जीआईसी कालसी में पंद्रह कंप्यूटर पिछले एक वर्ष से खराब पड़े हुए हैं। कंप्यूटर खराब होने से छात्र-छात्राएं कंप्यूटर शिक्षा से वंचित हैं। विभाग व शिक्षकों को इनकी चिंता नहीं है। चार साल पहले जीआईसी कालसी को मिले पंद्रह कंप्यूटर एक वर्ष से बंद कमरे में धूल फांक रहे हैं। खराब कंप्यूटरों को ठीक कराने की दिशा में कोई भी गंभीर नहीं दिखाई दे रहा। जिससे विद्यार्थी कंप्यूटर शिक्षा से वंचित हैं। विद्यालय में विभिन्न कक्षाओं में 720 छात्र-छात्राएं अध्यनरत हैं। इंटर कॉलेजों में 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को कंप्यूटर शिक्षा दिए जाने की व्यवस्था है। विद्यालय में खराब पड़े कंप्यूटरों को ठीक न किए जाने से अभिभावकों में रोष व्याप्त है। विद्यालय के अभिभावक-अध्यापक संघ अध्यक्ष कुंदन सिंह चौहान, प्रताप सिंह रावत, महेंद्र सिंह, प्रीतम सिंह चौहान का कहना है कि कंप्यूटर खराब होने से छात्र-छात्राओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। विद्यालय में कंप्यूटर रूम ताला लटका हुआ है। विद्यालय प्रशासन द्वारा पंद्रह में से एक भी कंप्यूटर को ठीक नहीं कराया गया है।उनका कहना है कि जब कंप्यूटर खराब ही पड़े रहने थे तो ये लगाए ही क्यों गए। उनका कहना है कि खराब पड़े कंप्यूटरों को शीघ्र ठीक करवाया जाए। उधर, खंड शिक्षा अधिकारी कालसी एनके हल्दिया का कहना है कि खराब पड़े कंप्यूटरों को ठीक कराने की जिम्मेदारी विद्यालय प्रशासन की है। उनका कहना है कि पांच हजार रुपये तक का खर्चा करने का अधिकार विद्यालय के प्रधानाचार्य को होता है, इससे अधिक खर्चा आने पर बीईओ से अनुमति ली जाती है(दैनिक जागरण,कालसी-देहरादून,28.11.2010)।
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