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12 नवंबर 2010

यूपीःबी एड दाखिले में विसंगतियां बढ़ीं। सॉफ्टवेयर ले उड़ा छात्रों की जीरो फीस

सीटों से अधिक प्रवेश के मामले कई अन्य कॉलेजों में भी हैं। छात्र दौड़ रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। कॉलेजों ने मनमानी फीस न देने वाले विद्यार्थियों को अभी तक प्रवेश नहीं दिया है। छात्र केवल चक्कर लगा रहे हैं। समायोजन की प्रक्रिया का कई छात्रों ने बहिष्कार किया है। छात्र तीसरी काउंसिलिंग में शामिल होने की मांग कर रहे हैं। कई विद्यार्थी बीएड में प्रवेश नहीं लेना चाहते लेकिन लविवि प्रशासन इस पर कोई निर्णय लेने को तैयार नहीं है। लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने बीएड में की गई विसंगतियों को दूर करने के लिए नौ नवंबर को प्रदेश के पांच कॉलेजों के विद्यार्थियों को बुलाया गया था। लविवि ने दावा किया था कि तीसरी काउंसिलिंग के पहले सभी विसंगतियों को दूर कर लिया जाएगा। अधिकारियों के ढुलमुल रवैये के कारण विसंगतियां बढ़ने के बजाय और बढ़ गईं है। छात्र परेशान हैं और अधिकारी अब केवल इस बीएड को निपटाने की मुद्रा में आ गए हैं। छात्रों की सुनवाई कहीं नहीं हो रही। तीसरी काउंसिलिंग 13 नवंबर से कराने की तैयारी है। हंगामा और विवाद होने के डर से लविवि प्रशासन ने परिसर में काउंसिलिंग कराने के लिए हाथ खड़े कर दिये थे। काउंसिलिंग की जिम्मेदारी प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों को सौंप दी गई। अब एक बार फिर अधिकारियों ने ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी है कि बीएड समस्याओं की गुत्थी सुलझने की बजाय और उलझती जा रही है। काउंसिलिंग के लिए एक दिन शेष है और प्रवेश निरस्त मामले में भी अभी तक लविवि प्रशासन ने कोई निर्णय नहीं लिया है। महंगा पड़ा बात मानना समय पर फीस जमा न करने वाले विद्यार्थियों ने कॉलेज में फीस जमा करने का निर्देश दे दिया था। छात्रों ने लविवि प्रशासन की बात मानी और कॉलेज में फीस जमा कर पढ़ाई शुरू कर दी। दो महीने की पढ़ाई के बाद प्रवेश रद कर दिया गया है। पांच छात्र गुरुवार को कुलसचिव जीपी त्रिपाठी से मिलने पहुंचे लेकिन वह नहीं मिले। इन छात्रों के लिए लविवि प्रशासन की बात मानना ही भारी पड़ गया है।


सॉफ्टवेयर ले उड़ा छात्रों की जीरो फीस
लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बीएड में की गईं गड़बडि़यों का खामियाजा आखिरकार छात्रों को ही भुगतना पड़ रहा है। समायोजन के नाम पर कराई जा रही काउंसिलिंग में छात्र जीरो फीस के लाभ से वंचित रह गए हैं। इन छात्रों को लाभ पहले ही दिया जा चुका है, लिहाजा समायोजन प्रक्रिया में लविवि के सॉफ्टवेयर ने इन छात्रों को रिजेक्ट कर दिया। हालांकि लविवि प्रशासन ने शुक्रवार को समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया है। बीएड की अभी तक हुईं काउंसिलिंग में लविवि प्रशासन ने कई कॉलेजों में सीटों से अधिक प्रवेश कर डाले। इन अभ्यर्थियों को समायोजित करने के लिए छात्रों को लविवि बुलाया गया। अब इन छात्रों को नया कॉलेज चयन करने पर जीरो फीस का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सॉफ्टवेयर पुराने प्रमाणपत्र को स्वीकार ही नहीं कर रहा। पहले लविवि प्रशासन ने अभ्यर्थियों से कह दिया कि उनके प्रमाण पत्र फर्जी हैं। प्रवेश के लिए अभ्यर्थियों को फीस जमा करने का भी आदेश दे डाला। यह समस्या सभी छात्रों के साथ होने पर मामला संज्ञान में लिया गया। अब छात्रों को आश्वासन दिया गया है कि शुक्रवार को समस्या का समाधान कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि मेरिट के आधार पर अभ्यर्थियों को कॉलेज आवंटित किया गया था। लविवि और कॉलेजों के आपसी सामन्जस्य की कमी के कारण सीटों से अधिक प्रवेश दिये गए और अब अभ्यर्थियों को परेशान किया जा रहा है(दैनिक जागरण,लखनऊ,12.11.2010)।

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