हरियाणा में अतिथि अध्यापकों को अब डरने की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री हुड्डा ने साफ कर दिया है कि अतिथि अध्यापकों को किसी भी कीमत पर नहीं हटाया जाएगा।
मुख्यमंत्री हुड्डा रविवार को ‘हरियाणा अतिथि अध्यापक संघ’ के बैनर तले हुए कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। भारी संख्या में मौजूद अतिथि अध्यापकों से हुड्डा ने विद्यार्थियों को काबिल तथा रोजगारयोग्य बनाने में अपना योगदान देने का आग्रह किया तथा हरियाणा को अंतरराष्ट्रीय स्तर का एजूकेशन हब बनाने में भी सहायता करने का अनुरोध किया।
हरियाणा को एजूकेशन हब बनाने का सपना
मुख्यमंत्री हुड्डा ने कहा कि विगत छ: वष्रो के दौरान राज्य में अभूतपूर्व विकास हुआ है और अब उनका सपना हरियाणा को एक अन्तरराष्ट्रीय स्तर का एजूकेशन हब बनाने का है। उन्होंने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए अनेक विश्वविद्यालय एवं शैक्षणिक संस्थानों तथा चिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या विगत कुछ वष्रो में बढ़ी है। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि दो पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों ने केवल दो नए विश्वविद्यालय खोले।
एक मुख्यमंत्री ने अपने पिता के नाम तथा दूसरे ने अपने गुरु के नाम पर, और वो भी अपने-अपने पैतृक जिलों में। सीएम ने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान फरीदाबाद जिले में वाईएमसीए को विश्वविद्यालय के रूप में अपग्रेड किया गया और गुड़गांव जिले में रक्षा विश्वविद्यालय, रेवाड़ी जिले में सैनिक स्कूल स्थापित किया गया है। इसके अलावा चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा को विकास के लिए करोड़ों रुपए की ग्रांटें भी दी हैं।
सड़कों पर न बैठा करें अध्यापक
कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने उन आंदोलन पर बैठे अतिथि अध्यापकों से आग्रह किया कि वे अपनी मांगों के समाधान के लिए सड़कों पर बैठने की अपेक्षा स्कूलों में छात्रों को पढ़ाएं। उन्होंने कहा कि जेबीटी अध्यापकों की नियुक्ति के लिए उनके स्टेशन का निर्णय काउंसिलिंग के बाद लिया जा रहा है। उन्होंने शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा के प्रयासों की सराहना की।
शिक्षा प्रणाली हुई बेहतर
सीएम हुड्डा ने कहा कि जब उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था, उस समय शिक्षा प्रणाली की स्थिति अच्छी नहीं थी। कोई भी सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला कराना नहीं चाहता था। उन्होंने कहा कि इस कारण उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया और शुरुआती दौर में अध्यापकों की कमी को पूरा करने के लिए तीन माह की अवधि के लिए अतिथि अध्यापकों की नियुक्तियां कीं। उन्होंने कहा कि अतिथि अध्यापकों का कार्य प्रदर्शन अच्छा रहा और समय-समय पर उनकी दिक्कतों का समाधान किया गया(दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,8.11.2010)।
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