मेडिकल शिक्षा के बाजारीकरण के आरोप में जिस केतन देसाई को दिल्ली के तिहाड़ जेल की हवा खानी पड़ी व सरकार को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) जैसी संस्था को समाप्त करना पड़ा, वही शख्स एक बार फिर देश की मेडिकल शिक्षा व्यवस्था में शामिल हो सकता है। देसाई गुजरात विश्वविद्यालय की सीनेट में निर्विरोध चुने जा चुके हैं। गुजरात विश्वविद्यालय की 186 सदस्यों वाली सीनेट की 86 सदस्य चुनाव के जरिए चुने जाते हैं। सीनेट में चुनाव लड़ने तथा मतदान के लिए उक्त विश्वविद्यालय से स्नातक करने वाले छात्रों को पंजीकरण कराना आवश्यक होता है। एमसीआई के पूर्व अध्यक्ष केतन देसाई गुजरात विश्वविद्यालय से एमबीबीएस स्नातक हैं तथा उनके पंजीकरण के बल पर ही सीनेट सदस्य चुने गए हैं।
विश्वविद्यालय की राजनीति में डॉ केतन के अचानक आ जाने से गर्माहट बढ़ गई है। यह वही केतन देसाई हैं जिन्होंने एमसीआई के अध्यक्ष रहते देश की करीब ढाई सौ कॉलेजों को करोड़ों की रिश्वत लेकर अंधाधुंध स्वीकृति दे दी थी। घोटाला उजागर होने के बाद सीबीआई ने केतन को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया था। साथ ही एमसीआई में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते खुद केंद्र सरकार को एमसीआई के अस्तित्व को ही समाप्त कर देना पड़ा था। मेडिकल क्षेत्र में केतन का दबदबा इतना है कि मेडिकल शाखा से उनके खिलाफ कोई नामांकन तक नहीं भर सका। मेडिकल विभाग के पूर्व डीन डॉ एच पी भालोदिया ने पर्चा भरा था, लेकिन मतदान के दो दिन पहले उन्होंने डॉ केतन के समर्थन में नाम वापस ले लिया जिसके चलते केतन देसाई निर्विरोध सीनेट सदस्य चुने जा चुके हैं।
सिंडीकेट सदस्य डॉ मनीष दोषी का कहना है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे देसाई का सीनेट सदस्य बनना आश्चर्य की बात है। दोशी ने कुलपति पर डॉ केतन से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा है कि कुलपति चाहते तो उनका पंजीकरण पहले ही रद कर सकते थे जब करोड़ों की हेराफेरी के आरोपों में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। उधर, कुलपति डॉ परिमल त्रिवेदी का कहना है कि विश्वविद्यालय के नियम के मुताबिक यहां से स्नातक कोई भी पंजीकृत छात्र सीनेट चुनाव लड़ सकता है। जानकारों का मानना है कि डॉ त्रिवेदी चाहते तो युनिवर्सिटी एक्ट 46 के तहत पहले ही डॉ देसाई का पंजीकरण रद कर सकते थे लेकिन देसाई को देसाई को मेडिकल शिक्षा में लाने के लिए उन्हें सीनेट में पिछले दरवाजे से प्रवेश दिया गया(शत्रुघ्न शर्मा,अहमदाबाद,21.11.2010)।
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