सशस्त्र होमगार्डो की वास्तविक स्थिति असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों से भी बदतर है। थानों की पहरेदारी से लेकर अधिकारियों की सुरक्षा में लगाए गए होमगार्ड की ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर उनके आश्रितों को अनाथ की स्थिति में छोड़ दिया जाता है। होमगार्ड पद पर तैनाती के दौरान होने वाले दुर्घटना जीवन बीमा से आच्छादित होमगार्ड की किसी दुर्घटना में मौत होने पर कड़ी मशक्कत के बाद दुर्घटना बीमा की धनराशि ही आश्रित परिजनों के आंसू पोंछने भर को नहीं मिल पाती है। बीते दो वर्षो में पांच होमगार्डो की ड्यूटी के दौरान मौत हुई। इनके सिर्फ तीन होमगार्डो के आश्रितों को बीमा की धनराशि मिल सकी। दो होमगार्डो के परिवारीजनों को मौत के अर्सा बीत जाने के बाद भी एक धेला नहीं मिला है। ऐच्छिक संगठन होने के चलते विभाग की ओर से भी मृतक होमगार्ड के आश्रित परिवारीजनों के लिए किसी तरह की सुविधा या सेवा देने का प्राविधान नहीं है। 19 सितंबर 2007 दुर्घटना में मरे,बाराबंकी के पूरे गोरिया लोनी कटरा निवासी होमगार्ड महेश लाल के परिवारीजनों को दो लाख। सड़क दुर्घटना में ही अन्नीपुर निन्दूरा निवासी राजाराम होमगार्ड के परिवारीजनों को बीमा की दो लाख की धनराशि से संतोष करना पड़ा। चिनहट थाने में रिजर्व में कार्यरत कुशफर दरियाबाद निवासी होमगार्ड मिथिलेश कुमार की छत से गिरकर 29 मई 2008 को मौत हो गई। बीमा कंपनी की आपत्तियों के चलते मृतक मिथिलेश के परिवारीजनों को एक धेला नहीं मिला। सराय मंडी कोठी के रामदीन की सड़क दुर्घटना में 11 जून 2008 को मौत हुई। मृतक होमगार्ड के परिवारीजन प्रतिकर पाने से वंचित है।जिले में तकरीबन 1500 होमगार्ड हैं। इनमें से 1200 को ड्यूटी मिली है। वर्ष में 10 से 11 माह तक प्रत्येक होमगार्ड को ड्यूटी देने का दावा विभाग करता है। जिला कमान्डेंट होमगार्ड सुबाष राम ने बताया कि शांति व्यवस्था और सुरक्षा के लिए जवानों की अधिक आवश्यकता के चलते होमगार्डो के लिए ड्यूटी की किल्लत नहीं है।
आठ से 12 घंटे तक ड्यूटी करने वाले होमगार्ड का एक दिन का पारिश्रमिक 140 रुपए है। महीने में उसका यह मानदेय 4200 रुपए है। इसी धनराशि में होमगार्ड अपना और अपने परिवारीजनों का पालन पोषण करता है। वर्दी और अनुशासन के नाम पर होमगार्ड किसी स्तर पर अपनी वेदना या विरोध नहीं दर्ज करा सकते। गंभीर बीमारी आदि से ग्रसित होने पर होमगार्ड मुख्यालय पर गठित कल्याण कोष से सहयोग राशि देने का प्राविधान है। पर यह कम लोगों को ही मिल पाती है(दैनिक जागरण,बाराबंकी,28.11.2010)।
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