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18 नवंबर 2010

आइआइटी,कानपुर : आखिर कब हटेगा आत्महत्याओं का शाप

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) की एक और प्रतिभा पढ़ाई का तनाव नहीं झेल सकी और जान दे दी। बीटेक छात्रा माधुरी साले का शव पंखे से लटका मिला। उसने बुधवार को दिन लगभग दो बजे आत्महत्या की।

संस्थान के बालिका छात्रावास के सी ब्लाक की दूसरी मंजिल पर रह रही बीटेक चतुर्थ वर्ष की सिविल इंजीनियरिंग छात्रा माधुरी साले का शव उसी के कमरे में पंखे से लटका मिला। हालांकि अभी आत्महत्या का कारण पता नहीं चला है परंतु कहा जा रहा है कि वह परीक्षा को लेकर तनाव में थी। मूल रूप से आंध्र प्रदेश की माधुरी ने कोई सुसाइड नोट भी नहीं छोड़ा है। बताया गया कि बुधवार को जब सायं तीन बजे तक उसका कमरा नहीं खुला तो एक सहेली ने दरवाजा खटखटाया। दरवाजा न खुलने पर सुरक्षा कर्मियों को जानकारी दी गयी। उनके प्रयास करने पर भी जब दरवाजा नहीं खुला तो पुलिस की मौजूदगी में दरवाजा तोड़ा गया। संस्थान में इस समय परीक्षा सप्ताह चल रहा है। सभी छात्र दिन रात पढ़ाई में जुटे हैं। समझा जा रहा है कि पिछले दिनों हुई परीक्षा में किसी प्रश्नपत्र के बिगड़ जाने से अवसाद में पहुंची छात्रा ने जीवनलीला समाप्त कर ली।

निदेशक प्रो. संजय गोविंद धांडे ने बताया कि तीन शिक्षकों डॉ. ओंकार दीक्षित, डॉ. मुकेश शर्मा, डॉ. एके घोष व छात्र सी. राहुल की जांच समिति बना दी गयी है। उन्हें पांच दिनों में जांच पूरी करने को कहा गया है। उसके पिता वेंकटेश्वर लू का निधन हो चुका है। आंध्र प्रदेश के नलगोडा निवासी माँ व मामा को सूचना दे दी गयी है। वे यहां गुरुवार को पहुंचेंगे। बताया गया कि माधुरी का बीते रविवार को जन्म दिन था। उसे किसी ने तनाव में नहीं देखा। न ही उसने साथियों व काउंसलिंग टीम से कोई शिकायत की। उधर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। कल्यानपुर इंस्पेक्टर अनिल कुमार ने बताया कि जांच की जा रही है। प्रथम दृष्ट्या माधुरी परीक्षा में कम अंक आने को लेकर तनाव में थी।

आइआइटी में जिस तरह से लगभग हर साल छात्र आत्महत्या कर रहे हैं, उससे यह चर्चा चल पड़ी है कि संस्थान को आत्महत्याओं का श्राप लगा है। तमाम उपायों के बाद भी यह सिलसिला नहीं रुक रहा है। प्रशासन भी परेशान है कि आखिर संस्थान आत्महत्या के श्राप से कब और कैसे मुक्त होगा?

हर साल हुईं आत्महत्याएं :
2009
जी. सुमन: (एमटेक द्वितीय वर्ष) ने 3 जनवरी को कमरे में फांसी लगा ली।
2008 :
-प्रशांत कुमार कुरील : (प्रथम वर्ष बीटेक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग: 18 अप्रैल को अपने कमरे में पंखे से लटक कर आत्महत्या की।
-तोया चटर्जी : (बीटेक अंतिम वर्ष) मानसिक रूप से परेशान थी। उसने दीक्षांत समारोह के दिन 30 मई 2008 को आत्महत्या की।
2007 :
-जे. भारद्वाज : (बीटेक तृतीय वर्ष सिविल इंजीनियरिंग) 25- 26 अप्रैल को आइआइटी गेट पर मथुरा से आने वाली ट्रेन से कटकर आत्महत्या की थी।
2006
-अभिलाष: (केमिस्ट्री पीएचडी छात्र ) ने 6 नवंबर 2006 को आत्महत्या की।
- शैलेश कुमार शर्मा : ( बीटेक केमिकल इंजीनियरिंग) ने 3 मई को अपने कमरे में पंखे से लटक आत्महत्या की।
2005
- स्वप्निल चंद्रकांत धराशकर (बीटेक द्वितीय वर्ष मेकेनिकल इंजीनियरिंग ) ने 30 नवंबर को संकाय भवन से जेईई कार्यालय की ओर कूद कर जान दी।
0इसके अलावा कई साल पहले एक छात्र ने रैगिंग के भय से भवन की छत से कूदकर आत्महत्या की थी(दैनिक जागरण,कानपुर,18.11.2010)।

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