यूपी बोर्ड मूल्यांकन में सुधार करने के लिए लाख कोशिश करने का कोई फायदा नहीं हो रहा है। मूल्यांकन में सुधार करने की बात लगातार कहीं जा रही है, लेकिन मूल्यांकन प्रणाली पुराने ढर्रे पर चली आ रही है। स्टेप टू मार्क पर जोर देने के बावजूद परीक्षकों की लापरवाही का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। क्षेत्रिय बोर्ड कार्यालय में परीक्षार्थियों की शिकायत पर टेवेलेशन रजिस्टर (टीआर) और एवार्ड ब्लैंक (उत्तर पुस्तिका का नंबर इस पर चढ़ाया जाता है) में मिलान किया गया। जिसमें कई अनुत्तीर्ण छात्र उत्तीर्ण हो गए।
वर्ष 2010 की इंटरमीडिएट परीक्षा में फेल या कम अंक पाने वाले छात्रों की शिकायत पर परीक्षकों की गलती का खुलासा उस समय हुआ जब एवार्ड ब्लैंक और टीआर से उत्तर पुस्तिकाओं का मिलान किया गया। परीक्षकों ने काफी पर नंबर कुछ चढ़ाया और एवार्ड ब्लैंक पर कुछ ओर चढ़ा दिया। परीक्षकों की लापरवाही का नमूना कुछ इस तरह है इंटरमीडिएट अंग्रेजी के प्रश्नपत्र में परीक्षक ने उत्तर पुस्तिका में २० अंक जबकि एवार्ड ब्लैंक में ६ अंक चढ़ा दिए। एवार्ड ब्लैंक के आधार पर बोर्ड ने जो टीआर बनाया उसमें एवार्ड ब्लैंक पर छह नंबर चढ़ गए। 20 अंक पाने वाले छात्र के टीआर में 11 अंक चढ़ा कर फेल कर दिया। परीक्षकों के लापरवाही के नमूने परितुलन के दौरान देखने को मिले। एवार्ड ब्लैंक और टीआर से जब उत्तर पुस्तिकाओं का मिलान किया तो बीस छात्रों के अंकों में वृद्धि हुई या वे फेल से पास हो गए। इन छात्रों में अलीगढ़, हाथरस, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, फिरोजाबाद आदि जिलों के छात्र ज्यादा रहे। क्षेत्रीय सचिव वाई एन सिंह बताया कि सभी छात्रों के अंकों में भिन्नता को दूर कर उनका रिजल्ट घोषित कर दिया गया है।
फेल से हो गए पास (इंटरमीडिएट छात्रों के रोल नंबर)
१७६८४, ३५९४९, ३८२५३, ४५५२८, ५६९८४, ५७०८८, ५७१२३, १५१३३३, १४१५०२५, २३७६४२, १४२४३६१, १४३२७०८, ३१२८१४, १९८९०७
इनके बढ़ गए अंक (इंटरमीडिएट छात्रों के रोल नंबर)
३८००४, ३८२७७,१८०५९६, ३११२९७, ३१८७६२, १९८९२५
(अमर उजाला,मेरठ,9.11.2010)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।