मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

18 नवंबर 2010

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय नहीं सुन रहा राजभवन की

बरकतउल्ला विवि में कितनी गंभीर अनियमितताएं चल रही हैं और प्रबंधन इन्हें लेकर कितना बेपरवाह है, इसका खुलासा हाल ही में राजभवन से भेजे गए एक पत्र से होता है। इस पत्र में उन तमाम 38 मामलों का जिक्र है,जिनके निराकरण के लिए राजभवन लगातार बीयू को निर्देशित करता रहा है।

यहीं नहीं,राजभवन ने हर प्रकरण के लिए करीब दो से छह स्मरण पत्र भी भेजे हैं। बावजूद इसके इन मामलों का निराकरण नहीं हो सका। परेशान होकर राजभवन सचिवालय ने तमाम 38 मामलों का हवाला देते हुए एक पत्र भेजा है, जिसमें इनके निराकरण का अनुरोध किया गया है।

बीते सालों में सामने आई गड़बड़ियों को लेकर राजभवन ने समय-समय पर बीयू को पत्र लिखे हैं। इनमें लंबित मामले निपटाने के निर्देश दिए गए, लेकिन इस बार पानी सिर से ऊपर चला गया। राजभवन ने बीयू को समझाने के लिए गत 13 अगस्त को एक बैठक बुलाई थी,इस बैठक में लंबित मामले बता दिए गए और उनके निराकरण के लिए पर्याप्त समय दिया गया। ये समय बीत जाने के बाद भी मामले जस के तस हैं। राजभवन इतना ज्यादा परेशान हो गया कि इस बार भेजे स्मरण पत्र में सभी 38 मामलों की सूची लगा कर भेज दी गई। पत्र में इन्हें निपटाने के लिए अनुरोध किया गया है।

महत्वपूर्ण मामले जो लंबे समय से अटके पड़े हैं
1.बीयू के यांत्रिकी संस्थान में संविदा पर नियुक्त शिक्षकों की सेवा शर्ते एवं अन्य लाभ का मामला। 16 जुलाई को स्मरण पत्र भी भेजा गया।
2.छात्र शशांक रावत द्वारा एक ही सत्र में विवि की तीन विभिन्न परीक्षाओं में शामिल होने का मामला। 12 मई को स्मरण पत्र भेजा गया।
3.तकनीकी सहायक रंजन सिंह का वेतन भुगतान न होने के संबंध में। इस मामले में 30 अगस्त 2002 से 9 अगस्त 2007 तक 6 स्मरण पत्र भेजे गए।
4.मुक्त एवं दूरवर्ती शिक्षा संस्थान के उप संचालक संजय आर गुलाटी की नियुक्ति और अन्य नियुक्तियों के संबंध में हुई शिकायत। 3 जुलाई को स्मरण पत्र भेजा गया।
5.बीयू में अमित दत्ता की प्रोग्रामर पद पर नियुक्ति का मामला। इस संबंध में राजभवन ने 2005 से 2008 तक तीन स्मरण पत्र भेजे।
6.फॉर्मेसी विभाग में 59 दिनों तक दैनिक वेतन पर कर्मचारियों की नियुक्ति का मामला। 2008 में स्मरण पत्र भी भेजा गया।
7.प्रौढ़ शिक्षा में कार्यक्रम अधिकारी के पद पर नरेंद्र त्रिपाठी के पद पर नियुक्ति का मामला। 6 अगस्त को स्मरण पत्र लिखा गया।
8.निजी कॉलजों के बीपीएड एवं बीएड छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति एवं बीयू के एमपीएड पाठ्यक्रम में निर्धारित संख्या से अधिक छात्रों को प्रवेश देने का मामला। 14 सितंबर 2009 को स्मरण पत्र भेजा गया।
9.बीयू में सत्र 2006-07 और 2007-08 में बीपीएड, एमपीएड और बीएड पाठ्यक्रमों का अनियमित संचालन। 2 जुलाई को स्मरण पत्र भेजा गया।
10. अधिवक्ता अजय रायजादा को विवि द्वारा किए गए भुगतान के संबंध में। इस मामले में भी 24 जुलाई 2007 को स्मरण पत्र भेजा गया।
11बीयू में वित्तीय अनियमितता का मामला। इस मामले में 16 जुलाई 2008 और 21 जून 2010 को स्मरण पत्र भेजे गए।
12. 11वी पंचवर्षीय योजना में यूजीसी के द्वारा स्वीकृत राशि के दुरुपयोग का मामला। इस संबंध में 26 फरवरी से लेकर अब तक तीन स्मरण पत्र भेजे जा चुके हैं।
13.बीएड पाठ्यक्रम की मान्यता समाप्त होने का मामला। 22 जून को स्मरण पत्र भी भेजा।
14.सतत शिक्षा एंव विस्तार विभाग में नीरजा शर्मा को विभागाध्यक्ष नियुक्त करने का मामला। इस संबंध में 2009 से 22 जनवरी 2010 तक 6 स्मरण पत्र भेजे गए।
15.यू में अंशकालीन परामर्शी की नियुक्ति का मामला। इस मामले में एक साल में राजभवन ने 3 स्मरण पत्र भेजे।
16.शिक्षकों की तदर्थ नियुक्ति का मामला। 26 फरवरी को स्मरण पत्र भेजा गया।
17.आरपीईजी विभाग में विभागाध्यक्ष की नियुक्ति मामला। 1 जुलाई को स्मरण पत्र भेजा।
18.शैक्षणिक पदों पर हुई नियुक्ति की शिकायत। 22 मई 2009 को स्मरण भेजा गया।
19.कंप्यूटर साइंस विभाग में नकली पुस्तकों का मामला। इस संबंध में 21 जून 2006 से तीन स्मरण पत्र भेजे गए।
20.2007 के तत्कालीन कुलपति के कार्यकाल में हुई अनियमितताओं का मामला। 15 नवंबर 2007 को स्मरण पत्र भी भेजा गया।
21.2007-08 में बिना अधोसंरचना के बीएड संचालित करने का मामला। 29 अगस्त 2008 में स्मरण पत्र भेजा गया।
22.रवींद्र कुमार कौशिक एवं खलील खान की क्रीड़ाधिकारी के पद पर नियुक्ति। एक स्मरण भेजा गया।
23.नकल कर पीएचडी का मामला। 7 जुलाई को स्मरण भेजा गया।
24.संविदा शिक्षकों को शोध निर्देशक की मान्यता देने का मामला। इसी साल दो स्मरण भेजे।

शेष मामलों का निपटारा जल्द
राजभवन के सचिवालय से नोटिस मिला है। बीयू इसके जवाब बनाने में जुटा है। करीब 10 मामलों का निपटारा कर दिया गया है, शेष का भी जल्द हो जाएगा-संजय पी तिवारी,रजिस्ट्रार,बीयू

जांच बैठाकर तय हो जिम्मेदारी
राजभवन के पास सारी शक्तियां होती है। यदि राजभवन मामले को गंभीरता से ले, तो जांच बैठाकर जिम्मेदारी तय कर सकता है और जिम्मेदारों को तत्काल पद से हटा सकता है। सिर्फ नोटिस देने और उसके जवाब लेने तक ही राजभवन को सीमित नहीं होना चाहिए, समस्याओं का निराकरण भी जरूरी है-प्रो.उदय जैन,पूर्व कुलपति(विहंग सालगट,दैनिक भास्कर,भोपाल,18.11.2010)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।