राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान यूनिवर्सिटी संविदाकर्मियों के भरोसे चल रही है। इसमें कुलपति से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संविदा पर हैं। राज्य सरकार के ढुलमुल रवैये के कारण 4 साल में एक भी स्थायी नियुक्ति नहीं हुई। प्रदेश में मेडिकल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने चार साल पहले इस यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी, लेकिन संविदाकर्मियों के होने के कारण यहां परीक्षाएं, परिणाम आदि गड़बड़ा गए हैं। यूनिवर्सिटी का 80 फीसदी स्टाफ संविदा व दैनिक वेतन भोगी है, जबकि 20 फीसदी प्रतिनियुक्ति पर हैं।
ये अनियमितताएं
वर्ष 2009 व 2010 की आरपीएमटी परीक्षा, डीएम व एमएसीएच 2010 की परीक्षा, प्री-पीजी 2010 डेंटल, प्री-पीएचडी 2010 आदि परीक्षाओं की गफलत।
यूनिवर्सिटी एक नजर में
लगभग 40 हजार परीक्षार्थी बैठते हैं परीक्षा में
एमबीबीएस, बीडीएस, डी, बी एवं एम फार्मा, बीओटी, बीपीटी,बी.एससी नसिर्ंग, एम.एससी नर्सिग की परीक्षा प्रदेश में आयोजित करवाना।
प्रमुख कर्मचारियों की स्थिति
यूनिवर्सिटी में कुल कर्मचारी 75
संविदा तथा दैनिक वेतन भोगी 65
अस्थायी व प्रतिनियुक्ति पर
1. डॉ.शशि सिंघवी, कुलपति अस्थायी
2. सुभाष पंत, परीक्षा नियंत्रक संविदा
3. सी.बी.जैन, डिप्टी रजिस्ट्रार डेपुटेशन
4. गजेन्द्रसिंह जोधा, सेक्शन ऑफि. डेपुटेशन
5. डी.एस.शर्मा, एएओ डेपुटेशन
6. प्रदीप कुमार, जूनियर एकाउंटेंट डेपुटेशन
7. विजय प्रताप, एलडीसी डेपुटेशन
8. रामरथ गुर्जर, एलडीसी डेपुटेशन
9. सुनील कुमार, एलडीसी डेपुटेशन
10. सत्यनारायण भाटी, च.श्रे.कर्मचारी डेपुटेशन
एक साल में बैठक नहीं
कॉलेजों का निरीक्षण, सिलेबस में बदलाव, नए विचारों से अवगत कराने
के लिए बोर्ड ऑफ स्टडीज (बॉस)
(दैनिक भास्कर,जयपुर,7.11.2010)
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