे। बैठक में उन सभी प्रस्तावों पर विचार मंथन किया जाएगा। नए कानून में शिक्षकों को स्कूल में सात घंटे रुकने का प्रावधान किया गया है, जिसे लेकर शिक्षक वर्ग चिंतित है। बालकों को स्कूल में रखने और शिक्षकों की कार्य अवधि में समानता नहीं है। कानून लागू करने पर बालकों की छुट्टी जल्दी हो जाएगी, जबकि शिक्षकों को बिना काम ही ठहरना होगा। कानून में कक्षा एक से पांचवीं तक के लिए 200 दिन स्कूल लगाकर 800 घंटे पढ़ाना और कक्षा छह से आठवीं को 220 दिन स्कूल लगाकर एक हजार घंटे पढ़ाने का प्रावधान किया गया है।
दो सौ दिन में 800 घंटों की गणना से कक्षा एक से पांचवीं को प्रतिदिन केवल चार घंटे स्कूल में रोका जा सकेगा। ऐसे ही 220 दिन में एक हजार घंटों की गणना से कक्षा छह से आठवीं को प्रतिदिन पांच घंटे स्कूल में रोका जा सकेगा।
शिविरा पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष राज्य की सभी स्कूलें औसतन 220-222 दिन लगती हैं। ग्रीष्मकाल में कक्षा एक से लेकर 12वीं तक सभी कक्षाओं को सुबह 7.30 से 12.30 बजे तक पांच घंटे और शीतकाल में 10.30 से शाम 4.30 बजे तक छह घंटे स्कूल में रहना होता है। कानून लागू होने पर कक्षा एक से पांचवीं और कक्षा छह से आठवीं के लिए स्कूल का समय बदलना होगा। कानून में ही शिक्षकों से एक सप्ताह में 45 घंटे कार्य करवाने का प्रावधान किया गया है। एक सप्ताह में छह दिन स्कूल खुलते हैं। कानून के प्रावधान लागू करने के बाद शिक्षकों को रोजाना 7.30 घंटे स्कूल में रुकना होगा। कक्षा एक से पांचवीं के बालक चार घंटे और कक्षा छह से आठवीं के बालक 4.30 घंटे पढ़कर स्कूल से घर चले जाएंगे। फिर शिक्षक तीन घंटे स्कूल में क्या करेंगे। राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश संगठन मंत्री शिव शंकर ओझा का कहना है कि पहले सरकार कानून के अनुसार शिक्षकों के पद स्वीकृत करे फिर दूसरे नियमों पर चर्चा की जाए।
आरटीआई की बैठक में परिवर्तन के प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी। एसएसए ने वेबसाइट पर प्रस्ताव मांगे थे, जिनपर मंथन किया जाएगा।
श्याम सुंदर बिस्सा, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक(दैनिक भास्कर,बीकानेर,9.11.2010)
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