मान्यता मिले बिना शैक्षिक कोर्स के नाम पर छात्रों से मोटी फीस वसूल कर उनका भविष्य खराब करने वाले शैक्षणिक संस्थान सतर्क हो जाएं। ऎसी किसी शिकायत पर न केवल भारी हर्जाना झेलना पड सकता है, बल्कि छात्रों से वसूली फीस भी लौटानी पडेगी। ऎसे ही एक मामले में जिला उपभोक्ता संरक्षण मंच जयपुर (प्रथम) ने गांधी पथ, वैशानी नगर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट की सेवा में कमी माना है। मंच के अध्यक्ष के.के.भार्गव व सदस्य सीमा ने विपक्षी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट के निदेशक को आदेश दिए कि वह पीडित छात्र से वसूली फीस 2.35 लाख रूपए लौटाए। मान्यता नहीं होने के कारण छात्र का एक साल खराब हुआ है।
ऎसे में मंच ने विपक्षी को कहा है कि मानसिक संताप की क्षतिपूर्ति के तौर पर छात्र को एक लाख रूपए भी दे। मंच ने उसे डेढ हजार रूपए परिवाद व्यय के भी दिलवाए। मंच ने यह आदेश वैशाली नगर निवासी छात्र अमित चौधरी के परिवाद पर सुनाया।
यह है परिवाद : परिवादी ने परिवाद में बताया कि उसने विपक्षी के प्रचार-प्रसार से प्रभावित होकर एमबीए कोर्स में प्रवेश लिया। इसके लिए 2.35 लाख रूपए की फीस जमा करवाई। बाद में इन्टरनेट पर संस्था के बारे में पता किया तो वह फर्जी व बोगस निकली। कहीं से भी संस्था को मान्यता नहीं है। बिना मान्यता के ही कई छात्रों से मोटी रकम वसूल कर फर्जी प्रवेश दे दिए(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,16.11.2010)।
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