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17 नवंबर 2010

एनआइटी में योग्य शिक्षकों की कमी पर उठे सवाल

देश में तकनीकी शिक्षा के विस्तार के लिए सरकार का राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एनआइटी) और भारतीय विज्ञान शिक्षा व अनुसंधान संस्थान (आइआइएसईआर) पर भले ही बहुत जोर हो, लेकिन वहां भी अच्छे व योग्य शिक्षकों की कमी है। संसद की स्थायी समिति ने इस स्थिति पर सवाल उठाया है। उसने कहा है कि योग्य शिक्षकों व अन्य बेहतर सुविधाओं के बिना ही राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व का घोषित कर देने मात्र से सही अर्थो में वे अग्रणी संस्थान का दर्जा नहीं हासिल कर सकते। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधन) विधेयक-2010 पर विचार करते समय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने उच्च तकनीकी शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी का मामला प्रमुखता से उठाया है। 

समिति ने वैसे तो दस नए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और पुणे, कोलकाता, भोपाल, तिरुअनंतपुरम व मोहाली में खोले गए पांच भारतीय विज्ञान शिक्षा व अनुसंधान संस्थानों के लिए सरकार की सराहना की है, लेकिन यह भी कहा है कि योग्य व प्रशिक्षित शिक्षकों के बिना ये राष्ट्रीय संस्थान के रूप में अपनी उपयोगिता नहीं साबित कर पाएंगे। समिति ने उच्च शिक्षा में लगातार हो रहे विस्तार व उसके नए विशिष्ट पाठ्यक्रमों के लिए शिक्षकों की कमी पर चिंता जताई है। कहा है कि नए एनआइटी व आइआइएसईआर जैसे हाई प्रोफाइल संस्थान खोलते समय सरकार को उनके लिए योग्य शिक्षकों पर गौर करना ज्यादा जरूरी है। 

समिति ने सरकार का ध्यान इस ओर भी दिलाया है कि भारत जैसे विशाल देश में वैज्ञानिकों व प्रतिभाशाली योग्य युवाओं की कमी नहीं है। समिति ने नए खोले गए भारतीय विज्ञान शिक्षा व अनुसंधान संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों की सराहना करते हुए भविष्य में भी उसे बरकरार रखने की सिफारिश की है, मौजूदा 20 एनआइटी के शिक्षकों की स्थिति पर संदेह जताया है। यह स्थिति नए एनआइटी के लिए उत्साहजनक नहीं होगी(दैनिकजागरण,दिल्ली,17.11.2010)।

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