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30 नवंबर 2010

राजस्थानःबेरुखी का शिकार हुआ अंतरराष्ट्रीय स्तर का फार्म-डी पाठ्यक्रम

राजस्थान में किसी भी मेडिकल कॉलेज ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के फार्म-डी (डॉक्टरेट इन फार्मेसी) पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए किसी ने भी फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के समक्ष आवेदन नहीं किया है। फार्म-डी नामक पाठ्यक्रम के लिए 300 बैड का अस्पताल एवं सभी तरह की सुविधाओं का होना जरूरी है। आंधप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलाडु, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों में यह पाठ्यक्रम शुरू हो चुका है।

राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अरुण गर्ग ने बताया कि फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) नई दिल्ली ने छह वर्षीय फार्म—डी नामक पाठ्यक्रम शुरू किया था, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी किसी भी संस्थान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के पाठ्यक्रम के लिए आवेदन नहीं किया।

फार्म-डी कोर्स क्या :

12 वीं साइंस से उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को फार्मेसी के छह वर्षीय कोर्स (5 साल का कोर्स व एक वर्षीय क्लिनिकल प्रेक्टिश) में प्रवेश ले सकता है। कोई भी संस्थान प्रवेश टेस्ट के आधार पर ले सकता है। कोर्स पूरा होने तथा प्रेक्टिश के बाद ही प्रमाण-पत्र दिया जाता है। बी—फार्मा किए हुए छात्र चतुर्थ वर्ष में सीधा प्रवेश ले सकता है। प्रत्येक संस्थान में काउंसिल द्वारा सीटों की संखया 30 है। इसकेलिए कोई भी सरकारी मेडिकल कॉलेज, फार्मेसी कॉलेज या निजी संस्थान पाठ्यक्रम के लिए आवेदन कर सकता है, लेकिन पीसीआई के निर्धारित मानदंड पूरे करने पर ही कोर्स की अनुमति देता है। 


फार्मेसी कोर्स अपग्रेड होगा
डिप्लोमा इन फार्मेसी के छात्रों को पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद दो साल का ब्रिज कोर्स करके बैचलर इन फार्मेसी (बी-फार्मा) की डिग्री मिल सकेगी। इस बाबत फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया नई दिल्ली ने स्वास्थ्य मंत्रालय को प्रस्ताव भेज दिया है। आने वाले समय में बी—फार्मा के बाद ही फार्मेसी काउंसिल में पंजीकरण हो सकेगा।

जयपुर में होगा ड्रग इंफोर्मेशन सेंटर : केन्द्र सरकार की ओर से चिकित्सक, फार्मेसी से जुड़े व्यक्ति एवं आमजन को दवा से संबंधित साइड इफेक्ट, डोज आदि की जानकारी देने के लिए राजस्थान फार्मेसी काउंसिल में ड्रग इंफोर्मेशन सेंटर खोला जाएगा। काउंसिल रजिस्ट्रार दिनेश सचदेवा के अनुसार सेंटर के लिए इंन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा चुका है,अनुमति का इंतजार है(सुरेन्द्र स्वामी,दैनिक भास्कर,जयपुर,29.11.2010)।

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