उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को अंतिम मौका देते हुए निर्देश दिया है कि शनिवार 13 नवंबर को होने वाली काउंसिलिंग में वह बीएड की खाली पड़ी सभी सीटों को भरे अन्यथा कालेज स्वयं सीटें भरने के लिए स्वतंत्र होंगे। शनिवार को बीएड की तीसरी व अंतिम दौर की काउंसलिंग होनी है। उत्तर प्रदेश में बीएड प्रवेश के लिए जुलाई में संयुक्त प्रवेश परीक्षा हुई थी, लेकिन अब तक काउंसलिंग और सीटें भरने का काम पूरा नहीं हुआ है। एक लाख सीटों के लिए दो दौर की काउंसलिंग होने के बाद भी करीब 3471 सीटें खाली बची हैं। सुप्रीम कोर्ट में तो मेरठ के 8 कालेज और आगरा की एक एसोसिएशन ही आई है, लेकिन कोर्ट के आदेश का असर राज्य भर के कालेजों पर होगा। राज्य सरकार को ये निर्देश न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन व न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक की पीठ ने मेरठ के गैर सहायता प्राप्त निजी बीएड कालेजों और आगरा के स्ववित्त पोषित महाविद्यालय संगठन की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को जारी किए। इससे पहले राज्य सरकार की ओर से पेश वकील श्रीश मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि 13 नवंबर को काउंसलिंग होनी है, जिससे सीटें भर दी जाएंगी, अत: दो सप्ताह के लिए सुनवाई स्थगित कर दी जाए लेकिन कालेजों की ओर से पेश वकील दिव्य प्रकाश पांडेय ने कहा कि देरी के कारण ही पिछला सत्र शून्य घोषित हो गया था। इस बार भी काउंसिलिंग का सिलसिला अंतहीन हो गया है। सीटें खाली पड़ी हैं। अब तक पढ़ाई शुरू नहीं हुई है। पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि उसे सीटें भरने का अंतिम मौका दिया जा रहा है। अगर उसने 13 नवंबर की काउंसलिंग में सभी खाली सीटों के लिए छात्र नहीं दिए तो कालेज स्वयं सीटें भरने के लिए स्वतंत्र होंगे। राज्य सरकार ने शैक्षणिक सत्र में विलंब के कारण सत्र नियमित करने के लिए वर्ष 2009-10 का सत्र शून्य घोषित कर दिया था। कालेजों ने राज्य सरकार के आदेश को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में चुनौती दी और संयुक्त प्रवेश परीक्षा कर प्रवेश लेने की अनुमति मांगी(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,13.11.2010)।
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