मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने स्टाफ की कमी से जूझ रहे बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ा दी हैं। एमसीआई ने तृतीय वर्ष की मान्यता के लिहाज से अकादमिक स्टाफ की संख्या में बड़ा फेरबदल कर दिया है। इससे कॉलेज को अगले दौर की मान्यता हासिल करने में भारी मुश्किलें पेश आएंगी।
रेसीडेंट और फैकल्टी की संख्या बढ़ाई
कॉलेज प्रशासन के मुताबिक एमसीआई ने रेसीडेंट डॉक्टर व शैक्षणिक स्टाफ की संख्या बढ़ा दी है। नए नार्म्स के अनुसार कॉलेज को अब 87 रेसीडेंट डॉक्टर व 114 शैक्षणिक पद भरने होंगे। जबकि कॉलेज में वर्तमान में 43 रेसीडेंट व 93 शैक्षणिक पद भरे हुए हैं। कॉलेज प्रशासन के अनुसार पुराने नाम्र्स के हिसाब से कॉलेज को अब औसतन 20 फीसदी पद अधिक भरने होंगे।
मुश्किल होगा स्टाफ जुटाना
कॉलेज प्रशासन के मुताबिक कॉलेज के लिए शैक्षणिक स्टाफ की कमी एक बड़ी समस्या है लेकिन उससे से भी बड़ी समस्या सीनियर रेसीडेंट की भर्ती करना है। एक वरिष्ठ शिक्षक का कहना है कि कॉलेज में अभी स्नातक स्तर की पढ़ाई हो रही है। जबकि सीनियर रेसीडेंट डॉक्टर की तभी भर्ती की जा सकती है जब यहां से स्नातकोत्तर कोर्स पास करने वाले चिकित्सक निकलें। दूसरी ओर प्रदेश में पीजी की सीट बहुत कम होने के कारण यहां के लिए सीनियर रेसीडेंट मिलना बहुत मुश्किल होगा। परंपरा के मुताबिक अधिकांश पीजी डॉक्टर किसी नामचीन या फिर प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप करना पसंद करते हैं।
प्रमुख सचिव को अवगत कराया है
"यह बात सही है कि एमसीआई के नए मानकों के कारण कॉलेज के लिए मान्यता हासिल करना बहुत मुश्किल होगा। फिलहाल इस स्थिति से चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, संचालक सहित अन्य अधिकारियों को अवगत कराया गया है"-डॉ. एससी तिवारी, डीन(दैनिक भास्कर,सागर,17.11.2010)
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