हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में कार्यरत पैरा शिक्षकों को शिक्षा विभाग को अनुबंध शिक्षकों के समान वित्तीय लाभ देने होंगे। इससे संबधित एक मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए विभाग को यह निर्देश जारी किए हैं। शिक्षा विभाग ने पैरा शिक्षकों को अनुबंध शिक्षकों के समान दर्जा देने की अधिसूचना पहले ही जारी कर दी थी।
लेकिन, इन शिक्षकों को इसके बावजूद अनुबंध शिक्षकों के समान वित्तीय लाभ नहीं मिल पाए हैं। सरकार ने अनुबंध शिक्षकों को संशोधित वेतनमान के हिसाब से बढ़ा हुआ वेतन काफी पहले प्रदान कर दिया था, जबकि पैरा शिक्षकों को यह लाभ काफी देर बाद मिला।
पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पैरा शिक्षकों की नियुक्तियां पैरा टीचर्ज नीति के तहत की गई थीं जिनमें टीजीटी, लेक्चरर, सीएंडवी और अन्य कैटेगिरी के शिक्षक शामिल हैं। वर्तमान में इस नीति के तहत नियुक्त हुए शिक्षकों की संख्या लगभग 2200 हैं।
ये शिक्षक प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं। पैरा शिक्षकों को अनुबंध शिक्षकों का दर्जा एक अप्रैल 2007 से प्रभावी माना जाएगा। जानकारों के अनुसार पैरा शिक्षकों को इस निर्णय के बाद सबसे बड़ा वित्तीय लाभ यह मिलने जा रहा है कि उन्हें संशोधित वेतनमानों का लाभ उसी तिथि से मिल जाएगा, जिस तिथि से यह लाभ अनुबंध शिक्षकों को प्रदान किया गया है।
छुट्टियां और अन्य लाभ भी अनुबंध शिक्षकों की तर्ज पर : पैरा शिक्षकों को इसके साथ ही छुटिटयों, इंक्रीमेंट और दूसरे लाभ भी अनुबंध शिक्षकों की तर्ज मिलेंगे। अनुबंध शिक्षकों को हर साल तीन प्रतिशत की इंक्रीमेंट देने का प्रावधान किया गया है जो पैरा शिक्षकों को भी मिलेगी। पैरा शिक्षकों को इससे पहले इंक्रीमेंट नहीं मिल रही थी।
क्या होगा लाभ
अनुबंध शिक्षकों को संशोधित वेतनमानों का लाभ दिसंबर 2009 से प्रदान किया गया है, जबकि पैरा शिक्षकों को संशोधित वेतनमानों का लाभ अप्रैल 2010 से प्रदान किया गया। देरी से लाभ मिलने के कारण पैरा लेक्चरर को प्रतिमाह पांच हजार रुपए का नुकसान हुआ है। शिक्षा विभाग अगर पैरा लेक्चरर को सिंतबर माह से वित्तीय लाभ प्रदान करता है, तो चार महीने के लंबित लाभों का भुगतान करना होगा।
इस हिसाब से हर पैरा लेक्चरर का देय लाभ लगभग 20 हजार के करीब बनता है। इसी तरह सीएंडवी और टीजीटी को मिलने वाला वित्तीय लाभ 10 से 15 हजार रुपए तक बनता है(दैनिक भास्कर,शिमला,4.11.2010)।
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