चिकित्सा सुविधा के अभाव में राजधानी के एक कॉलेज की छात्रा आकृति भाटिया की मौत के डेढ़ साल पहले बाद आखिरकार सीबीएसइ (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) जाग गया है। सीबीएसइ ने अपने स्कूलों की मान्यता के तौर तरीकों और शर्तो में बड़ा बदलाव करते हुए देश भर के सभी स्कूलों में चिकित्सा सुविधा को अनिवार्य बना दिया है। स्कूलों में अब आगे पूरी तरह एक डिस्पेंसरी चलेगी जिसमें आपातकालीन दवाइयों के अलावा प्रशिक्षित चिकित्सा स्टाफ भी होगा। सीबीएसइ ने देश भर के सभी संबद्ध स्कूलों को सर्कुलर भेज कर जल्द अपने यहां चिकित्सा सुविधा शुरू करने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं स्कूलों से यह भी कहा गया है उन्हें 1 से 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले बड़े अस्पतालों से समझौता भी करना होगा ताकि आपात स्थिति में बिना किसी कागजी खानापूर्ति के बच्चों का तुरंत इलाज शुरू हो सके। सीबीएसइ ने सभी स्कूलों को यह निर्देश देते हुए कहा कि स्कूलों में यह सुविधा उपलब्ध होने और बड़े अस्पताल से आपातकालीन समझौते की जानकारी उन्हें लिखित रूप में दी जाए। अगर इस कार्य में किसी स्कूल ने लापरवाही बरती या झूठी रिपोर्ट दी तो उनकी मान्यता निरस्त कर दी जाएगी। सीबीएसइ के इस फैसले से देश भर के लाखों छात्रों को आगे बड़ी राहत मिलेगी।दरअसल 23 अप्रैल 2009 को राजधानी के एक बड़े पब्लिक स्कूल में 12वीं की छात्रा आकृति भाटिया की स्कूल में इसलिए हो गई थी कि अस्थमा अटैक आने पर उसे तुरंत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी थी। सीबीएसइ ने नई व्यवस्था को सुनिश्चित कराने के लिए देश भर के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों पटना, भुबनेश्वर, इलाहाबाद, अजमेर, पंचकुला, चेन्नई, गुवाहाटी, दिल्ली के अधिकारियों को निर्देश भेज दिया है। देश भर में सीबीएसइ के निजी और सरकारी दोनों मिलाकर 10 हजार 97 स्कूल हैं। इस व्यवस्था ने लाखों छात्रों बड़ा फायदा पहुंचेगा(दैनिक जागरण,दिल्ली,29.11.2010)।
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