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06 नवंबर 2010

सरकारी बैंकों में कॅरिअर

बैकों को किसी भी देश का आधार माना जाता है. भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह बात और अधिक सही है. भारतीय बैंकिंग प्रणाली बहुत मजबूत है. सार्वभौमिक वित्तीय मंदी, जो कुछ समय पहले आई थी, से हमारा देश कम प्रभावित हुआ, क्योंकि भारतीय बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली मजबूत थी. वास्तव में विश्व के कई देश हमारी बैंकिंग की अनुशासित प्रणाली से सीख लेने का प्रयास कर रहे हैं.

भारत में बैंक न केवल मजबूत हैं बल्कि तीव्र गति से विकासोन्मुख भी हैं. अध्ययनों के अनुसार बैंकिंग क्षेत्र देश में सबसे तीव्र गति से विकास कर रहे क्षेत्र में से एक हैं. इस विकास से अनेक अवसर प्राप्त हुए हैं.

भारतीय बैंकिंग परिदृश्य
भारत में बैंकिंग प्रणाली का विनियमन बैंकिंग अधिनियम, 1949 के साथ प्रारंभ हुआ. भारत में बैंक निजी क्षेत्र में होते थे. 1969 में 14 बड़े बैंकों को सरकार के स्वामित्व में लाकर राष्ट्रीयकृत किया गया. 11 वर्षों के बाद, 1980 में छह और बैंकों को राष्ट्रीयकृत किया गया. इन 20 बैंकों में से एक न्यू बैंक ऑफ इंडिया को पंजाब नेशनल बैंक में मिलाया गया. अब देश में सार्वजनिक क्षेत्र के कुल 27 बैंक हैं, जिनमें 19 राष्ट्रीयकृत बैंक तथा स्टेट बैंक समूह (भारतीय स्टेट बैंक और इसके सहयोगी) के 8 बैंक शामिल हैं.

पिछले दो दशकों में भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में परम्परागत बैंकिंग आधुनिक प्रौद्योगिकी समर्थित बैंकिंग में परिवर्तित हुई है. प्रतिस्पर्धा के परिवेश ने इन बैंकों का पुनर्निर्माण और उनकी कार्य-प्रक्रिया प्रणाली और कार्य-क्षेत्र को नया रूप दिया है. आर्थिक उदारीकरण के बाद इन बैंकों को ऐसा करने की पर्याप्त स्वतंत्रता दी गई है. तथापि, कई मामलों में इन्हें वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय बैंक संघ द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अनुपालन करना होता है.

राष्ट्रीयकरण के बाद बैंकों को ग्रामीण क्षेत्रों में और शाखाएं खोलने के लिए कहा गया. इन नई खोली गई शाखाओं में लोग बड़ी संख्या में भर्ती किए गए. इस विस्तारित नेटवर्क ने इन बैंकों को एक नई पहचान दी और लाखों ग्राहक बैंकिंग से जुड़े. बैकिंग व्यवसाय एक श्रेणी विशेष बैंकिंग से बहुजन बैंकिंग में परिवर्तित हुआ.

जन शक्ति अपेक्षा
भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में इस समय 7 लाख से अधिक व्यक्ति कार्यरत हैं. इनमें से बहुत बड़ी संख्या में व्यक्ति अगले 5-6 वर्षों में सेवानिवृत्त हो जाएंगे. इन रिक्तियों को भरने तथा विकासशील व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए बैंक भर्ती-कार्रवाई कर रहे हैं, जिसे मीडिया में और रिक्ति घोषणाओं से देखा जा सकता है. सेवानिवृत्तियों, सेवा से त्याग-पत्र देने और व्यवसाय के विस्तार के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अकेले इस वर्ष लगभग 40,000 रिक्तियां सृजित की गई हैं.

पहले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में भर्ती बैंकिंग सेवा भर्ती बोर्डों के माध्यम से की जाती थी. प्रत्येक बोर्ड एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र में 3-5 बैंकों की जन-शक्ति अपेक्षाओं को पूरा करता था. अब इन बोर्डों को समाप्त कर दिया गया है और प्रत्येक सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक समय-समय पर अपेक्षित कार्मिकों की संख्या के लिए अपनी निजी भर्ती प्रक्रिया की घोषणा कर सकता है. इस प्रकार इन दिनों ऐसे और विज्ञापन देखने में आते हैं. पहले केवल कनिष्ठ प्रबंधन ग्रेड में अधिकारियों की भर्ती की जाती थी. अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक मध्य एवं वरिष्ठ प्रबंधन संवर्गों में भी सीधी भर्ती करता है. इस प्रकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नए तथा अनुभवी दोनों प्रकार के व्यक्तियों के लिए कॅरिअर के अवसर उपलब्ध हैं. अपनी जनशक्ति अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए ये बैंक इस समय लिपिकीय तथा अधिकारी दोनों संवर्गों में बड़ी संख्या में भर्ती कर रहे हैं.

लिपिकीय पद
बैंक में लिपिक अधिकांशतः फ्रंट स्टाफ होता है. आवश्यकता के आधार पर लिपिकों को बैंक के विभिन्न काउंटरों अर्थात, सेविंग्स, डिपोजिट, करंट डिपोजिट, टर्म डिपोजिट, रिटेल लोन, कैश क्रेडिट, कृषि ऋण, क्रेडिट कार्ड, सरकारी व्यवसाय, नकद प्राप्ति या भुगतान आदि काउंटरों पर तैनात किया जाता है. बैंकों में अधिकतम ग्राहकों का कार्य-निपटान लिपिकीय स्टाफ द्वारा प्रबंधित इन काउंटरों पर ही होता है.

लिपिकों के लिए पात्रता
राष्ट्रीयकृत या निजी क्षेत्र के बैंकों में लिपिक के पद के लिए आवेदन करने के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष होती है. अधिकतम आयु-सीमा 28 वर्ष होती है. पात्रता के लिए शैक्षिक योग्यता के संबंध में कोई समानता नहीं है. यह विभिन्न बैंकों में लिपिकों के हाल ही में विज्ञापित हुए पदों से स्पष्ट होता है. एक बैंक में न्यूनतम 40% अंकधारी स्नातक पात्र पाए गए हैं तो अन्य बैंक बारहवीं कक्षा में कुल 60%अंकधारी उम्मीदवारों को स्वीकार कर रहा है. विश्वविद्यालय की कोई डिग्री (किसी भी श्रेणी में) रखने वाले भी आवेदन कर सकते हैं. इस बैंक ने एस.एस.सी./दसवीं कक्षा स्तर पर न्यूनतम गणित में 60% अंक प्राप्त करने की एक अन्य शर्त रखी है.

चूंकि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में लिपिकीय संवर्ग में अधिकांश भर्ती राज्यवार की जाती है, इसलिए किसी राज्य विशेष में पद के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार से उस राज्य की भाषा में निपुण होने की प्रत्याशा की जाती है. निपुणता का अभिप्राय है उस भाषा को पढ़ने, लिखने, बोलने और समझने का ज्ञान.

लिपिकों के लिए परीक्षा-पद्धति
पात्र उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा में बैठने के लिए बुलाया जाता है. यह लिखित परीक्षा वस्तुनिष्ठ प्रकृति की होती है जिसमें चार प्रश्न-पत्र होते हैं, अर्थात :
1. तर्कक्षमता और संख्यात्मक अभिरुचि की जांच
2. लिपिकीय अभिरुचि की जांच
3. अंग्रेजी भाषा की जांच
4. सामान्य बोध की जांच

लिखित परीक्षा की संरचना एक बैंक से दूसरे बैंक में भिन्न हो सकती है. लिखित परीक्षा उत्तीर्ण होने के लिए उम्मीदवार को वस्तुनिष्ठ प्रकृति की प्रत्येक परीक्षा में अलग-अलग न्यूनतम अर्हता अंक लेकर उत्तीर्ण होना आवश्यक होता है. यह भी आवश्यक होता है कि अगले चयन-चरण पर जाने के लिए उम्मीदवार अंकों की एक निश्चित प्रतिशतता प्राप्त करे.

उक्त यथा उल्लिखित अर्हता अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों में से, साक्षात्कार- प्रक्रिया में उपस्थित होने के लिए बैंक उम्मीदवारों की एक निश्चित संख्या को बुलाता है. साक्षात्कार के लिए बुलाए गए उम्मीदवारों की संख्या उपलब्ध रिक्तियों के एक नियत अनुपात में होती है. यह साक्षात्कार एक आसान प्रक्रिया होता है, जिसमें उम्मीदवार की शैक्षिक तथा सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, कॅरिअर के उद्देश्य आदि के बारे में प्रश्न पूछे जाते हैं. कार्य के प्रति उसके रुझान एवं ग्राहकों के प्रति अनुकूलता के बारे में भी पता लगाने के प्रयास किए जाते हैं. बैंक में लिपिक पद के लिए आवेदन करने वाले अधिकांश व्यक्ति कॉलेज से नए व्यक्ति होते हैं. उन्हें अपनी पसंद के विषयों, विधाओं आदि के बारे में प्रश्नों के उत्तर देने के लिए तैयार रहना चाहिए. सेवारत या कार्य का अनुभव रखने वाले व्यक्तियों से उनके द्वारा किए गए कार्यों के बारे में प्रश्न पूछे जा सकते हैं. साक्षात्कार के मामले में भी न्यूनतम अर्हता अंक निर्धारित होते हैं.

अंतिम मैरिट-सूची उम्मीदवार द्वारा लिखित परीक्षा और साक्षात्कार में प्राप्त अंकों को जोड़ कर तैयार की जाती है.

कॅरिअर की संभावनाएं
अंतिम रूप से चयनित उम्मीदवार जिस बैंक में कार्यभार ग्रहण करते हैं वहां एक लाभदायक कॅरिअर की आशा कर सकते हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंक, नए कर्मचारियों को, उनके कार्य-क्षेत्र की पूरी जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण देते हैं. इंडक्शन प्रशिक्षण, जो तत्काल या कार्य-भार ग्रहण के शीघ्र बाद दिया जाता है, उनके द्वारा लिया जाने वाला पहला प्रशिक्षण होता है. इसके बाद उन्हें विभिन्न बैंकिंग विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाता है.

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ही कुछ ऐसा संगठन है जो एक संवर्ग से दूसरे संवर्ग में पदोन्नति देता है. इस प्रकार बैंक में लिपिक के रूप में कार्यभार ग्रहण करने वाले व्यक्ति, बैंकों के मानदंडों के अनुसार अधिकारियों के रूप में पदोन्नति किए जा सकते हैं. होनहार उम्मीदवारों के लिए, कुछ बैंकों में लिपिक से अधिकारी के पद पर यह पदोन्नति एक वर्ष जैसी छोटी सी अवधि में भी संभव होती है.

अधिकारी संवर्ग में भर्ती
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अधिकारी संवर्ग में रिक्तियां, संगठन से ही, लिपिकों की पदोन्नति के बाद और सीधी भर्ती द्वारा भी भरी जाती हैं. अधिकारी संवर्ग में जनशक्ति की कमी को पूरा करने के लिए आज-कल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अधिकारियों को बड़ी संख्या में भर्ती करना अपेक्षित होता है जिन अधिकांश रिक्तियों के लिए भर्ती की जाती है वे रिक्तियां कनिष्ठ प्रबंधन स्नातक स्केल-I में होती हैं और ये रिक्तियां किसी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में एक अधिकारी के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के लिए एंट्री स्तर के पद पर होती हैं. यह एंट्री स्तर का पद परिवीक्षाधीन अधिकारी या प्रबंधन प्रशिक्षणार्थी के रूप में जाना जाता है. बैंक परिवीक्षाधीन अधिकारी किसी भी विषय या अध्ययन क्षेत्र से हो सकते हैं, हालांकि, यह एक भ्रांति है कि केवल वाणिज्य या वित्त की पृष्ठभूमि रखने वाले व्यक्ति ही पात्र होते हैं. वाणिज्य या वित्त की पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति अन्य व्यक्तियों की तुलना में बैंकिंग माहौल में स्वयं को शीघ्रता से ढाल सकता है, किंतु बैंक वैज्ञानिक, साहित्य आदि की विविध पृष्ठभूमि रखने वाली प्रतिभाओं की भर्ती भी करते हैं.

एंट्री स्तर के अधिकारियों के पद के लिए आवेदन करने के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष है, जबकि अधिकतम आयु वैयक्तिक बैंकों द्वारा लिए जाने वाले निर्णय के अनुसार 26 वर्ष हो सकती है. जहां तक योग्यता का संबंध है, उम्मीदवार विअआ द्वारा मान्यताप्राप्त किसी विश्वविद्यालय से न्यूनतम स्नातक होना चाहिए. कुछ अन्य बैंकों में केवल प्रथम श्रेणी स्नातक ही पात्र माने जाते हैं. कुछ अन्य बैंकों में अंकों की न्यूनतम प्रतिशतता 50% आवश्यक होती है. कुछ मामलों में स्नातकोत्तर योग्यताधारी उम्मीदवारों को अंकों की अर्हक प्रतिशतता में कुछ छूट प्राप्त हो सकती है. बैंकों के कुछ ऐसे उदाहरण भी हैं, जिनमें उन्होंने स्नातकोत्तर डिग्री या प्रबंधन में डिप्लोमाधारी व्यक्तियों को भर्ती में वरीयता दी है. पात्रता मानदण्डों की जानकारी के लिए विशेष भर्ती विज्ञापन को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए.

परिवीक्षाधीन अधिकारियों की परीक्षा में निम्नलिखित वस्तुनिष्ठ प्रश्न-पत्र शामिल होते हैं :
1. सामान्य बोध
2. सूचना व्याख्या एवं तर्क क्षमता
3. मौखिक क्षमता
4. अंग्रेजी

कुछ बैंक परीक्षा प्रक्रिया में विवरणात्मक प्रश्न-पत्र भी शामिल करते हैं. इस प्रश्न-पत्र में उम्मीदवार को निबंध लिखने तथा विन्यास की अपेक्षा की जाती है. वस्तुनिष्ठ तथा विषय निष्ठ दोनों प्रश्न-पत्रों के लिए न्यूनतम अर्हता अंक निर्धारित होते हैं. साक्षात्कार के लिए उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर बुलाया जाता है.

अधिकारियों के पद के लिए साक्षात्कार अधिक व्यापक होने की प्रत्याशा की जाती है, यहां साक्षात्कार लेने वाले व्यक्ति सामान्य प्रश्नों के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था, अर्थव्यवस्था के मसले आदि के बारे में उम्मीदवारों की जानकारी की परख करने का प्रयास कर सकते हैं, उम्मीदवार को "आप बैंकिंग को कॅरिअरू के रूप में क्यों चुनना चाहते हैं? कार्य (जॉब) से आप क्या प्रत्याशा रखते हैं?" आदि जैसे प्रश्नों का उत्तर देने के लिए तैयार रहना चाहिए. आपसे पूर्व कार्य के अनुभव से संबंधित प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं. अपन चयन के लिए उम्मीदवार को लिखित परीक्षा तथा साक्षात्कार दोनों में अच्छे उत्तर देने चाहिए.

उच्च वेतनमान में भर्ती
अपने कुछ अनुभव के आधार पर कोई व्यक्ति सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में उच्च वेतनमान में कार्यभार ग्रहण करने की आशा कर सकता है. उच्च वेतनमान में अधिकांश रिक्तियां मध्य प्रबंधन ग्रेड II या III में होती हैं. उम्मीदवार को आयु एवं योग्यता संबंधी पात्रता मानदण्ड अवश्य पूरा करना चाहिए. उच्च वेतनमानों के लिए अपेक्षित अनुभव एक बैंक से दूसरे बैंक में बदलता रहता है, यह एक वर्ष या इससे अधिक हो सकता है. व्यावसायिक रूप से योग्य व्यक्ति (एमबीए, सीए आदि जैसी योग्यता धारी) को इस संबंध में बेहतर अवसर मिलते हैं.

कैम्पस भर्ती
पिछले 3-4 वर्षों से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कैम्पसों से भर्ती करनी शुरू कर दी है. कैम्पस से भर्ती, उनकी जनशक्ति आवश्यकता के केवल एक आंशिक भाग को ही पूरा करती है, किंतु इसने बैंक में अपना कॅरिअर बताने के इच्छुक छात्रों को एक नया अवसर दिया है, कैम्पसों से बैंक विभिन्न विषयों मे एमबीए, कृषि-स्नातकों, चार्टर्ड अकाउंटेंट आदि को ले रहे हैं.

कॅरिअर उन्नति
प्रत्येक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में कॅरिअर की उन्नति का एक नियोजित मार्ग होता है. कार्य निष्पादन एवं कार्य-संभावना ऐसे मुख्य घटक हैं जो कॅरिअर उन्नति का निर्धारण करते हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अधिकांश वरिष्ठ कर्मचारी अपना कॅरिअर केवल लिपिक या स्केल-I अधिकारी के रूप में प्रारंभ करते हैं. समय के साथ-साथ बैंकों ने उनकी पदोन्नति नीति की समीक्षा की है और अब होनहार, परिश्रमी तथा ज्ञान रखने वाले कर्मचारियों को उच्च वेतनमान में जाने में कम समय लगता है. कई बैंकों में अधिकारी के रूप में कार्य-भार ग्रहण करने वाला व्यक्ति 14 वर्षों में महाप्रबंधक के पद तक पंहुच सकता है. उसके बाद कोई व्यक्ति बैंक के कार्यभारी निदेशक या अध्यक्ष के पद की आशा कर सकता है. ये बहुत उच्च पद है, जिनके नामांकन का निर्णय सरकार करती है, न कि कोई वैयक्तिक बैंक.

कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विदेश में शाखाओं का नेटवर्क है. इस प्रकार किसी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में कार्यभार ग्रहण करने से आपको विदेश में कार्य करने के अवसर मिलते हैं. बैंक कार्यों में स्थानांतरण के कारण आपको देश के विभिन्न भागों को देखने का अवसर भी मिलता है.

अंत में
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बहुराष्ट्रीय या कुछ अन्य कंपनियों की तरह शायद आकर्षक वित्तीय पैकेज न देते हों, किंतु हाल ही में वेतन संशोधन तथा अनुलाभों सहित प्रतिपूर्ति इन बैंकों में पर्याप्त अच्छी है. इनके अतिरिक्त यहां कार्य सुरक्षा का घटक भी मौजूद है. यहां आवासन तथा चिकित्सा सुविधाएं भी आकर्षक मानी जाती है.

भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की विस्तार पद्धति युवाओं को बैंकिंग को अपने कॅरिअर के रूप में चुनने के अनेक अवसर सृजित कर रही है.

अधिकारियों की कॅरिअर उन्नति
कनिष्ठ प्रबंधन ग्रेड-स्केल I : अधिकारी
मध्य प्रबंधन ग्रेड-स्केल II : प्रबंधक
मध्य प्रबंधन ग्रेड-स्केल III : वरिष्ठ प्रबंधक
वरिष्ठ प्रबंधन ग्रेड-स्केल IV : मुख्य प्रबंधक
वरिष्ठ प्रबंधन ग्रेड-स्केल V : सहायक महा प्रबंधक
उच्च प्रबंधन ग्रेड-स्केल VI : उप महा प्रबंधक
उच्च प्रबंधन ग्रेड स्केल VII : महाप्रबंधक

भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक
पंजाब नेशनल बैंक
बैंक ऑफ बड़ौदा
बैंक ऑफ इंडिया
केनरा बैंक
इलाहाबाद बैंक
आंध्रा बैंक
बैंक ऑफ महाराष्ट्र
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
कार्पोरेशन बैंक
देना बैंक
इंडियन बैंक
इंडियन ओवरसीज़ बैंक
ओरियेंटल बैंक ऑफ कॉमर्स
पंजाब एंड सिंध बैंक
सिंडिकेट बैंक
यूको बैंक
युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
विजया बैंक
भारतीय स्टेट बैंक
स्टेट बैंक ऑफ इंदौर
स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद
स्टेट बैंक ऑफ पटियाला
स्टेट बैंक ऑफ मैसूर
स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र
स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर
स्टेट बैंक ऑफ ट्रावनकोर
(विजय प्रकाश श्रीवास्तव,रोज़गार समाचार)

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