मध्यप्रदेश के दो लाख से अधिक शिक्षकों का ब्लड ग्रुप डाटा और मोबाइल नंबर अब ऑन लाइन उपलब्ध है। अगर शिक्षक तैयार हो तो जरुरतमंद उनसे आवश्यक ग्रुप का रक्त बतौर दान ले भी सकते हैं। यह अनोखी पहल स्कूल शिक्षा विभाग ने की है। विभाग का यह कदम सैंकड़ों जिंदगियाँ बचाने वाला हो सकता है।
देश में इस तरह की पहल पहली बार हुई है। ऑन लाइन डाटा में सुविधा यह है कि आप चाहें तो अपने जिले और ब्लड ग्रुप के आधार पर तुरंत सैकड़ों लोगों को बस एक क्लिक में ढूंढ लें। सूची में मौजूद लोगों के मोबाइल नंबर पर सम्पर्क करें और जो भी रक्तदान के लिए राजी हो, उससे रक्त ले लें। स्कूली शिक्षा विभाग ने अपने एजुकेशन पोर्टल पर शिक्षकों की यह सूची उपलब्ध कराई है। ऑनलाइन सूचियों में सभी जिलों के शिक्षकों का नाम, मोबाइल नंबर और पता तक मौजूद है।
मोबाइल पर फोन करके किसी भी ब्लड गु्रप के शिक्षक से बात की जा सकती है। इतना जरुर है कि शिक्षा विभाग ने ब्लड गु्रप की जानकारी केवल उपलब्ध कराई है। हाँलाकि रक्तदान करना या नहीं, यह निर्णय शिक्षक अपने विवेक से करेंगे।
भोपाल, इंदौर या प्रदेश के किसी भी जिले में यदि किसी को खून की जरुरत होती है, तो वह स्कूली शिक्षा विभाग के एजुकेशन पोर्टल पर जाकर अपने जिले और आवश्यकता वाले ब्लड गु्रप के नाम से शिक्षकों की सूची ढूंढ सकता है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी का ब्लड गु्रप बी-पॉजिटिव है तो उसे पोर्टल पर निर्धारित लिंक पर जाकर पहले अपना जिला चुनना होगा। फिर पहले से मौजूद ब्लड ग्रुप की सूची में बी-पॉजीटिव को ओके करना होगा। इसके बाद क्लिक करने पर उस जिले में उस ब्लड गु्रप के सारे शिक्षकों की सूची नाम, पते और मोबाइल नंबर सहित सामने आ जाएगी। इसके बाद सम्बन्धित शिक्षक को फोन करिए। सामान्य लोगों के अलावा यह जरुरतमंद शिक्षकों के लिए भी लाभदायक है।
स्कूल शिक्षा विभाग ने पिछले साल से सभी शिक्षकों की ई-सर्विस बुक अनिवार्य कर दी है। साथ ही हर शिक्षक का हेल्थ कार्ड भी बनाया गया है। इसलिए उसके स्वास्थ्य संबंधी हर जानकारी इस कार्ड में दर्ज की गई। इसी डाटा को ब्लड ग्रुप के आधार पर वर्गीकृत करके रिकॉर्ड ऑनलाइन किया गया है।
अभी एक लाख से ज्यादा शिक्षकों की जानकारी आना बाकी है। इन शिक्षकों की ई-सर्विस बुक और ई-हेल्थ-कार्ड बनाने की प्रक्रिया चल रही है। जैसे ही इनका कार्ड बनेगा ब्लड गु्रप का डाटा भी ऑनलाइन कर दिया जाएगा। वहीं कई ऐसे शिक्षक हैं, जिनकी ई-सर्विस बुक और हेल्थ कार्ड तो बन गए, लेकिन इन्होंने ब्लड गु्रप नहीं लिखा था। इसके चलते इन शिक्षकों से ब्लड गु्रप जानने की प्रक्रिया भी चल रही है। बतौर उदाहरण भोपाल जिले में करीब एक हजार चार सौ शिक्षकों का ब्लड गु्रप अभी विभाग को पता नहीं है(नई दुनिया,भोपाल,8.11.2010)
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