देश में ही नहीं विश्वभर में वातावरण को लेकर चिंता जताई जा रही है। इन चिंताओं के चलते खाद्य वस्तुओं की पैकिंग से लेकर सभी तरह की पैकिंग के लिये इस तरह के मैटीरियल का उपयोग बढ़ रहा है, जो वातावरण के लिये नुकसानदायक न हो। यूरोपीयन देशों को निर्यात हो रहे सभी तरह के उत्पादों की पैकिंग की इस तरह के मैटीरियल की हो रही है, जो वातावरण के लिये नुकसानदायक न हो। इसमें प्लास्टिक का उपभोग कम करने की मांग उठ रही है। ऐसी स्थितियों में पैकेजिंग टैक्सटाइल का कारोबार बढ़ रहा है। पैकेजिंग टैक्सटाइल में जूट, कॉटन व प्राकृतिक फाइबर का उपयोग बढ़ रहा है। ऐसे में पैकेजिंग टेक्सटाइल की मांग बढ़ रही है। जो कि पैकटेक टेक्नोलॉजी के नाम से विकसित हो रहा है।
बंक हाउस के सीईओ सिद्धार्थ उपाध्याय के मुताबिक पैकिंग को लेकर काफी बदलाव आया है। अब जूट व पेपर बैग का काफी उपयोग बढ़ रहा है। वातावरण के मामले को लेकर सरकार काफी सक्रिय हो रही है। आम लोगों का रुझान भी इसमें बढ़ा है। उनकी कंपनी भी पेपर बैग व जूट बैग का उपयोग कर रही हैं। पैकटेक का भविष्य काफी अच्छा है। एपेरल उद्यमी संजीव गुप्ता के मुताबिक पैकेजिंग टैक्सटाइल का कारोबार कम निवेश पर शुरु किया जा सकता है। इसका काफी अच्छा भविष्य है।
इंजीनियर एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल के क्षेत्रीय अध्यक्ष एस.सी रहलन के मुताबिक यूरोपीयन देशों ने करीब दो साल पहले ही पैकेजिंग को लेकर काफी मापदंड तय कर दिये थे।
उनके मुताबिक पैकेजिंग इस तरह की रहनी चाहिये कि पैकेजिंग मैटीरियल प्रदूषण न फैलाये, रिसाइकल मटीरियल का बना न होना इत्यादि शामिल है। इसके चलते निर्यातकों ने पैकेजिंग में काफी बदलाव किये हैं।
पैकिंग टैक्सटाइल में बड़े कंटेनर रूपी बैग जिन्हें फ्लेक्सीबल इंटरमीडिएट बैग भी कहा जाता है। इसके अलावा लॉंड्री बैग, स्टोरेज बैग, टवाइन बैग, नॉन पेपर टी बैग, कॉफी फिल्टर, खाद्य उत्पाद संरक्षण के लिये बैग, नेट पैकेजिंग, रिटेल फूड स्टफ्स, खिलौने, वूवन फाइबर स्ट्रेपिंग, बच्चों के व्हीकलों पर जाली का उपयोग इत्यादि के लिये इनका उपयोग हो रहा है। सभी तरह के हैंड बैग के लिये विशेष फाइबर का उपयोग हो रहा है। इन उत्पादों के लिये स्टिचिंग मशीनों का ही उपयोग अहम है। इसके अलावा बैग बनाते समय कुछ ध्यान रखना जरुरी है।
कारोबार - जूट व अन्य रिसाक्लिंग योग्य पदार्थों से बने पैकेजिंग मैटिरियल का बढ़ रहा प्रचलन
स्थिति - पैकेजिंग से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक सालाना 11 फीसदी की दर से बढ़ रहा उद्योग
भविष्य - टेक्नीकल टैक्सटाइल में इसकी हिस्सेदारी काफी कम होने से उज्जवल दिख रहा है भविष्य
(नरेश बातिश लुधियान,दैनिक भास्कर,18.11.2010)
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