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17 नवंबर 2010

बिहारःसंस्कृत स्कूलों में समृद्ध होंगे पुस्तकालय

सूबे में लागू चुनाव आचार संहिता की वजह भले ही नई योजनाओं की शुरुआत में अड़चन हो, किंतु पहले से मंजूर योजनाओं को मूर्तरूप देने में कोताही नहीं बरती जा रही है। राज्य के 1265 संस्कृत स्कूलों में पुस्तकालयों को खोलने और उन्हें समृद्ध करने की योजना अमल में लायी जा रही है। इनमें पटना जिले के 12 संस्कृत स्कूलों को भी लाभ मिलेगा।
आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सूबे के 531 और 734 कोटि के संस्कृत स्कूलों में पुस्तकालय योजना को मूर्त रूप दिया जा रहा है। हालांकि इनमें से दस-बारह फीसदी स्कूलों में 30-35 वर्ष पहले पुस्तकालयों की स्थापना की गई थी। लेकिन उन पुस्तकालयों का वही हश्र हुआ, जो जिला एवं अनुमंडल स्तर के सरकारी अनुदान प्राप्त पुस्तकालयों का हुआ है। इसलिए संस्कृत स्कूलों में शिक्षा को गति देने और विद्यार्थियों को शैक्षणिक माहौल की सुविधा मुहैया के उद्देश्य से चार माह पहले 96 लाख रुपये की राशि मंजूर की गई थी। उसी राशि को संबंधित स्कूलों के खाते में उपलब्ध कराया गया है। इस राशि से संस्कृत भाषा से जुड़ी पुस्तकें और सुरक्षित रखरखाव के लिए बुक सेल्फ क्रय की जाएगी। इसके लिए संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी के दिशा-निर्देश पर कमेटी का गठन किया गया है।
जानकारी के अनुसार सरकारी योजना के तहत पहले संस्कृत स्कूलों में पुस्तकालयों की सच्चाई जानने का प्रयास किया गया। इसके लिए टीम बनायी गयी। जिला शिक्षा अधिकारियों के जरिये स्कूलों में पुस्तकालयों के वजूद को देखा-परखा गया तो पता चला कि 90 फीसदी संस्कृत स्कूलों में पुस्तकालय था ही नही। जिन दस फीसदी संस्कृत स्कूलों में पुस्तकालय होने की जानकारी मिली उनका वजूद पहले ही खत्म हो चुका था। ऐसे में संस्कृत स्कूलों में पुस्तकालय खोलकर उन्हें समृद्ध करने की कार्य योजना तैयार की गई, जो चालू वित्तीय वर्ष में मूर्तरूप लेगी(दैनिक जागरण,पटना,17.11.2010)।

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