मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

13 नवंबर 2010

किताबों में दिलचस्पी कम हुई टीवी से

देश की युवा पी़ढ़ी में टीवी, इंटरनेट के कारण तथा महंगी किताबें प़ढ़ने की प्रवृत्ति कम होती जा रही है और केवल २५ प्रतिशत युवा खाली समय में ज्ञान ब़ढ़ाने, आनंद प्राप्त करने तथा तनाव दूर करने के लिए किताबें प़ढ़ना चाहते हैं । इनमें २४ प्रतिशत ल़ड़के तथा २७ प्रतिशत लड़कियां हैं । पुस्तकें न प़ढ़ने के पीछे महत्वपूर्ण कारणों में समय की कमी, दिलचस्पी का अभाव, सस्ते दाम पर किताबों का न मिलना तथा नए टीवी चैनल हैं । अधिकतर युवाओं का मानना है कि वे सिलेबस के बाहर की किताबें प़ढ़ते हैं तो उन्हें अधिक ज्ञान प्राप्त होता है तथा वे सफल ज्यादा होते हैं । करीब ७५ प्रतिशत युवा मानते हैं कि किताबें प़ढ़ना टीवी या इंटरनेट देखने से ज्यादा फायदेमंद हैं ।

राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा युवा पी़ढ़ी में प़ढ़ाई को लेकर किए गए राष्ट्रीय सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है । पहली बार देश में इस तरह का सर्वेक्षण किया गया है । न्यास के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. विपिन चंद्रा द्वारा कल शाम जारी रिपोर्ट के अनुसार युवा पी़ढ़ी के ज्यादातर लोग यानी ३३.४ प्रतिशत लोग हिंदी में किताबें प़ढ़ना चाहते हैं जबकि मराठी में १३.२ प्रतिशत, बांग्ला में सात प्रतिशत तथा अंग्रेजी में ५.३ प्रतिशत लोग किताबें प़ढ़ना चाहते हैं । रिपोर्ट के अनुसार ४२ प्रतिशत युवा पी़ढ़ी कथा साहित्य प़ढ़ना चाहती है जबकि २४ प्रतिशत युवा पी़ढ़ी गैर कथा साहित्य प़ढ़ना चाहती है(नई दुनिया,दिल्ली,13.11.2010) ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।