डॉक्टरों का काम इलाज करना है, न कि साबुन, जूस और दूसरे व्यावसायिक उत्पादों का प्रचार करना। डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन [आईएमए] को इस नियम का पालन नहीं करने की सजा भुगतनी पड़ रही है। इसके अध्यक्ष गोपाराजू समारम और महासचिव धर्म प्रकाश की डॉक्टरी की डिग्री को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया गया है। साथ ही इस संगठन की कार्यकारी समिति के सभी सदस्यों की लिखित निंदा की गई है।
डॉक्टरी की डिग्री का इस्तेमाल व्यावसायिक उत्पादों को बेचने के लिए करने के कारण संगठन के अधिकारियों को यह सजा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया [एमसीआई] की ओर से दी गई है। एमसीआई की एथिक्स कमेटी ने यह फैसला नौ नवंबर की अपनी बैठक में लिया था। इसके मुताबिक व्यावसायिक उत्पादों का प्रचार करने के लिए संगठन के अध्यक्ष और सचिव का नाम भारतीय मेडिकल रजिस्टर से छह महीने के लिए निकाला जा रहा है। नियमों के मुताबिक किसी भी मरीज का इलाज सिर्फ वही डॉक्टर कर सकते हैं, जिनका नाम मेडिकल रजिस्टर में शामिल हो।
हालांकि इस बारे में संपर्क किए जाने पर आईएमए के महासचिव डॉ. धर्म प्रकाश ने इस फैसले की कोई जानकारी होने से इंकार किया। उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई सूचना उन्हें नहीं दी गई, न ही उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। उनके मुताबिक आईएमए को नोटिस दिया गया था, जिसका जवाब काफी पहले दे दिया गया था। साथ ही उन्होंने कहा कि आईएमए पहले ही सैद्धांतिक तौर पर यह तय कर चुका है कि अब किसी व्यावसायिक उत्पाद का प्रचार नहीं करेगा। इनके मुताबिक साल 2008 के बाद से इसने किसी उत्पाद का समर्थन भी नहीं किया है,हालांकि डेटॉल साबुन, ट्रॉपिकाना जूस, क्वेकर ओट्स और यूरेका फोर्ब्स जैसे कई उत्पाद अब भी इसके साथ पुराने अनुबंध की अवधि जारी रहने की वजह से नाम ले कर विज्ञापन कर रहे हैं(दैनिक जागरण,दिल्ली,20.11.2010)।
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