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18 नवंबर 2010

शिक्षा पर भारत-अमरीका सहयोग के विस्तार की तैयारी

भारत के एक शीर्ष दूत के मुताबिक शिक्षा के क्षेत्र में भारत और अमेरिकी सहयोग के व्यापक विस्तार की तैयारी की जा रही है और विदेशी शिक्षा विधेयक अमेरिकी विश्वविद्यालयों को भारत में अपने परिसर खोलने का एक "शानदार अवसर" उपलब्ध कराता है।

अमेरिका में भारतीय राजदूत मीरा शंकर ने कहा कि भारत शिक्षा को समावेशी विकास का लक्ष्य हासिल करने में एक अहम कारक मानता है और भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई तक ले जाने में इसकी क्षमता को समझता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भारत और अमेरिकी सहयोग के व्यापक विस्तार की तैयारी की जा रही है। युवा पी़ढ़ी के साथ ही भारत में शिक्षा संबंधी बुनियादी सुविधा के विस्तार की बहुत मांग है। मीरा यहां नेहरू फुलब्राइट एजुकेशन एक्सचेंज प्रोग्राम के ६० वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने स्कूलों, विश्वविद्यालयों, रोजगार मूलक प्रशिक्षण देने वाले संस्थानों में शिक्षा संबंधी बुनियादी सुविधाओं के उन्नयन और उनके व्यापक विस्तार के लिए कई ब़ड़े कदम उठाने की घोषणा की है। मीरा ने कहा कि इसे पूरा करने के लिए हम शिक्षा पर सरकारी व्यय को १० फीसदी से ब़ढ़ाकर १९ फीसदी कर रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र को विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए खोलने के उद्देश्य से संसद में एक विधेयक भी पेश किया जा चुका है।

भारतीय राजदूत ने कहा कि यह अमेरिकी विश्वविद्यालयों के लिए न केवल अमेरिका में, बल्कि भारत में भी अपने परिसर शुरू कर भारतीय छात्रों की संख्या ब़ढ़ाने का बेहतरीन अवसर देता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में करीब ३० लाख भारतीय अमेरिकी हैं जिन्होंने अमेरिका को अपना घर बना लिया है। इनमें से ज्यादातर ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शिक्षा ली है और इस देश की अर्थव्यवस्था में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। ये लोग अपनी दक्षता, दृ़ढ़ता और कठोर श्रम से अमेरिकी जनमानस को भारत के बारे में प्रभावित कर रहे हैं। मीरा ने कहा कि फुलब्राइट शोधार्थियों की तरह, इन भारतीय अमेरिकियों ने भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि मैं अक्सर भारत में प्रतिभा पलायन के संदर्भ में ज्ञान के प्रसार की अवधारणा का जिक्र करती हूं। उन्होंने कहा कि कुछ भारतीय अमेरिकी हमारे प्रधानमंत्री के "ग्लोबल एडवाइजरी काउंसिल ऑफ ओवरसीज इंडियंस" के माध्यम से भारत के विकास में मदद की पेशकश कर रहे हैं(नई दुनिया,दिल्ली,18.11.2010)।

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