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06 नवंबर 2010

लोक प्रशासन में कॅरिअर

समकालीन विश्व में प्रत्येक सरकार सार्वभौमिकरण, आर्थिक प्रतिस्पर्धा-जो राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर जाती है, सामाजिक तथा राजनीतिक उथल-पुथल, प्रौद्योगिकीय परिवर्तनों, आतंकवाद की आशंकाओं तथा एक तीव्र गति से परिवर्तनशील श्रमिक बाजार जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रही है। इन चुनौतियों का सामना व्यक्तियों तथा संस्थाओं के माध्यम से क्षमता-निर्माण द्वारा किया जा सकता है। यह केवल व्यक्ति ही कार्य- निष्पादन दे सकते हैं। वे अपने ज्ञान तथा कौशल का श्रेष्ठ उपयोग करके सेवाएं प्रदान करते हैं, पहल-शक्ति को बढ़ावा देते हैं और उनमें सुधार लाते हैं। इस प्रकार किसी भी राष्ट्र में किसी लोक प्रशासक का कार्य अत्यधिक महत्वपूर्ण और उसकी भूमिका अनिवार्य हो गई है। अच्छे शासन के लिए विशेषज्ञ एवं कुशल प्रशासक की अत्यधिक आवश्यकता है।

लोक प्रशासन एक ऐसी प्रणाली है, जिसके माध्यम से सरकार शासन एवं नियंत्राण का अपना कार्य प्रभावी रूप से करती है। यह प्रणाली एक समय समाज बनाए रखने तथा जनता की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाई गई है। कोई भी अनिर्वाचित सरकारी कर्मचारी, जो आम जनता के कार्यों से सीधे जुड़ा होता है, उसे लोक प्रशासक कहा जा सकता है। वे शहर के बजट का प्रबंध करने, नीति तथा विधि का विकास करने, नीतियों को कार्यान्वित करने, जनता की आवश्यकताओं को निर्धारित करने तथा उनका समाधान करने के लिए सूचना का विश्लेषण करने सहित विविध कार्य करते हैं। इनके कार्य जनता के कल्याण से जुड़े हैं। लोक प्रशासन को बनाए रखना किसी भी सरकार का प्रथम और प्रमुख दायित्व है। लोक प्रशासन की जड़ें प्लेटो तथा अरस्तू के समय भी फैली हुई थीं, जिन्होंने आम जनता के जीवन में सरकार के महत्व पर प्रकाश डाला था। इस संबंध में कौटिल्य (चाणक्य) का योगदान उनकी पुस्तक ''अर्थशास्त्र`` के माध्यम से उजागर होता है।

लोक प्रशासन को अब शैक्षिक जगत में भी प्रस्तुत किया गया है। जनता को लोक-प्रशासन में शिक्षा देने का उद्देश्य, उन्हें समानता, न्याय, सुरक्षा, प्रभावकारिता तथा व्यवस्था जैसे लोकतांत्राक महत्वों में प्रशिक्षित करना है। यह ऐसे मानव संसाधनों को भी तैयार करता है जो सरकार की सार्वजनिक नीतियों का विश्लेषण तथा समीक्षा कर सकें। ये लोक प्रशासक सरकार की योजना, संगठन, निदेशन, समन्वय जैसी नीतियों एवं कार्यक्रमों के निर्धारण एवं सरकारी कार्यों के नियंत्राण का दायित्व उठाने में सक्षम होते हैं। लोक प्रशासन, निष्पादन तथा निदेशन में विशिष्ट प्रशिक्षण के कारण यह क्षेत्रा आज असीम अवसरों वाला एक विशेष व्यवसाय बन गया है। लोक प्रशासन के पांच मुख्य शीर्ष हैं।

मानव संसाधन प्रबंध
मानव संसाधन प्रबंध का कार्य कर्मचारियों को रिकॉर्ड, पदोन्नति, उन्नति, लाभ, प्रतिपूर्ति का प्रबंध करने की क्षमता से सम्पन्न करना तथा जीवन-कौशल में उन्हें कई प्रशिक्षण देना है ताकि संगठनात्मक तथा व्यक्तिगत दबाव का सामना करने के लिए उनमें नई शक्ति का विकास किया जा सके। मानव संसाधन प्रबंध व्यक्तियों को व्यवसायी, प्रशासनिक तथा तकनीकी कर्मचारी बनने के लिए प्रशिक्षित करता है।

संगठन तथा लोक प्रशासन
सरकारी संगठन की संरचना का अध्ययन लोक प्रशासन के माध्यम से किया जाता है। यह शाखा प्रशिक्षणार्थियों को, संगठन की मिश्रित व्यवस्था को समझने तथा वहां कार्य करने में सहायता देती है। यह उन्हें यह समझने में भी सहायता देती है कि कर्मचारियों में शक्ति किस तरह विभाजित की जाती है। लोक प्रशासन के कई ऐसे संगठनात्मक सिद्धांत हैं जो प्रबंध के पुराने प्रतिरूपों से लेकर मानवीय प्रतिरूपों तक के क्षेत्रों में बड़े परिवर्तनों को शामिल करते हैं।

लोक प्रशासन में नीतिशास्त्र
नीतिशास्त्रा का ज्ञान, लोक प्रशासकों को नीतिपरक सिद्धांतों की समझ तथा उन्हें लागू करने का एक व्यावहारिक ढांचा प्रदान करता है। यह प्रशासकों को नीतिपरक सिद्धांतों की एक ऐसी धारणा तथा संकल्पना भी देता है जहां से नीतिपरक सिद्धांत व्युत्पन्न होते हैं। नीतिशास्त्रा मूल रूप से सरकार को सामान्य सेवाएं देने के लिए कार्य करते समय दैनिक दायित्वों को पूरा करने के दौरान लिए गए निर्णयों, कार्यों के नैतिक न्याय एवं सोच-विचार से संबंधित है।

सार्वजनिक नीति तथा लोक प्रशासन
यह प्रशासकों को सरकारी नियमों तथा कार्यक्रमों का ज्ञान देती है। इसमें विधियां, स्थानीय अध्यादेश, न्यायालयों के निर्णय, कार्यपालकों के आदेश तथा प्रशासकों के निर्णय शामिल हैं। वे निर्णय लेते समय विभिन्न दबाव-समूहों की भूमिकाओं से भी परिचित होते हैं। इन दबाव समूहों में राजनीतिक दल, इच्छुक समूह, सामाजिक आंदोलन मास-मीडिया तथा अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां शामिल हैं।

वित्त तथा लोक प्रशासन
वित्तीय प्रबंध किसी भी संगठन के लिए एक मुख्य मुद्दा होता है और उसका कुशल कार्य संचालन कुशल वित्तीय प्रशासकों पर निर्भर होता है। वित्त तथा लोक प्रशासन के अध्ययन के माध्यम से वित्तीय संबंधों एवं प्रशासनों के उद्देश्यों, सिद्धांतों तथा महत्वपूर्ण मामलों के बारे में जानकारी दी जाती है। यह उन्हें शहरी तथा ग्रामीण सरकार के वित्तीय प्रशासन के विभिन्न मामलों को समझने में भी सहायता करता है।

कॅरिअर के अवसर
सार्वभौमिकरण, सूचना प्रौद्योगिकी तथा आतंकवाद के चालू दबाव के कारण आधुनिक प्रतिस्पर्धी विश्व ने विशेषज्ञ, शिक्षित लोक प्रशासकों की बड़ी आवश्यकता को जन्म दिया है। लोक प्रशासन के उच्च स्तर के राजनीतिक कौशल तथा सार्वजनिक मामलों के व्यापक ज्ञान की आवश्यकता होती है। एक प्रशिक्षित तथा कार्य-प्रेरित लोक प्रशासक के लिए अनेक कार्यों एवं कॅरिअर के अवसर हैं।

प्रशासनिक अधिकारी
लोक प्रशासक सरकारी क्षेत्रा में अपना कॅरिअर चुन सकते हैं। इस कार्य में विश्लेषिक क्षमता का उपयोग करने, निर्णय लेने, विवेक तथा व्यक्तिगत जिम्मेदारी अपेक्षित होती है और प्रशासन या प्रबंध के एक या अधिक क्षेत्रों में लागू सिद्धांतों, संकल्पनाओं एवं व्यवहार के पर्याप्त ज्ञान का अनुप्रयोग करने की आवश्यकता होती है। इन पदों पर विशेषज्ञतापूर्ण शिक्षा आवश्यक नहीं होती है बल्कि कॉलेज स्तर की लोक प्रशासन शिक्षा लेते समय प्राप्त किया गया कौशल अपेक्षित होता है। यद्यपि किसी सीमा तक लोक प्रशासन एक जन्मजात गुण होता है, और इसे लोक प्रशासन के किसी पाठ्यक्रम द्वारा और विकसित किया जा सकता है, किंतु आपने जो कुछ सीखा है उसे इसमें कार्य-व्यवहार में लाने की आवश्यकता होती है।

कार्पोरेट प्रबंध
किसी प्रबंध कर्मचारी के कार्य में सशक्त नेतृत्व कौशल, सृजनशीलता एवं तर्क शक्ति, समस्या समाधान कौशल, कूटनीति और टीम कौशलता अपेक्षित होती है। चूंकि एक लोक प्रशासक स्नातक इन कौशलों में प्रशिक्षित होता है। इसलिए वह सरकारी या निजी क्षेत्रा में संगठनात्मक प्रबंध या कार्यक्रम प्रबंध के पद प्राप्त कर सकता है। प्रबंध व्यावसायियों को सरकारी एजेंसियां, लघु व्यवसाय, स्वास्थ्य देखभाल संस्थाएं अथवा शैक्षिक संस्थाएं रोज़गार पर रख सकती हैं।

सलाहकार
सलाहकार के कार्यों में बजट बनाने तथा वित्तीय विश्लेषण करने, जन संपर्क या विपणन से जुड़े अनुसंधान करने, संगठन की नीति तैयार करने, कार्यक्रम का विकास करने तथा कार्यान्वित करने, समस्या समाधान तथा विवेचनात्मक सोच और प्रबंधकीय अथवा नेतृत्व कार्यक्रमों की निगरानी शामिल होते हैं। वे कर्मचारियों के गुणवत्ता स्तर में सुधार लाने के लिए कई प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी चलाते हैं। उन्हें सरकारी या निजी क्षेत्रा में रोज़गार पर रखा जा सकता है और इनका लक्ष्य इन संगठनों को श्रेष्ठ लाभ की ओर अग्रसर करना होता है।

अध्यापक
अध्यापन, किसी लोक प्रशासक के लिए आजकल एक अच्छा विकल्प बन गया है क्योंकि प्रत्येक प्रबंध संस्थान में लोक प्रशासन एक अत्यधिक वांछित पाठ्यक्रम है। अध्यापक छात्रों को, लोक प्रशासन की प्रकृति तथा दृष्टिकोंण का विकास करने तथा सीखने में सहायता करने की भूमिका निभाते हैं। अध्यापन अब एक नीरस कार्य नहीं रह गया है, बल्कि इसमें कई अलग दायित्व जुड़ गए हैं। प्रशिक्षण तथा तैनाती, वार्डनशिप और अनुशासन आदि इसके उदाहरण हैं। चूंकि किसी संस्थान का विकास पूर्णतः छात्रों की कार्यों पर तैनाती पर निर्भर होता है, इसलिए एक प्रशिक्षक के रूप में लोक प्रशासक की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण बन जाती है।

शिक्षा
लोक प्रशासन में कोई डिग्री कार्यक्रम आपको स्वास्थ्य सुरक्षा प्रशासन, मानव संसाधन प्रबंध और यहां तक कि नगर प्रबंध सहित अनेक सरकारी तथा अन्य प्रबंध कॅरिअर में कार्य के लिए तैयार करता है। अनेक विश्वविद्यालय तथा संस्थाएं लोक प्रशासन में स्नातक, स्नातकोत्तर तथा पी.एच.डी. डिग्रियां देती हैं। ऐसे कुछ विश्वविद्यालयों तथा संस्थाओं के नाम इस प्रकार हैं।

*दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

*जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली

*भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आई.आई.पी.ए.) दिल्ली

*लखनऊ विश्वविद्यालय

*दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय, सूरत

तैनाती
लोक प्रशासन में कोई डिग्री प्राप्त करके आप सार्वजनिक तथा निजी संगठनों, शैक्षिक संस्थानों और सरकारी संगठनों में विभिन्न कॅरिअर के अवसर प्राप्त कर सकते हैं।
(डॉ. अभिषेक कुमार श्रीवास्तव,रोज़गार समाचार)

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