कॉलेज गोइंग स्टूडेंट्स के बीच पार्टटाइम जॉब के तौर पर पॉपुलर हुए कॉल सेंटर आज फुलटाइम करियर की उड़ान के तौर पर पहचाने जाने लगे हैं। भारत में 1990 में मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन फर्म के माध्यम से दाखिल होने वाली बीपीओ इंडस्ट्री के यहां पनपने का मुख्य कारण बना बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की भारी संख्या में मौजूदगी तथा अन्य देशों के मुकाबले कम खर्च में उम्दा श्रमशक्ति का उपलब्ध होना। भारत में ऐसे युवा, जो संवाद कौशल में निपुण हैं और अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ रखते हैं, बीपीओ सेक्टर उन्हें खूब भा रहा है।
क्या है बीपीओ, कैसे कर रहा विकास?किसी भी व्यापार से अलग कस्टमर केयर व लेखा संबंधी कई कार्य होते हैं। इन कार्यो को अक्सर कंपनियां ठेके पर कराती हैं और इस प्रक्रिया को बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिग (बीपीओ) के नाम से जाना जाता है। जैसे-जैसे देश-विदेश में व्यापार का विस्तार हो रहा है, बीपीओ सेक्टर भी तेजी से विकसित हो रहा है। अभी तक तो भारत में बीपीओ इंडस्ट्री विदेशों से मिलने वाले काम पर निर्भर होती थी, लेकिन धीरे-धीरे इसे भारत से ही काफी काम मिलने लगा है। बीपीओ क्षेत्र में हो रहे विस्तार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अब इस फील्ड में विशेषज्ञता के मोर्चे पर काम शुरू हो गया है। बीपीओ के साथ-साथ नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिग (केपीओ) व लीगल प्रोसेस आउटसोर्सिग (एलपीओ) भी विशेषज्ञता प्राप्त छात्रों को उम्दा रोजगार उपलब्ध करा रहा है।
रोजगार के अवसर
बीपीओ इंडस्ट्री का विकास किसी से छिपा नहीं है। आर्थिक मंदी के चलते बीपीओ इंडस्ट्री को अमेरिका के तल्ख रवैये के चलते भी खासी परेशानी झेलनी पड़ी थी, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के बाद से राहत की राह आसान हुई है। नैसकॉम की एक रिपोर्ट पर यकीन करें तो जिस तेजी से बीपीओ इंडस्ट्री विकास कर रही है वर्ष 2012 तक इस क्षेत्र में 2 लाख 62 हजार से ज्यादा प्रोफेशनल्स की मांग होगी। यह उद्योग हमारे देश में अपना स्वरूप और सिस्टम पूरी तरह से स्थापित कर चुका है और अब इसका फोकस अपनी मानव संसाधन यानी श्रमशक्ति को बेहतर बनाना है। यही कारण है कि शुरुआती स्तर पर यहां फ्रेश युवाओं की और उच्च पदों पर अनुभवी प्रोफेशनल की मांग है।
कस्टमर केयर से जुड़े अवसर
बीपीओ इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराने वाला क्षेत्र है कस्टमर केयर। कस्टमर केयर सर्विस के तहत ईमेल/वॉयस मेल, मार्केटिंग, डेली सेल्स ऑर्डर प्रोसेसिंग, कस्टमर फीडबैक के रूप में रोजगार उपलब्ध रहता है।
आईटी सॉफ्टवेयर संबंधी अवसर
इस क्षेत्र में बीपीओ की पैठ धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। इस क्षेत्र में विभिन्न एप्लीकेशन टैस्टिंग, टेक्निकल हेल्प डेस्क (हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर) के जानकारों के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध रहते हैं।
फाइनेंस संबंधी अवसर फाइनेंस के क्षेत्र में भी बहुराष्ट्रीय कंपनियां बीपीओ का सहारा लेने लगी हैं। इसके माध्यम से कंपनियां अकाउंटिंग, ऑडिटिंग, बिलिंग, उधार वसूली आदि का कार्य करती हैं। इन कार्यो के लिए आए दिन राष्ट्रीय/ बहुराष्ट्रीय कंपनियां बीपीओ की ओर रुख कर रही हैं।
मानव संसाधन के क्षेत्र में अवसर
बीपीओ का महत्त्व जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है, मानव संसाधन के क्षेत्र में भी इसका इस्तेमाल जोर पकड़ता जा रहा है। आज विभिन्न कंपनियां पे-रोल, ट्रेनिंग व नियुक्तियों के स्तर पर बीपीओ की सहायता ले रही हैं।
अन्य क्षेत्रों में उपलब्ध अवसरमेडिकल और लीगल ट्रांसक्रिप्शन के लिए बीपीओ का इस्तेमाल भारत में जोर पकड़ रहा है, जिसके लिए लगातार योग्य श्रमशक्ति की मांग बनी हुई है।
शैक्षिक योग्यता
बीपीओ के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता है बारहवीं पास है। बावजूद इसके तमाम बीपीओ नियोक्ताओं की ओर से स्नातक उम्मीदवारों को वरीयता दी जाती है। कारण, ऐसे युवाओं में प्रोफेशनल्जिम के मुताबिक ढलने की क्षमता बारहवीं पास छात्रों से अधिक रहता है। स्किल्स की बात करें तो बीपीओ सेक्टर में काम करने वाले युवाओं के लिए अंग्रेजी भाषा पर पकड़ होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा उसका संवाद कुशल होना भी आवश्यक है, क्योंकि इस क्षेत्र में ग्राहक की आत्मसंतुष्टि जरूरी है और यही कारण है कि आपको इसके लिए अन्य क्षेत्रों के मुकाबले ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है।
ट्रेनिंग व चयन प्रक्रिया
दिल्ली विश्वविद्यालय के कैम्पस प्लेसमेंट सेशन में हाल ही में पहुंची जेनपेक्ट की अधिकारी ने बताया कि बीपीओ सेक्टर के लिए योग्य उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया अलग-अलग पद के लिए अलग-अलग होती है। अमूमन ज्यादातर नियुक्तियां शुरुआती स्तर की होती हैं, जिनमें सबसे पहले उम्मीदवारों की क्षमताओं का मूल्याकंन करने के लिए एक टैस्ट का सहारा लिया जाता है।
इस टैस्ट के माध्यम से कम्पनी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इच्छुक उम्मीदवार की क्षमताओं को आंका जाता है। इसके पश्चात जब उम्मीदवार टैस्ट में सफल होता है तो बारी आती है परिचय की। परिचय के माध्यम से उम्मीदवार के संवाद कौशल को परखा जाता है और उसकी पृष्ठभूमि का आंकलन किया जाता है और इसका मूल उद्देश्य कम्पनी की ओर से व्यक्ति विशेष के लिए जरूरी ट्रेनिंग प्रक्रिया का निर्धारण करना होता है। इस अधिकारी के अनुसार सीधे तौर पर किसी भी व्यक्ति को काम में नहीं जुटाया जाता।
हर किसी को नियुक्ति के बाद काम की ट्रेनिंग दी जाती है, फिर चाहे वह कस्टमर रिलेंशस से जुड़े या फिर रिस्पॉन्स टीम में जाये। ऐसे में फोन पर बात करने से लेकर ईमेल स्वीकार करने और जवाब देने की विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के दौरान ही कम्पनी में होने वाले काम और उससे जड़ी अहम जानकारियों से भी उम्मीदवार को रूबरू कराया जाता है ताकि गलती की कोई गुंजाइश शेष न बचे।
क्वालिटी डिपार्टमेंट
बहुत-सी कम्पनियां अलग से क्वालिटी डिपार्टमेंट रखती है। यह एक ऐसा विभाग है, जो दैनिक गतिविधियों पर न सिर्फ नजर रखता है, बल्कि नई-नई नौकरियां भी तैयार करता है। ऐसे बीपीओ प्रोफेशनल, जो क्वालिटी डिपार्टमेंट में काम करते है, वे अमूमन एग्जीक्यूटिव बन पहली श्रेणी पर आकर काम करने का अवसर पाते हैं।
बीपीओ के बाद राहें और भी हैं
बीपीओ में काम करने वालों में संवाद कौशल की निपुणता और बातों को समझने और उसके मुताबिक काम करने का गुण खासतौर पर देखने को मिलता है। ये ऐसे एक्सपर्ट्स होते हैं, जो काम करते-करते बहुत जल्द ही फाइनेंशियल प्रोडक्ट की जानकारी से लेकर तकनीकी क्षमताओं के भी अच्छे ज्ञाता हो जाते हैं। बीपीओ के क्षेत्र में काम करने के बाद यदि आप अन्य विकल्पों की तलाश करेंगे तो सेल्स व कस्टमर सर्विस के क्षेत्र में दाखिल हो सके हैं और बेहतर करियर विकल्प पा सकते हैं।
जिस तरह की क्षमताओं की जरूरत बीपीओ के क्षेत्र में होती है, ठीक उसी तरह की स्किल्स टेलिकॉम, आईटी, हॉस्पिटेलिटी, ट्रैवल एंड टूरिज्म, रिटेल, बैकिंग एंड फाइनेंस सेक्टर में भी होती है। आप इन क्षेत्रों में भी अपना भविष्य बना सकते हैं। इन क्षेत्रों में दाखिल होने के लिए आप कुछ पार्टटाइम डिप्लोमा कोर्स करके भी बेहतर विकल्प हासिल कर सकते हैं।
बीपीओ इंडस्ट्री में यदि आप शीर्ष स्तर पर पहुंच कर जॉब छोड़ने और कोई अन्य विकल्प तलाशना चाहते हैं तो उस स्तर पर भी आपके लिए विभिन्न क्षेत्र में सम्भावनाएं हैं। मानव संसाधन विभाग में कार्यरत होने पर आप किसी भी अन्य संस्थान में वही काम अंजाम दे सकते हैं, जो आप बीपीओ में कर रहे थे। यहां भी एमबीए डिग्री आपके काम आयेगी और अन्य संस्थानों में भी।
बीपीओ : विकास के अवसर व उनसे जुड़े कर्त्तव्य
बीपीओ सेक्टर में शुरुआती दौर में युवा पार्टटाइम जॉब के उद्देश्य से पहुंचना शुरू हुए थे, लेकिन जिस तेजी से इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े, उसी तेजी से यह पार्टटाइम से फुलटाइम ऑप्शन के तौर पर विकसित हो चला है। इस क्षेत्र में उपलब्ध विकल्पांे में शुरुआती स्तर होता है कस्टमर सर्विस एजेंट, एसोसिएट, टेक्निकल, सर्विस रिप्रेजेन्टेटिव। अनुभव प्राप्त युवाओं को टीम लीडर, सुपरवाइजर, प्रोडक्ट या प्रोसेस ट्रेनर, अकाउंट या प्रोसेस मैनेजर, सुपरवाइजर और ऑपरेंशस मैनेजर के पदों पर काम करने के अवसर दिए जाते हैं। इस तरह साफ है कि इसमें आपकी क्षमताओं और अनुभव को देखते हुए भरपूर विकल्प मौजूद हैं।
ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंटविभिन्न संस्थानों में मानव संसाधन के लिए ट्रेनिंग एक अहम पहलू होता है और यही कारण है कि इसके लिए विशेष डिवीजन तक बनाये जाते हैं। अगर आप दूसरों को सीखाने, संवाद कौशल में निपुण और इंडस्ट्री में तीन-साल का समय गुजार चुके हैं तो आप इस काम को बेहतर ढंग से कर सकते हैं। इस क्षेत्र में जहां आप किसी संस्थान के ट्रेनिंग विंग का नेतृत्व करने का अवसर पा सकते हैं, वहीं दूसरी ओर आप अपना भी अलग संस्थान तैयार कर सकते हैं। कई बीपीओ ट्रेनिंग के मोर्च पर बाहरी सेवाएं लेते हैं।
मानव संसाधनमानव संसाधन यानी ह्यूमन रिसोर्स के मोर्चे पर आप दो क्षेत्रों में काम कर आगे बढ़ सकते हैं। पहला नियुक्ति सलाहकार के तौर पर आप संस्थान के लिए ऐसे उम्मीदवारांे का चुनाव कर सकते हैं, जो कार्यक्षेत्र के लिहाज से बेहतर हों। इसी तरह मानव संसाधन के मोर्चे पर आप उपलब्ध श्रमशक्ति के बीच समन्वय स्थापित करने, दैनिक आधार पर कर्मचारियों के मुद्दों के स्तर पर भी काम कर सकते हैं। दोनों ही स्तरों पर काम करने के लिए एमबीए डिग्री प्राप्त होना जरूरी है।
प्रबंधन व संसाधन बीपीओ क्षेत्र में कार्यरत संस्थान बड़े स्तर पर संसाधनों का विकास करते हैं और इसके लिए उन्हें उम्दा श्रमशक्ति की जरूरत होती है। यह वही लोग होते हैं, जो कोऑर्डिनेशन के स्तर पर एक आंतरिक संस्थान के तौर पर काम करते हैं। बीपीओ के क्षेत्र में ट्रासपोर्ट एक अहम विभाग होता है, जिसका संचालन भी एक्सपर्ट्स की निगरानी में होता है।
(पायल रावत,हिंदुस्तान,दिल्ली,23.11.2010)
क्या है बीपीओ, कैसे कर रहा विकास?किसी भी व्यापार से अलग कस्टमर केयर व लेखा संबंधी कई कार्य होते हैं। इन कार्यो को अक्सर कंपनियां ठेके पर कराती हैं और इस प्रक्रिया को बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिग (बीपीओ) के नाम से जाना जाता है। जैसे-जैसे देश-विदेश में व्यापार का विस्तार हो रहा है, बीपीओ सेक्टर भी तेजी से विकसित हो रहा है। अभी तक तो भारत में बीपीओ इंडस्ट्री विदेशों से मिलने वाले काम पर निर्भर होती थी, लेकिन धीरे-धीरे इसे भारत से ही काफी काम मिलने लगा है। बीपीओ क्षेत्र में हो रहे विस्तार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अब इस फील्ड में विशेषज्ञता के मोर्चे पर काम शुरू हो गया है। बीपीओ के साथ-साथ नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिग (केपीओ) व लीगल प्रोसेस आउटसोर्सिग (एलपीओ) भी विशेषज्ञता प्राप्त छात्रों को उम्दा रोजगार उपलब्ध करा रहा है।
रोजगार के अवसर
बीपीओ इंडस्ट्री का विकास किसी से छिपा नहीं है। आर्थिक मंदी के चलते बीपीओ इंडस्ट्री को अमेरिका के तल्ख रवैये के चलते भी खासी परेशानी झेलनी पड़ी थी, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के बाद से राहत की राह आसान हुई है। नैसकॉम की एक रिपोर्ट पर यकीन करें तो जिस तेजी से बीपीओ इंडस्ट्री विकास कर रही है वर्ष 2012 तक इस क्षेत्र में 2 लाख 62 हजार से ज्यादा प्रोफेशनल्स की मांग होगी। यह उद्योग हमारे देश में अपना स्वरूप और सिस्टम पूरी तरह से स्थापित कर चुका है और अब इसका फोकस अपनी मानव संसाधन यानी श्रमशक्ति को बेहतर बनाना है। यही कारण है कि शुरुआती स्तर पर यहां फ्रेश युवाओं की और उच्च पदों पर अनुभवी प्रोफेशनल की मांग है।
कस्टमर केयर से जुड़े अवसर
बीपीओ इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराने वाला क्षेत्र है कस्टमर केयर। कस्टमर केयर सर्विस के तहत ईमेल/वॉयस मेल, मार्केटिंग, डेली सेल्स ऑर्डर प्रोसेसिंग, कस्टमर फीडबैक के रूप में रोजगार उपलब्ध रहता है।
आईटी सॉफ्टवेयर संबंधी अवसर
इस क्षेत्र में बीपीओ की पैठ धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। इस क्षेत्र में विभिन्न एप्लीकेशन टैस्टिंग, टेक्निकल हेल्प डेस्क (हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर) के जानकारों के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध रहते हैं।
फाइनेंस संबंधी अवसर फाइनेंस के क्षेत्र में भी बहुराष्ट्रीय कंपनियां बीपीओ का सहारा लेने लगी हैं। इसके माध्यम से कंपनियां अकाउंटिंग, ऑडिटिंग, बिलिंग, उधार वसूली आदि का कार्य करती हैं। इन कार्यो के लिए आए दिन राष्ट्रीय/ बहुराष्ट्रीय कंपनियां बीपीओ की ओर रुख कर रही हैं।
मानव संसाधन के क्षेत्र में अवसर
बीपीओ का महत्त्व जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है, मानव संसाधन के क्षेत्र में भी इसका इस्तेमाल जोर पकड़ता जा रहा है। आज विभिन्न कंपनियां पे-रोल, ट्रेनिंग व नियुक्तियों के स्तर पर बीपीओ की सहायता ले रही हैं।
अन्य क्षेत्रों में उपलब्ध अवसरमेडिकल और लीगल ट्रांसक्रिप्शन के लिए बीपीओ का इस्तेमाल भारत में जोर पकड़ रहा है, जिसके लिए लगातार योग्य श्रमशक्ति की मांग बनी हुई है।
शैक्षिक योग्यता
बीपीओ के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता है बारहवीं पास है। बावजूद इसके तमाम बीपीओ नियोक्ताओं की ओर से स्नातक उम्मीदवारों को वरीयता दी जाती है। कारण, ऐसे युवाओं में प्रोफेशनल्जिम के मुताबिक ढलने की क्षमता बारहवीं पास छात्रों से अधिक रहता है। स्किल्स की बात करें तो बीपीओ सेक्टर में काम करने वाले युवाओं के लिए अंग्रेजी भाषा पर पकड़ होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा उसका संवाद कुशल होना भी आवश्यक है, क्योंकि इस क्षेत्र में ग्राहक की आत्मसंतुष्टि जरूरी है और यही कारण है कि आपको इसके लिए अन्य क्षेत्रों के मुकाबले ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है।
ट्रेनिंग व चयन प्रक्रिया
दिल्ली विश्वविद्यालय के कैम्पस प्लेसमेंट सेशन में हाल ही में पहुंची जेनपेक्ट की अधिकारी ने बताया कि बीपीओ सेक्टर के लिए योग्य उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया अलग-अलग पद के लिए अलग-अलग होती है। अमूमन ज्यादातर नियुक्तियां शुरुआती स्तर की होती हैं, जिनमें सबसे पहले उम्मीदवारों की क्षमताओं का मूल्याकंन करने के लिए एक टैस्ट का सहारा लिया जाता है।
इस टैस्ट के माध्यम से कम्पनी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इच्छुक उम्मीदवार की क्षमताओं को आंका जाता है। इसके पश्चात जब उम्मीदवार टैस्ट में सफल होता है तो बारी आती है परिचय की। परिचय के माध्यम से उम्मीदवार के संवाद कौशल को परखा जाता है और उसकी पृष्ठभूमि का आंकलन किया जाता है और इसका मूल उद्देश्य कम्पनी की ओर से व्यक्ति विशेष के लिए जरूरी ट्रेनिंग प्रक्रिया का निर्धारण करना होता है। इस अधिकारी के अनुसार सीधे तौर पर किसी भी व्यक्ति को काम में नहीं जुटाया जाता।
हर किसी को नियुक्ति के बाद काम की ट्रेनिंग दी जाती है, फिर चाहे वह कस्टमर रिलेंशस से जुड़े या फिर रिस्पॉन्स टीम में जाये। ऐसे में फोन पर बात करने से लेकर ईमेल स्वीकार करने और जवाब देने की विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के दौरान ही कम्पनी में होने वाले काम और उससे जड़ी अहम जानकारियों से भी उम्मीदवार को रूबरू कराया जाता है ताकि गलती की कोई गुंजाइश शेष न बचे।
क्वालिटी डिपार्टमेंट
बहुत-सी कम्पनियां अलग से क्वालिटी डिपार्टमेंट रखती है। यह एक ऐसा विभाग है, जो दैनिक गतिविधियों पर न सिर्फ नजर रखता है, बल्कि नई-नई नौकरियां भी तैयार करता है। ऐसे बीपीओ प्रोफेशनल, जो क्वालिटी डिपार्टमेंट में काम करते है, वे अमूमन एग्जीक्यूटिव बन पहली श्रेणी पर आकर काम करने का अवसर पाते हैं।
बीपीओ के बाद राहें और भी हैं
बीपीओ में काम करने वालों में संवाद कौशल की निपुणता और बातों को समझने और उसके मुताबिक काम करने का गुण खासतौर पर देखने को मिलता है। ये ऐसे एक्सपर्ट्स होते हैं, जो काम करते-करते बहुत जल्द ही फाइनेंशियल प्रोडक्ट की जानकारी से लेकर तकनीकी क्षमताओं के भी अच्छे ज्ञाता हो जाते हैं। बीपीओ के क्षेत्र में काम करने के बाद यदि आप अन्य विकल्पों की तलाश करेंगे तो सेल्स व कस्टमर सर्विस के क्षेत्र में दाखिल हो सके हैं और बेहतर करियर विकल्प पा सकते हैं।
जिस तरह की क्षमताओं की जरूरत बीपीओ के क्षेत्र में होती है, ठीक उसी तरह की स्किल्स टेलिकॉम, आईटी, हॉस्पिटेलिटी, ट्रैवल एंड टूरिज्म, रिटेल, बैकिंग एंड फाइनेंस सेक्टर में भी होती है। आप इन क्षेत्रों में भी अपना भविष्य बना सकते हैं। इन क्षेत्रों में दाखिल होने के लिए आप कुछ पार्टटाइम डिप्लोमा कोर्स करके भी बेहतर विकल्प हासिल कर सकते हैं।
बीपीओ इंडस्ट्री में यदि आप शीर्ष स्तर पर पहुंच कर जॉब छोड़ने और कोई अन्य विकल्प तलाशना चाहते हैं तो उस स्तर पर भी आपके लिए विभिन्न क्षेत्र में सम्भावनाएं हैं। मानव संसाधन विभाग में कार्यरत होने पर आप किसी भी अन्य संस्थान में वही काम अंजाम दे सकते हैं, जो आप बीपीओ में कर रहे थे। यहां भी एमबीए डिग्री आपके काम आयेगी और अन्य संस्थानों में भी।
बीपीओ : विकास के अवसर व उनसे जुड़े कर्त्तव्य
बीपीओ सेक्टर में शुरुआती दौर में युवा पार्टटाइम जॉब के उद्देश्य से पहुंचना शुरू हुए थे, लेकिन जिस तेजी से इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े, उसी तेजी से यह पार्टटाइम से फुलटाइम ऑप्शन के तौर पर विकसित हो चला है। इस क्षेत्र में उपलब्ध विकल्पांे में शुरुआती स्तर होता है कस्टमर सर्विस एजेंट, एसोसिएट, टेक्निकल, सर्विस रिप्रेजेन्टेटिव। अनुभव प्राप्त युवाओं को टीम लीडर, सुपरवाइजर, प्रोडक्ट या प्रोसेस ट्रेनर, अकाउंट या प्रोसेस मैनेजर, सुपरवाइजर और ऑपरेंशस मैनेजर के पदों पर काम करने के अवसर दिए जाते हैं। इस तरह साफ है कि इसमें आपकी क्षमताओं और अनुभव को देखते हुए भरपूर विकल्प मौजूद हैं।
ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंटविभिन्न संस्थानों में मानव संसाधन के लिए ट्रेनिंग एक अहम पहलू होता है और यही कारण है कि इसके लिए विशेष डिवीजन तक बनाये जाते हैं। अगर आप दूसरों को सीखाने, संवाद कौशल में निपुण और इंडस्ट्री में तीन-साल का समय गुजार चुके हैं तो आप इस काम को बेहतर ढंग से कर सकते हैं। इस क्षेत्र में जहां आप किसी संस्थान के ट्रेनिंग विंग का नेतृत्व करने का अवसर पा सकते हैं, वहीं दूसरी ओर आप अपना भी अलग संस्थान तैयार कर सकते हैं। कई बीपीओ ट्रेनिंग के मोर्च पर बाहरी सेवाएं लेते हैं।
मानव संसाधनमानव संसाधन यानी ह्यूमन रिसोर्स के मोर्चे पर आप दो क्षेत्रों में काम कर आगे बढ़ सकते हैं। पहला नियुक्ति सलाहकार के तौर पर आप संस्थान के लिए ऐसे उम्मीदवारांे का चुनाव कर सकते हैं, जो कार्यक्षेत्र के लिहाज से बेहतर हों। इसी तरह मानव संसाधन के मोर्चे पर आप उपलब्ध श्रमशक्ति के बीच समन्वय स्थापित करने, दैनिक आधार पर कर्मचारियों के मुद्दों के स्तर पर भी काम कर सकते हैं। दोनों ही स्तरों पर काम करने के लिए एमबीए डिग्री प्राप्त होना जरूरी है।
प्रबंधन व संसाधन बीपीओ क्षेत्र में कार्यरत संस्थान बड़े स्तर पर संसाधनों का विकास करते हैं और इसके लिए उन्हें उम्दा श्रमशक्ति की जरूरत होती है। यह वही लोग होते हैं, जो कोऑर्डिनेशन के स्तर पर एक आंतरिक संस्थान के तौर पर काम करते हैं। बीपीओ के क्षेत्र में ट्रासपोर्ट एक अहम विभाग होता है, जिसका संचालन भी एक्सपर्ट्स की निगरानी में होता है।
(पायल रावत,हिंदुस्तान,दिल्ली,23.11.2010)
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