छत्तीसगढ़ में विभिन्न विश्वविद्यालयों के स्टडी सेंटर में पढ़ाई कर रहे और पासआउट हजारों छात्र अपने ही राज्य की सरकारी नौकरियों से महरूम रहेंगे।
प्रदेश सरकार के मुताबिक जब तक उच्च शिक्षा विभाग में इन संस्थानों का रजिस्ट्रेशन नहीं होता तब तक उन्हें राज्य में सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती।
प्रदेश में फिलहाल माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं जनसंचार विवि के 18 से ज्यादा स्टडी सेंटर चल रहे हैं। इसके अलावा पंजाब टेक्नीकल यूनिवर्सिटी के भी 19 सेंटरों में कामकाज जारी है। इन संस्थानों में फिलहाल दस हजार से अधिक विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं।
प्रदेश में कोई नियम ही नहीं :
छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक तौर पर स्टडी सेंटर के लिए कोई नियम नहीं है। यही बात छात्रों के भविष्य के आड़े आ रही है। इस मामले को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल हाल में उच्च शिक्षा मंत्री से मिला भी था।
माखनलाल विवि ने पल्ला झाड़ा :
इस मसले पर माखनलाल विवि ने हाथ खड़े कर दिए हैं। विवि के आईटी विभाग के निदेशक दीपक शर्मा के मुताबिक माखनलाल राष्ट्रीय विवि है और नियमानुसार 12 राज्यों में अपना स्टडी सेंटर चला रहा है। यशपाल बनाम प्राइवेट यूनिवर्सिटी प्रकरण के बाद विवि की ओर से स्टडी सेंटर बंद करने की मंशा थी।
लेकिन जो संस्थान पहले से चल रहे थे उन्होंने कोर्ट से स्टे ले लिया। वही वर्तमान में रन हो रहे हैं। उन संस्थानों को भी विवि ने साफ कर दिया है कि वे अपनी जिम्मेदारी पर संस्थान चलाएं। विवि ने २क्क्६ के बाद किसी नए स्टडी सेंटर को इजाजत नहीं दी है।
कई सारे कोर्स
माखनलाल विवि की ओर से इस समय छत्तीसगढ़ में स्टडी सेंटर के माध्यम से पीजीडीसीए, डीसीए, एमएससी (सीएस), एमएससी (सीएस)एलक्ष्, एमएससीआईटी, बीएससीआईटी, बीसीए को कोर्स चलाए जा रहे हैं।
जबकि पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी के अंडर ग्रैज्युएट प्रोग्राम के तहत डीसीए, एडीएचएनटी, बीएसीआईटी, बीबीए और बीसीए तथा पोस्ट ग्रैज्युएट प्रोग्राम के तहत पीजीडीसीए, पीजीडीबीएम, एमबीए, एमएससीआईटी और एमसीए कोर्स संचालित किए जा रहे हैं।
एक लाख से ज्यादे पर असर
वर्तमान में रन किए जा रहे स्टडी सेंटर और छात्रों की संख्या के हिसाब से मौजूदा सत्र में करीब दस हजार छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। अगर इसमें पासआउट छात्रों की संख्या भी जोड़ दी जाए तो एक लाख से भी ज्यादा विद्यार्थियों को प्रदेश की सरकारी नौकरियों में जगह नहीं मिलेगी।
विवि ने 2006 के बाद किसी नए स्टडी सेंटर को अनुमति नहीं दी है। कुछ राज्यों में दिक्कत आ रही है। विवि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के वकीलों से सलाह ले रहा है। छात्रों के हित में जो बेहतर होगा वो कार्रवाई जरूर की जाएगी- दीपक शर्मा, डायरेक्टर, आईटी, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विवि
कुछ दिन पहले इस बात को लेकर भोपाल में मीटिंग हुई थीं। पीटीयू डिस्टेंस एजुकेशन काउंसिल के एप्रूवल के बाद ही कोर्स का संचालन कर रहा है। छग सरकार सरकार को अगर कोई आपत्ति है तो नियम बनाए। हम उसका पालन करने के लिए तैयार हैं- अजेश गुगनानी, डायरेक्टर, पीटीयू
नियम अब तक बना ही नहीं
माखन लाल और पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी से अफिलेटेड स्टडी सेंटर्स में पढ़ने वाले छात्रों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। क्या ये सही है?
बिलकुल सही है। स्टडी सेंटर के डिग्री/डिप्लोमाधारियों को राज्य सरकार के किसी भी संस्थान में नौकरी नहीं मिलेगी। सरकार इस डिग्री को नहीं मानती।
कौन सा नियम आड़े आ रहा है?
नियम बना ही नहीं, तो आड़े क्या आएगा। यही कि इन संस्थानों ने राज्य सरकार से परमिशन लिया ही नहीं है-एम के राउत, आयुक्त उच्च्शिक्षा विभाग
हजारों छात्रों का भविष्य जुड़ा हुआ है। क्या कार्रवाई की जा रही है?
-ज्ञान लेने से किसी को रोक तो नहीं सकते।
(राजकिशोर भगत,दैनिक भास्कर,भिलाई,18.11.2010)
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