फरवरी माह से वेतन भुगतान न होने और अब तक नियुक्ति सम्बंधी अनुमोदन न मिलने से क्षुब्ध दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के मानदेय शिक्षक उच्च न्यायालय की शरण में चले गये हैं। धर्मेन्द्र सिंह व अन्य बनाम राज्य सरकार की याचिका पर लखनऊ खण्डपीठ ने 16 नवम्बर को विचार भी किया। विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने पक्ष रखने के लिए समय मांगा। न्यायालय ने समय देते हुए 19 नवम्बर को पुन: सुनवाई की तिथि तय कर दी है।
मिली जानकारी के अनुसार मानदेय शिक्षकों ने दायर याचिका में इस बात का जिक्र किया है कि विगत फरवरी माह से उनका वेतन भुगतान नहीं हुआ। इतना ही नहीं अब तक उनके अनुमोदन की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई जबकि इन दिनों में उन्होंने परीक्षा ड्यूटी, कापियों के मूल्यांकन, प्रवेश और बी.एड. काउंसिलिंग आदि कार्यो के निस्तारण में भरपूर सहयोग किये हैं। कई विभागों में मानदेय शिक्षकों ने कक्षाओं में पढ़ा रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय प्रशासन भी शुक्रवार को न्यायालय में याचिका के बाबत रखे जाने वाला अपना पक्ष तैयार कर लिया है(दैनिक जागरण,गोरखपुर,19.11.2010)।
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