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15 नवंबर 2010

क्षेत्रीय भाषाओं के लिए अलग सॉफ्टवेयर की ज़रूरत

पूर्व राष्ट्रपति प्रो. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कम्प्यूटर ज्ञान को आम जनता तक पहुंचाने पर जोर देते हुए कहा है कि ऐसे साफ्टवेयर विकसित करने होंगे जिसमें क्षेत्रीय भाषा का समावेश हो। इससे आम जनता गांव में बैठकर क्षेत्रीय भाषा की मदद से देश दुनिया से जुड़ सकेगी। वे आज भोपाल में लैंग्वेज कम्प्यूटिंग कार्यशाला का शुभारंभ कर रहे थे।
प्रो. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कहा कि स्थानीय भाषा को डिजीटल स्वरूप दिया जाना चाहिये जो सही अथरें में लैंग्वेज कम्प्यूटिंग है। उन्होंने कहा कि देशी भाषाओं के विरासत दस्तावेजों को भी डिजीटल स्वरूप दिया जाना चाहिए तथा उसे ऑप्टीकल कैरेक्टर रिकग्निशन के माध्यम से यूनीकोड स्वरूप में बदला जाना चाहिए। इस पहल से बड़ी संख्या में देशी भाषाओं के दस्तावेजों को डिजीटल स्वरूप में न सिर्फ बदला जा सकेगा बल्कि इंटरनेट के माध्यम से उस तक पहुँचना भी संभव होगा। इससे ग्रामीण तथा छोटे शहरों के लोगों, विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन में काफी सहायता मिलेगी। इससे इंग्लिश के उपयोग की अनिवार्यता समाप्त हो जायेगी और अंग्रेजी न जानने वाले भी इस ज्ञान का लाभ उठा सकेंगे। यदि हम देशी भाषा विशेषकर हिन्दी का कम्प्यूटरीकरण करते हैं तो बहुत बड़ी संख्या में लोग लाभान्वित होंगे। उन्होंने बताया कि यूनीकोड एक ऐसा यूनिवर्सल कैरेक्टर है जिसका उपयोग कम्प्यूटर प्रक्त्रिया के लिये विषयवस्तु के प्रस्तुतिकरण में किया जाता है।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि यूनीकोड के माध्यम से राज्य सरकारें नागरिकों को स्थानीय भाषा में बेहतर सेवाएं दे सकेंगी। तब यह संभव होगा कि भोपाल के किसी गांव का किसान अपने मोबाईल फोन के द्वारा तमिलनाडु में उपलब्ध कृषि विस्तार तक पहुँच बना सकेगा और वहा कृषि उत्पादों, विपणन और कृषि विशेषज्ञों आदि की सलाह तथा अन्य जानकारी हिन्दी में ले सकेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार भारत के नागरिक ज्ञान आधारित समाज की ओर तेजी से बढ़ सकेंगे।
कार्यक्त्रम को संबोधित करते हुये राज्य की स्कूल शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस ने लैंग्वेज कम्प्यूटिंग के क्षेत्र में मध्यप्रदेश को अग्रणी राज्य बताते हुये कहा कि जन-जन तक सूचना प्रौद्योगिकी ले जाने में हिन्दी सहायक है ऐसा अब सिद्ध हो सकेगा। उन्होंने कहा कि हमारी तकनीक ऐसी होनी चाहिए जो देश को आगे बढ़ाये न कि हमारी अस्मिता को नुकसान पहुँचाये। इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका सिर्फ स्कूल शिक्षा विभाग ही निभा सकता है।
प्रशासन अकादमी के महानिदेशक प्रशात मेहता ने बताया कि प्रदेश के सभी विभागों ने अपने-अपने साफ्टवेयर बनाये हैं। हिन्दी में कम्प्यूटर लैंग्वेज को सुगम बनाना मौजूदा दौर में अति आवश्यक है(दैनिक जागरण,भोपाल,16.11.2010)।

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