रांची में रहनेवाली झारखंड की साहित्यकार महुआ माजी की कृति मी बोरिशाइल्ला को इटली के विश्वविद्यालय ने अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया है. सन् 1303 में स्थापित सापिएनजा विश्वविद्यालय में बीए के सिलेबस में इस उपन्यास को शामिल कर लिया गया है. इटली की राजधानी रोम में स्थित सापिएनजा विश्वविद्यालय में 1,47,000 विद्यार्थी पढ़ते हैं. यह विवि यूरोप का सबसे बड़ा विवि है. सापिएनजा विवि के पाठ्यक्रम में श्रीमती माजी के उपन्यास के अलावा 12 अन्य किताबें भी चुनी गयी हैं.
मी बोरिशाइल्ला की अंगरेजी प्रकाशक पा एंड कंपनी सापिएनजा विवि द्वारा चुनी जानेवाली एकमात्र भारतीय प्रकाशक है. चयनित शेष 11 किताबें अमेरिका, इंगलैंड और इटली से हैं. ये पुस्तकें न्यूयॉर्क के हार्पर कॉलिंस, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, विंटेज बुक्स प्रोमैथियस बुक्स, अटलांटिक पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स व कोलंबिया यूनिवर्सिटी प्रेस, ऑक्सफोर्ड के पीटर लांग, लंदन के पेंग्विन बुक्स व सेज पब्लिकेशन और मिलानो के ऑस्कर मोंदादोरि ने प्रकाशित की हैं.
श्रीमती माजी के अलावा प्रसिद्ध लेखक मुल्क राज आनंद, तसलीमा नसरीन, किश्वर नाहिद, अमित चतुर्वेदी, अरविंद कृष्ण मलहोत्रा, चंद्रनिशा सिंह, सिद्धार्थ देब और मोनिका अली की किताबों का चयन भी विवि ने किया है.
मी बोरिशाइल्ला पर भारत के कई विवि में शोध किये जा रहे हैं. यह पहला मौका है, जब झारखंड के किसी लेखक की किताब विदेशी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनी है. श्रीमती माजी की कृति पर देश के कई विवि में एफ फिल, पीएचडी, डी लिट् के छात्र शोधरत हैं. दिल्ली, बेंगलुरु, मेरठ, गोरखपुर, जम्मू, शिमला, हैदराबाद समेत कई शहरों के विवि से कई विद्यार्थियों ने डिग्री ली है.
अपने उपन्यास के लिए श्रीमती माजी को वर्ष 2007 में लंदन के हाउस ऑफ लॉर्डस में भी सम्मानित किया गया था. इसके अलावा मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी और उज्जैन के कालिदास अकादमी ने भी उन्हें पुरस्कृत किया है(प्रभात खबर,रांची,8.11.2010).
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