भारत के शिक्षा क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए खोले जाने की संभावना के बीच अमेरिकी कंपनियों ने अपनी भविष्य की वर्कफोर्स की जरूरत पूरी करने के लिए भारतीय किशोरों (5 वर्ष से कम आयु के बच्चे) पर ध्यान देना शुरू कर दिया है।
अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) के अध्यक्ष रोन समर्स ने कहा कि भारत की कुल जनसंख्या में 15 वर्ष से कम आयु के किशारों का हिस्सा 35 प्रतिशत है। हम सब को इन्हें आने वाले समय में वैश्विक श्रमबल में परिवर्तित करने के लिए मिलकर कोशिश करनी चाहिए।
यूएसआईबीसी, भारत एवं अमेरिका की प्रमुख कंपनियों के कार्याधिकारियों का शीर्ष मंच है। इसका प्रतिनिधि मंडल हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान उच्च शिक्षा मिशन पर आया था। यूएसआईबीसी के भारत आने वाले प्रतिनिधियों में अमेरिका के बोस्टन विश्वविद्यालय, एरिजोना स्टेट विश्वविद्यालय समेत अनेक विश्वविद्यालय, संस्थाओं के शीर्ष प्रतिनिधि भी शामिल थे।
उन्होंने कहा कि शिक्षा और दक्षता का विकास किसी भी समाज विशेष कर भारत में लोगों के आर्थिक-सामाजिक स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
समर्स ने कहा कि भारत और अमेरिका मिलकर इस अवसर का लाभ उठा सकते है। अमेरिका की तरह भारत भी शिक्षा पर विशेष ध्यान दे रहा है(इकनॉमिक टाइम्स,दिल्ली में वाशिंगटन से रिपोर्ट,14.11.2010)।
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