नाम किसी का, काम किसी का। जी हां, यूटी पुलिस भर्ती में यही खेल होते-होते बचा। दूसरे की जगह लिखित परीक्षा में शामिल होने के लिए फर्जीवाड़े के हर आरोपी को औसतन चार हजार रुपये मेहनताना चुकाने का सौदा हुआ। पास होने पर 60 हजार रुपये और देने का लालच भी दिया गया था। सोमवार को यह सच पुलिस और अदालत दोनों के समक्ष मुखरित हो गया।
जालसाजों का है भरापूरा है नेटवर्क :
पुलिस जांच में यह खुलासा हो चुका है कि फर्जीवाड़ा करने वालों का भरापूरा नेटवर्क है और यह विभिन्न राज्यों में फैला है। बिहार के रहने वाले सतिंदर ने जांच में बताया कि वह रुपये लेकर पेपर देने के लिए चंडीगढ़ आया था। उसे पटना के रंजन ने पानीपत के भूपिंदर के माध्यम से यहां भेजा था। जब वह चंडीगढ़ स्थित परीक्षा केंद्र पर पहुंचा तो भूपिंदर ने उसे राजेश का एडमिट कार्ड दिया। एडमिट कार्ड की फोटो बिलकुल ही खराब कर रखी थी। वह परीक्षा केंद्र तक पहुंच गया। लेकिन पुलिस की कड़ी सुरक्षा के कारण उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसने बताया कि उसे पेपर देने के बाद चार हजार रुपये नकद मिलने थे। पेपर पास होने के बाद भूपिंदर के माध्यम से रंजन को साठ हजार रुपये मिलने थे। यह तय हो चुका था। उसने बताया कि यह राशि रिजल्ट आने के बाद मिलनी थी। उसने बताया कि बीएससी पास करने के बाद भी उसे नौकरी नहीं मिली। जिसके चलते उसने पढ़ाई के दम पर पैसे कमाने का यह रास्ता चुना। वहीं पटना का राजीव कुमार जो बीए पास है, वह भी पैसे लेकर दूसरे युवक की जगह पेपर देने आया था।
शमशेर और प्रदीप दो दिन के रिमांड पर :
सिपाही की भर्ती में दूजे की जगह पेपर देने और परीक्षा केंद्र में मोबाइल फोन के साथ दाखिल होने के नियम के उल्लंघन मेंयुवती समेत पकड़े 21 आरोपियों को जिला अदालत में पेश किया गया। इनमें भिवानी (हरियाणा) के शमशेर और बिहार के रहने वाले प्रदीप कुमार को दो दिन के रिमांड पर भेज दिया गया। पुलिस ने इन दोनों पर सौदेबाजी में शामिल होने का संदेह जताते हुए इन्हें अधिकाधिक दिनों के लिए रिमांड पर भेजने की अपील की थी। अदालत ने एक युवती व 18 युवकों को न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया(दैनिक जागरण,चंडीगढ़,16.11.2010)।
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