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03 नवंबर 2010

पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में सुविधाएं बढ़ेंगी

कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के अधीन आने वाले 13 अनुसंधान केंद्रों में अब शोध कार्य प्रभावित नहीं होगा। इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की तरफ से दो करोड़ 60 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। जिसे कृषि विवि की तरफ से आगे जारी कर दिया गया है। इस राशि का एक बड़ा हिस्सा किन्नौर व लाहुल-स्पीति में स्थित अनुसंधान केंद्रों में खर्च होगा ताकि इन जिलों के दुर्गम स्थानों में मौजूद अनुसंधान केंद्रों में अनुसंधान कार्य में कोई समस्या न आए। इस राशि के माध्यम से इन केंद्रों में मूलभूत सुविधाओं के अलावा नए यंत्र भी स्थापित किए जाएंगे। इन अनुसंधान केंद्रों में पिछले कुछ समय से कई सुविधाओं के अभाव में शोध कार्य पर भी असर दिख रहा था। कृषि विवि के इस समय प्रदेश में तीन बड़े तथा इस अनुसंधान उपकेंद्र मौजूद है। बड़े अनुसंधान केंद्रों में जिला कुल्लू के बजौरा, सिरमौर के धौलाकुआं व लाहौल स्पीति के कुक्मसेरी तथा अनुसंधान उपकेंद्रों में कांगड़ा, मलां, नगरोटा-बगवां, जिला चंबा के सलूणी, ऊना के अखरोट, बिलासपुर के बरठीं, मंडी के सुदंरनगर, किन्नौर के सांगला व लियो तथा लाहौल-स्पीति में लारी शामिल हैं। इनमें किन्नौर व लाहौल-स्पीति में जिलों में मौजूद अनुसंधान केंद्रों में 74 लाख रुपये खर्च होंगे। लारी अनुसंधान केंद्र में राजमाह की च्वाला किस्म को उन्नत करने सहित लू सरं घास के बीज उत्पादन पर शोध किया जाता है। इस केंद्र के लिए सर्वाधिक 36 लाख रुपये, कुकमसेरी के लिए 18 लाख रुपये, काला-जीरा व केसर पर शोध करने के लिए सांगला अनुसंधान केंद्र के लिए दस लाख रुपये, धौलाकुआं के लिए 24 लाख रुपये, नगरोटा-बगवां स्थित मधुपालन केंद्र के लिए दो लाख रुपये, मलां स्थित गेहूं-धान केंद्र के लिए 12.75 लाख रुपये, सुंदरनगर के लिए साढ़े छह लाख रुपये, बरठीं के लिए 26 लाख रुपये, ऊना के अखरोट स्थित अनुसंधान उपकेंद्र के लिए 18 लाख रुपये की राशि जारी की गई है। ताकि कई फसलों के लिए क्षेत्र विशेष में स्थापित किए गए इन अनुसंधान केंद्रों में शोध कार्य में कोई रुकावट न आए। कृषि विवि के संयुक्त निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क डा. हृदयपाल सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि इस राशि से इन केंद्रों का पूरी तरह से सुदृढ़ीकरण किया जाएगा(मुनीष दीक्षित,दैनिक जागरण संवाददाता,पालमपुर,3.11.2010)।

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