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20 नवंबर 2010

हरियाणाःलोक सेवा आयोग का पुनर्गठन होगा तो ही बनेंगे अफसर

पिछले करीब छह वर्ष से विवादों में घिरे हरियाणा लोकसेवा आयोग (एचपीएससी) के चेयरमैन व सदस्यों की नई नियुक्तियों को लेकर कवायद शुरू हो गई है। इन दिनों राजनीतिक हलकों में इन महत्वपूर्ण पदों को लेकर जोर-आजमाइश चल निकली है।

अदालत में चल रहे केस
आयोग का विवाद पिछले लंबे समय से अदालत में चले जाने के कारण सबसे बड़ा खामियाजा राज्य के उन युवाओं को उठाना पड़ा,जो एचसीएस अफसर बनने की दौड़ में थे। अब विवाद निपटता नजर आ रहा है एवं जल्द ही व्यापक स्तर पर काम शुरू होने के संकेत मिले हैं। इसमें यह बात तय है कि पुनर्गठन के बिना नए अफसर बनना मुश्किल है।राज्य की स्थिति देंखे तो पिछले करीब सात साल से एससीएस अफसरों की भर्ती ही नहीं हुई। नियमानुसार आयोग को हर वर्ष भर्ती करना जरूरी है।

वर्तमान में 240 एससीएस अफसरों में 56 अफसरों की तो सीधी कमी है। पहले यह कॉडर तीन सौ था जो कांग्रेस सरकार आने पर घटा दिया गया। इसके अलावा लगातार सेवानिवृत्ति हो रही है। आयोग के अधीन अन्य प्रथम व द्वितीय श्रेणी के अफसरों की भर्ती भी प्रभावित हुई लेकिन चार सदस्य बनाने के बाद प्रक्रिया शुरू कर दी गई।

पूर्व की तरह अगर स्कूलों में प्रिंसिपल व हेडमास्टर की भर्ती आयोग ने की तो वहां प्रिंसिपल के 1604 में से 500 एवं हेडमास्टर के 1995 में से 1000 पद रिक्त चल रहे हैं। इस कड़ी में शिक्षक संघ के प्रांतीय नेता वजीर सिंह इन नियुक्तियों को आयोग से कराने का विरोध करते हैं।

वर्तमान में कार्यवाहक चेयरमैन आरडी श्योकंद एवं सदस्य पीपी शर्मा,एमपी विधलान व जेएस सांगवान आयोग की गतिविधियों को आगे बढ़ा रहे हैं जबकि 8 सदस्यों की नई नियुक्ति को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम है, जिसमें नए चेयरमैन को पदासीन भी करना है। कमिश्नर रैंक के इन पदों को लेकर लंबी लाइन है लेकिन इन पदों पर नियुक्तियों का दारोमदार मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर है जाहिर है उनका ही इस पर बोलबाला रहेगा। पुख्ता सूत्रों से पता चला है कि आने वाले वर्ष से पहले या नए वर्ष में नए एचसीएस कुर्सी पर पदासीन हो सकते हैं। वर्षों बाद अफसर बनाने का यह रास्ता भी हुड्डा ही खोलने जा रहे हैं। इसके तुरंत बाद ही एचसीएस के अन्य रिक्त पद भी भरे जा सकते हैं।

अफसर बनने का इंतजार
चौटाला सरकार में भर्ती 60 एचसीएस अफसरों की विवादित नियुक्ति के बाद उन युवाओं को आस जगी है जो लंबे समय से अफसर बनने का सपना संजोए हुए हैं। आयोग के नियमानुसार तो हर वर्ष भर्ती होनी चाहिए लेकिन विवाद के चलते इसकी परीक्षा लंबित रही। पिछले वर्ष आयोग ने परीक्षा ली लेकिन उनके साक्षात्कार अटके हुए हैं। ये युवा हर रोज साक्षात्कार के बाद अफसर की कुर्सी पर बैठने का सपना संजोए हुए हैं। आयोग के पदाधिकारी इसकी प्रक्रिया जल्द निपटाने के सिवा कोई जवाब नहीं देते। वैसे पता चला है कि नया चेयरमैन बनने से पहले नए अफसरों को भी कुर्सी मिलना मुश्किल है(प्रमोद वशिष्ठ,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,20.11.2010)।

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