शिक्षा के अधिकार के तहत बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में होने वाली शिक्षकों की भर्ती के लिए अनिवार्य की गई अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में दो प्रश्नपत्रों को शामिल करने का प्रस्ताव है। प्रत्येक प्रश्नपत्र तीन घंटे की अवधि का होगा और उसमें 150 प्रश्न होंगे। पारदर्शिता के लिहाज से दोनों प्रश्नपत्रों में सिर्फ बहुविकल्पीय प्रश्न हो होंगे ताकि मूल्यांकन में एकरूपता रहे। टीईटी में निगेटिव मार्किंग भी होगी। प्रत्येक प्रश्न को सही हल करने पर जहां चार अंक मिलेंगे, वहीं गलत जवाब देने पर एक अंक कटेगा भी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने टीईटी का प्रारूप तैयार कर लिया है। यह परीक्षा राज्य सरकारों को आयोजित करनी है। टीईटी के इस प्रारूप पर चर्चा करने के लिए केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शुक्रवार को नई दिल्ली के शास्त्री भवन में राज्यों के बेसिक शिक्षा सचिवों का सम्मेलन आयोजित किया था। सम्मेलन में राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले बेसिक शिक्षा सचिव अनिल संत ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि टीईटी में वही अभ्यर्थी योग्य माना जायेगा, जिसे दोनों प्रश्नपत्रों में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक मिले हों। अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और विकलांग श्रेणी के अभ्यर्थियों को इसमें पांच प्रतिशत की छूट मिलेगी। ऐसे अभ्यर्थियों के लिए क्वालिफाइंग अंक 45 प्रतिशत होंगे। उन्होंने बताया कि उप्र में वही अभ्यर्थी टीईटी में बैठ पायेंगे जिनके स्नातक और बीएड में कम से कम 50 प्रतिशत अंक होंगे। शिक्षकों की भर्ती के लिए टीईटी पहली सीढ़ी होगा। यह मूलत: एक स्क्रीनिंग टेस्ट होगा, जिसे उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों को ही शिक्षकों के चयन के लिए बनने वाली मेरिट लिस्ट के योग्य समझा जाएगा। यह मेरिट लिस्ट टीईटी में प्राप्त अंकों पर आधारित न होकर अभ्यर्थी द्वारा स्नातक व बीएड में हासिल किये गए अंकों के आधार पर तय की जाएगी। उन्होंने बताया कि टीईटी में अभ्यर्थी के विषय ज्ञान के अलावा पढ़ाने को लेकर उसकी योग्यता के आकलन पर भी जोर होगा। एनसीटीई ने टीईटी के तहत कक्षा एक से पांच तथा छह से आठ तक के शिक्षकों के लिए अलग-अलग टेस्ट कराने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि अधिकतर राज्यों के प्रतिनिधियों ने कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों के चयन के लिए एक ही टेस्ट कराने का सुझाव दिया(राजीव दीक्षित,दैनिक जागरण,लखनऊ,२७.११.२०१०)।
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