व्यावसायिक शिक्षा व प्रशिक्षण के लिए संसाधनों की कमी से जूझ रही सरकार अब अपने केंद्रीय विद्यालयों के भवनों व परिसरों को निजी क्षेत्र को देकर उनका अधिक से अधिक उपयोग करेगी। इसके लिए अलग से संविदा (कांट्रैक्ट) नीति बनेगी। कमजोर आय वर्ग के बच्चों को ट्यूशन फीस व विद्यालय विकास निधि से छूट के लिए सिर्फ गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) का प्रमाण पत्र ही काफी होगा। उन्हें अब उसके साथ आय सर्टिफिकेट का भी देना जरूरी नहीं होगा। इतना ही नहीं, तबादलों में पारदर्शिता के मद्देनजर अलग-अलग पहलुओं को तरजीह दी जाएगी और उसका आकलन प्वाइंट (नंबर) के आधार पर होगा। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल की मौजूदगी में बुधवार को यहां हुई केंद्रीय विद्यालय संगठन के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स यानी संचालक मंडल की बैठक में ये फैसले लिए गए हैं। संचालक मंडल ने केंद्रीय विद्यालयों के भवनों व परिसरों को खाली समय में निजी क्षेत्र को व्यावसायिक शिक्षा व प्रशिक्षण के लिए देने पर अपनी मुहर लगा दी है। निजी क्षेत्र कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) के लिए उसका उपयोग तीन से रात्रि आठ बजे तक कर सकेंगे। प्राथमिकता उन माता-पिता या अभिभावकों को मिलेगी, जिनके बच्चे उन विद्यालय में पढ़ रहे होंगे। हालांकि इस सबके लिए अलग से कांट्रैक्ट नीति बनेगी, लेकिन किसी भी संविदा को किसी समय निरस्त करने का प्रावधान जरूर होगा। सैनिक क्षेत्रों में चल रहे केंद्रीय विद्यालयों के मामले में यह नीति अलग होगी। इसके अलावा केंद्रीय विद्यालयों की तबादला नीति में भी बदलाव किया गया है। खास जोर पारदर्शिता पर होगा। उसके लिए सभी पहलुओं का अलग-अलग आकलन होगा और वह प्वाइंट (नंबर) आधारित होगा। सबसे ज्यादा तरजीह उसे दी जाएगी, जो जिसको एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित किया जा रहा है। जबकि किसी को भी पहल तैनाती (पोस्टिंग) पर कम से कम तीन साल का कार्यकाल पूरा करना जरूरी होगा(दैनिक जागरण,दिल्ली,4.11.2010)।
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