स्कूलों में परीक्षा प्रणाली का विकल्प पेश करने के मामले में जयपुर देश का मॉडल शहर बनने जा रहा है।
यहां के 20 स्कूलों में सतत, समग्र और आकलन (सीसीए) नाम का प्रयोग शुरू किया गया है। इस नई प्रणाली में कोई विद्यार्थी पास या फेल नहीं होगा। पढ़ाई और परीक्षा साथ-साथ चलेगी। पहली कक्षा से ही ऐसी व्यवस्था लागू करने वाला जयपुर पहला जिला है। जयपुर के साथ ही अलवर जिले के 40 स्कूलों में भी यह प्रणाली लागू की गई है। पायलट प्रोजेक्ट के लिए सीसीए की रूपरेखा तैयार करने वाली बोध शिक्षा समिति के निदेशक योगेन्द्र ने बताया कि यह प्रणाली छात्र के समग्र विकास पर केंद्रित होगी। पास-फेल के बजाय सिखाने पर जोर होगा।
यह मौजूदा शिक्षण और परीक्षा पद्धति में बदलाव की पहल है। शिक्षा मंत्री मा. भंवरलाल मेघवाल का कहना है कि सीसीए प्रणाली जल्द ही प्रदेश के सभी स्कूलों में लागू की जानी है। फिलहाल जयपुर व अलवर के स्कूलों में पहली से चौथी कक्षा तक इसे लागू किया है। सर्व शिक्षा अभियान की आयुक्त वीनू गुप्ता बताती हैं कि नई आकलन व्यवस्था को लेकर शिक्षकों में खासी दिलचस्पी है। जिन 60 स्कूलों में यह प्रोजेक्ट चल रहा है, वहां छात्रों के दाखिलों में बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
बदला इम्तिहान का मकसद: सीसीए प्रणाली में परीक्षाओं के जरिए छात्रों की काबिलियत जानने के बजाय इस बात का आकलन होगा कि पढ़ाने के तरीके में क्या सुधार किया जाए। पाठ रटाने की जगह ऐसी गतिविधियों की मदद ली जाएगी, जिसमें छात्र और शिक्षक दोनों की भागीदारी हो। सीखने की प्रक्रिया ज्यादा से ज्यादा रोचक और कम से कम दबाव वाली होगी। इस प्रकार इसमें छात्र और शिक्षक दोनों का आकलन होगा। यह प्रक्रिया सत्र के शुरुआत से चलेगी, जिससे सिखाने के तरीके में बदलाव किए जा सकें।
मेन व ऑब्जेक्टिव जवाब एक कॉपी में: राजस्थान यूनिवर्सिटी ने भी परीक्षा प्रणाली में बदलाव किया है। 2011 की परीक्षाओं में ऑब्जेक्टिव (वस्तुनिष्ठ) और मेन (वर्णनात्मक प्रश्न) में एकसाथ छपकर आएंगे। इनके उत्तर भी अब एक ही उत्तर पुस्तिका में देने होंगे। परीक्षा नियंत्रक पी.एल. रैगर ने 10 अक्टूबर को इसके आदेश प्राचार्य, केन्द्राधीक्षक, संबद्ध कॉलेजों व शिक्षा संस्थाओं को भिजवाए हैं।
इस आदेश से पांच लाख से अधिक परीक्षार्थी प्रभावित होंगे। परीक्षा नियंत्रक के अनुसार वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर कॉपी में देते वक्त परीक्षार्थी ध्यान रखें, प्रश्नों के क्रमानुसार ही उत्तर दें। एक वर्णनात्मक प्रश्न के अंतर्गत पूछे गए विभिन्न प्रश्नों के कॉपी में अलग-अलग स्थानों पर हल करने के बजाय एक ही स्थान पर क्रमानुसार हल करें।
क्यों बदला पैटर्न: ऑब्जेक्टिव प्रश्न हल करने के लिए अतिरिक्त समय मिलता है, कई छात्र जल्दी हल करके समय पूरा होने का इंतजार करते थे, जो अब नहीं करना होगा। शिकायतें थीं कि उत्तर पुस्तिका के साथ लगाई गई ऑब्जेक्टिव कहीं मिस हो गई और नंबर नहीं जुड़ पाए(अजीत सिंह,दैनिक भास्कर,जयपुर,12.11.2010)।
ाच्छी जानकारी। धन्यवाद।
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