डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कर्मचारियों द्वारा एरियर्स व बोनस का भुगतान न होने के विरोध में किया जा रहा आंदोलन मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। आंदोलन में सर्वदलीय नागरिक संघर्ष मोर्चा के संरक्षक रघु ठाकुर ने पहुंचकर विवि प्रशासन से कर्मचारियों की जायज मांग पूरी करने की बात कही। छात्र संगठनों के पदाधिकारी भी समर्थन देने पहुंचे।। कर्मचारी संघ ने अपील जारी कर जिले के जनप्रतिनिधियों व नगरवासियों सहयोग मांगा है। वहीं विवि प्रशासन ने इसे अवैधानिक घोषित करते हुए समस्त विभागों से उपस्थित कर्मचारियों की जानकारी मंगाई है। अनुपस्थित कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है।
रघु ठाकुर ने किया आंदोलन का समर्थन :
सर्वदलीय नागरिक संघर्ष मोर्चा के संरक्षक रघु ठाकुर दूसरे दिन कर्मचारियों के आंदोलन में समर्थन देने पहुंचे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा आंदोलन व उनकी मांगे जायज हैं विवि प्रशासन को यह पूरी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो मामला वर्ष २००६ में ही सुलझ जाना चाहिए था वह अब तक लटका है। इससे कर्मचारियों को परेशान होकर आंदोलन का रुख अख्तियार करना पड़ा है। ऐसा लगता है कि विवि प्रशासन कर्मचारियों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि कुलपति स्वयं इतने सक्षम हैं कि वे इस मामले को सुलझा सकते हैं। जरूरत पड़ती तो यूजीसी में बात करके यह मामला सुलझाया जा सकता था। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर शीघ्र ही भुगतान नहीं किया गया तो आंदोलन के परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
कर्मचारी संघ ने की सहयोग की अपील :
अशक्षैणिक कर्मचारी संघ ने एक पत्र जारी कर सर्वदलीय संघर्ष मोर्चा, सांसद, जिले के समस्त विधायक, महापौर जिला पंचायत अध्यक्ष समेत विभिन्न राजनैतिक दलों के पदाधिकारियों व शहरवासियों से आंदोलन में सहयोग की अपील की है। अपील में कहा गया है कि सभी के सहयोग से विवि को केंद्रीय विवि के रूप में दर्जा मिला लेकिन वर्तमान में विवि में अनियमितता एवं भ्रष्टाचार का बोलाबाला है । इससे डॉ. गौर के सपनों को ठेस पहुंच रही है। कुलपति पर निशाना साधते हुए कहा गया है कि वे माह में २० से भी ज्यादा दिन विवि से बाहर रहते हैं। व अन्य अधिकारी अपने दायित्वों से मुंह मोड़ रहे हैं।
शिक्षकों से मांगा सहयोग :
कर्मचारी संघ अध्यक्ष संदीप वाल्मीकि व महासचिव मदन रजक ने एक पत्र विवि के दोनों शिक्षक संघ अध्यक्षों के नाम भेजकर उनसे सहयोग मांगा है। पत्र में कहा गया है कि कर्मचारी व शिक्षक दोनों ही विवि परिवार के सदस्य हैं। कर्मचारियों द्वारा अपनी न्यायोचित मांगों को लेकर आंदोलन किया जा रहा है। जिसमें शिक्षकों द्वारा सहयोग व मार्गदर्शन की अपेक्षा जताई गई है।
कुलपति को लिखा पत्र :
कर्मचारी संघ द्वारा एक पत्र कुलपति के नाम लिखकर विवि के कुलसचिव व वित्ताधिकारी के कार्यकाल की जांच करने की मांग की है। पत्र में कहा है कि शीघ्र ही एक केंद्रीय दल से दोनों के कार्यकाल की जांच कराई जाए।
गौर यूथ फोरम ने दिया आंदोलन को समर्थन :
कर्मचारियों के आंदोलन को छात्र संगठनों का सहयोग मिलना भी शुरू हो गया है। आंदोलन के दूसरे दिन गौर यूथ फोरम कार्यकर्ताओं ने धरना स्थल पहुंचकर कर्मचारियों के सहयोग का ऐलान किया। पुष्पेंद्र सिंह के नेतृत्व में फोरम ने विवि प्रशासन से शीघ्र एरियर्स के भुगतान करने की बात कही। अभाविप एवं एनएसयूआई के पदाधिकारी भी धरना स्थल पहुंचे और समर्थन की बात कही।
४८ घंटों में काम पर लौटो :
कुलसचिव प्रो. एन के जैन ने एक पत्र कर्मचारियों को भेजकर स्पष्ट किया है कि वे अगले ४८ घंटों के भीतर अपना आंदोलन समाप्त करें। वापस काम पर लौट आएं। ऐसा नहीं होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
गौर जयंती के लिए सहयोग जारी है
कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संदीप वाल्मीकि ने बताया कि गौर जयंती की तैयारियों में लगाए गए कर्मचारियों द्वारा पूरा सहयोग किया जा रहा है। विवि प्रशासन कर्मचारियों को बेवजह बदनाम न करे। उन्होंने कहा कि जब तक मांग पूरी नहीं होती आंदोलन जारी रहेगा। गौर जयंती पूरे हर्षोल्लास से मनाई जाएगी। जिसमें कर्मचारी पूरा सहयोग देंगे।
नहीं खुले ताले :
मुख्य प्रशासनिक भवन स्थित विभिन्न विभागों में कर्मचारियों द्वारा सोमवार को जड़े गए ताले दूसरे दिन भी नहीं खुल सके। इसके चलते विद्यार्थियों, विवि प्रशासनिक अधिकारियों व बाहर से आने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
शिक्षकों ने भी की शेष एरियर्स की मांग
एरियर्स का भुगतान न होने के विरोध में जहां कर्मचारियों द्वारा आंदोलन किया जा रहा है। वहीं शिक्षकों ने भी उनके शेष बचे २० प्रतिशत एरियर्स के भुगतान के संबंध में मांग की है। शिक्षक संघ अध्यक्ष प्रो. एपी दुबे द्वारा कुलसचिव के नाम भेजे गए पत्र में कहा गया है कि ७ अक्टूबर को यूजीसी द्वारा प्रेषित पत्र में उल्लेख है कि शिक्षकों के एरियर्स की राशि विवि प्रशासन के पास आ चुकी है । ऐसे में उनके शेष बचे २० फीसदी एरियर्स का भुगतान किया जाए।
विद्यार्थियों ने दी परीक्षा के बहिष्कार की चेतावनी
विवि के बीए अंतिम वर्ष एवं अन्य परीक्षाओं के पुर्नमूल्यांकन परीणाम नियत तिथि से लगभग चार माह से घोषित नहीं हुए है। इसके चलते विद्याथियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जबकि परिणाम आने के १५ दिवस के भीतर पुर्नमूल्यांकन के परिणाम घोषित करने का प्रावधान है।
मंगलवार को विद्यार्थी इस संबंध में शिकायत करने कुलसचिव के पास पहुंचे। लेकिन वे उनसे नहीं मिल सके। छात्रों का कहना था कि १९ नवंबर से पूरक की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं लेकिन अब तक परीणाम नहीं आया है। परीक्षा के बाद परीणाम आने का कोई फायदा भी नहीं है। छात्रों ने चेतावनी दी है कि १८ नवंबर तक परीणाम नहीं आया तो वे परीक्षा का बहिष्कार करेंगे। चेतावनी देने वालों में पूरन सिंह ठाकुर, राजेंद्र अहिरवार, दीपक जैन, अनिमेष सिंघई, लखन अहिरवार, संजय पटेल, गजाधर पटेल, हीरालाल चौधरी, विक्रम सिंह, प्रहलाद अहिरवार, कैलाश, संजय कुमार, नीलेश बौद्ध आदि शामिल हैं।
तारीख बाद में घोषित होगी
भोजमुक्त विश्वद्यालय अंतर्गत संचालित एमबीए की प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष की १९ व २० नवंबर से शुरू होने वाली परीक्षाएं अगामी तारीख तक स्थगित कर दी हैं। जो कि बाद में घोषित होंगी। क्षेत्रीय निदेशक प्रो. आरएस कसाना द्वारा जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई । मीडिया अधिकारी ने बताया कि कुलसचिव ने सभी विभागाध्यक्षों को पत्र लिखकर सूचित किया है कि जिन कर्मचारियों को परीक्षा में लगाया गया है और वे नहीं पहुंच रहे हैं तो इसकी जानकारी भेजें। उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
शिक्षकों को आ रहा पसीना
डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय में कर्मचारियों के आंदोलन के चलते कई कार्य ठप पड़ गए हैं। सर्वाधिक समस्या परीक्षा को लेकर हो रही है। अकादमिक कैलेंडर के अनुसार विवि की सेमेस्टर परीक्षाएं सोमवार से शुरू हो चुकी हैं। जो कि ३० नवंबर तक चलनी हैं। इसी समय कर्मचारी भी आंदोलन पर हैं। लिहाजा शिक्षकों को ही परीक्षा का पूरा काम देखना पड़ रहा है।
रोल नंबर डालने से लेकर कापियां जमा करने तक का दायित्व शिक्षकों पर
विवि में स्नातक व स्नातकोत्तर की प्रथम व तृतीय सेमेस्टर की परीक्षाएं चल रही हैं। इलेक्टिव कोर्स की परीक्षाएं भी शुरू होने वाली हैं। परीक्षाओं में लगभग २५०० विद्यार्थी शामिल होंगे। वर्तमान में विवि में लगभग १४५ नियमित व ५० अतिथि शिक्षक पदस्थ हैं। जिनमें से कई शिक्षक प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं । परीक्षा के नियमानुसार २० परीक्षार्थियों पर एक शिक्षक को नियुक्त किया जाता है। कर्मचारियों की गैरमौजूदगी में शिक्षकों को ही कुर्सी-टेबिलें जमाना पड़ रही हैं। रोल नंबर भी लिखने पड़ रहे हैं। उत्तर पुस्तिकाएं बांटने और परीक्षा उपरांत विभाग में रखने का काम पहले जहां कर्मचारी किया करते थे अब शिक्षकों की जवाबदेही है। कापियों की जांच के बाद अंक शीट में भरने का काम भी कर्मचारी ही देखते हैं।
पिछड़ सकता है कैलेंडर
नियमानुसार परीक्षा होने के ७२ घंटों के भीतर उत्तर पुस्तिका की जांच होकर अंक निर्धारित शीट पर चढ़ जाने चाहिए। वर्तमान परिस्थितियों में शिक्षकों को कापियां जांचने का समय नहीं मिल पा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि यही हाल कुछ और दिन रहा तो निश्चित ही उत्तर कापियों की जांच समय पर नहीं हो सकेगी और कैलेंडर भी पिछड़ेगा।
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